कहते हैं सत्य परेशान हो सकता है, पराजित नहीं। डोनाल्ड ट्रम्प को प्रतिबंध करके ट्विटर और फ़ेसबुक जैसे बिग टेक कंपनी ने भले ही अपना शक्ति प्रदर्शन करने का प्रयास किया हो, परंतु अब ऐसा और नहीं चलेगा। अब नॉर्थ डकोटा के राज्य में एक ऐसा विधेयक लाया गया है, जिसका पारित होना दुनिया को बिग टेक कंपनियों की मनमानी से लड़ने में प्रेरणादायी साबित होगा।
नॉर्थ डकोटा के सदन में पेश किये गए इस विधेयक के अनुसार यदि किसी नॉर्थ डकोटा निवासी के फ़ेसबुक या ट्विटर अकाउंट को अकारण प्रतिबंधित किया जाता है, तो वह मुकदमा भी कर पाएगा और जीतने पर ट्विटर और फ़ेसबुक जैसी कंपनियों से मुआवज़ा लेने योग्य भी होगा। इस विधेयक के अनुसार ट्वीट अश्लील, बेहूदा, गंदगी से परिपूर्ण, हिंसक या गालियों से परिपूर्ण न हो,तब नॉर्थ डकोटा के निवासी ट्विटर या फ़ेसबुक अकाउंट सस्पेंड होने पर मुकदमा कर सकते हैं और अगर जीतते हैं, तो उक्त कंपनी को हर हाल में मुआवज़ा देना ही होगा।
हाउस बिल 1144 के नाम से पेश हुए इस बिल की अहमियत ऐसे वक्त में और बढ़ गई है, जब ट्विटर और फ़ेसबुक जैसी कंपनियां बिना किसी ठोस कारण के अकाउंट बैन करती फिर रही हैं। दोनों साइट ने हाल ही में अमेरिका में Capitol Building के समक्ष हिंसक विरोध प्रदर्शनों के चलते डोनाल्ड ट्रम्प पर इन प्रदर्शनों को भड़काने का आरोप लगाते हुए उनके सभी अकाउंट पर प्रतिबंध लगा दिए।
इस विधेयक का समर्थन करने वाले एक विधायक टॉम केडिंग ने कहा, “यह बिल उत्तरी डकोटा के निवासियों को कंपनियों की मनमानी से बचाने के लिए लाया गया है। इसका वर्तमान घटनाओं से प्रत्यक्ष संबंध नहीं है, पर हमारा मानना है कि अकारण ही आप किसी राष्ट्राध्यक्ष को यूं ही प्रतिबंधित नहीं कर सकते”।
केडिंग ने आगे यह भी कहा, “यह बिल अपने आप में अनोखा है। इसके अनोखे स्वभाव के कारण इसके विरुद्ध मुकदमा होना स्वाभाविक है, लेकिन इसके पश्चात कई मुकदमे होंगे। आखिर किस किस मुकदमे को हटाते रहेंगे? हो सकता है मेरा विधेयक समाधान न हो, पर बिग टेक कंपनियों की मनमानी के विरुद्ध उठ रही आवाजों को कुछ तो दिशा मिलेगी”।
टॉम केडिंग ऐसा सोचने वाले अकेले व्यक्ति नहीं है। पोलैंड ने तो ऐसा विधेयक भी पारित करने का निर्णय लिया है, जो बिग टेक कंपनियों के विरुद्ध पोलिश उपभोक्ताओं के अकाउंट अकारण प्रतिबंधित करने के लिए कार्रवाई भी करेगी। भारत भी इस दिशा में पीछे नहीं है, और उसके संसदीय पैनल ने हाल ही में ट्विटर और फ़ेसबुक को सम्मन किया है, ताकि ऐसी नीतियों पर एक स्पष्ट छवि दिखाई दे। जिस प्रकार से नॉर्थ डकोटा ने बिग टेक कंपनियों की मनमानी रोकने के लिए विधेयक निकाला है, वो न सिर्फ सराहनीय है, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए आवश्यक भी।