अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को जैसे ही सोशल मीडिया की बड़ी दिग्गज कंपनियों ने अपने प्लेटफार्म से बाहर निकाला, तो उनके समर्थन में दुनिया भर के देश और सरकारें उतर आई हैं। आश्चर्यजनक बात ये है कि ट्रंप को चीन से भी समर्थन मिल रहा है। चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ट्रंप का समर्थन कर नहीं सकती है लेकिन चीनी लोग ट्रम्प पर प्रतिबंधों की आलोचना करने के साथ ही उसकी तुलना चीनी सेंसरशिप के साथ कर रहे हैं, जिसके चलते चीनी सोशल मीडिया इन सभी बातों से भर गया है।
ट्रंप भले ही राष्ट्रपति चुनाव हार गए हैं लेकिन वो पूरी दुनिया में एक बड़े चीन विरोधी नेता बनकर उभरे हैं। वो सीसीपी के सबसे मुखर दुश्मनों में से एक हैं और उन्होंने अपने जुझारूपन से चीन पर दबाव बनाया है और अब जो चीनी लोग आज ट्रंप के समर्थन में हैं, वे दो बातें साफ कर रहे हैं कि उन्हें चीन की सेंसरशिप पसंद नहीं है, साथ ही ये लोग सीसीपी के दुश्मनों को भी अब ज्यादा पसंद करते हैं।
ट्रम्प पर सोशल मीडिया पर प्रतिबंध पर बोलते हुए, एक Weibo उपयोगकर्ता ने लिखा, “कानूनी तौर पर वह अभी भी राष्ट्रपति हैं। यह एक तख्तापलट है।” वास्तव में कम्युनिस्ट पार्टी के प्रचार तंत्र द्वारा ही ये सभी कंटेट संचालित होते हैं। लोगों का ये भी कहना है कि CCP के प्रचार उपकरणों के माध्यम से अपने यहां की सेंसरशिप संस्कृति को सही ठहराने की नीति अपनाता है।
चीनी मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने के एडिटर ही शिनजिंन ने लिखा, “ ट्रंप के सोशल मीडिया और ट्विटर अकाउंट्स का बैन होना उदाहरण है कि अभिव्यक्ति की आजादी की भी सीमा होती है।” उन्होंने ये भी कहा है कि अमेरिका के लिए दोबारा ये साबित करना काफी मुश्किल होगा कि वो लोकतन्त्र का गढ़ है। सीसीपी ये बताने की कोशिश कर रही है कि प्रत्येक देश में कुछ हद तक अभिव्यक्ति की सीमाएं हैं।
चीनी अपने आलोचकों को ये दिखाना चाहते हैं कि उसके नागरिकों की चिंता करने की आवश्यकता किसी अन्य देश को नहीं है। इसके इतर चीन के लोग चीनी सेंसरशिप और डोनाल्ड ट्रम्प के साथ जो कुछ हुआ, उसकी तुलना एक ही जैसी ही करते हैं। Xichuangsuiji नामक एक Weibo उपयोगकर्ता ने कहा, “जब ट्विटर ने ट्रम्प पर प्रतिबंध लगा दिया, तो यह राष्ट्रपति की सेवा करने से इनकार करने वाला एक निजी मंच था।” उन्होंने कहा, “जब वीबो आपको प्रतिबंधित करता है, तो यह किसी व्यक्ति के भाषण को सेंसर करने के लिए सरकारी दिशानिर्देशों को क्रियान्वित करता है।”
कुछ लोग जिन्हें चीन में भयंकर सेंसरशिप की प्रताड़ना का सामना करना पड़ा है वो इतनी आसानी से ट्रंप के साथ हुई घटना पर सहानुभूति नहीं जाहिर कर रहे हैं। एक प्रतिष्ठित कलाकार ने लिखा कि Twitter और फेसबुक ग्लोबल टाइम्स का एजेंडा चला रहे हैं और अपने ही राष्ट्रपति के खिलाफ जा रहे हैं। ट्रंप को जिस तरह से बैन किया गया है उसके बाद विरोध के साथ लोग ये कह सकते हैं कि वो भी चीन की इस सेंसरशिप के खिलाफ हैं। ट्रंप पर लगे बैन की आलोचना करने के साथ ही ये चीनी लोगों के लिए सीसीपी की सेंसरशिप की आलोचना करने का भी मौका हैं।
उदाहरण के लिए राजनीतिक कार्टूनिस्ट कुआंग बियाओ के साथ हुई सेंसरशिप को ले सकते हैं जिन्हें पिछले साल चाइनीज वायरस के प्रसार से संबंधित कार्टून बनाने के लिए परेशान किया था। इस बार भी उन्होंने ट्रंप के बैन होने की आलोचना के साथ ही चीनी सेंसरशिप की आलोचना की है और दो कार्टून बनाए हैं, परन्तु अब उन्हे़ प्रताड़ित नहीं किया गया।
चीनी नागरिक ट्रम्प पर प्रतिबंध की आलोचना कर रहे हैं, लेकिन उनका असली संदेश CCP को है। चीन के लोग यह स्पष्ट कर रहे हैं कि उनका धैर्य खत्म हो रहा है और CCP को सेंसरशिप पर भारी विद्रोह की तैयारी कर लेनी चाहिए।