गणतंत्र दिवस के अवसर पर देश भर को शर्मसार होना पड़ा, जब उग्रवादियों ने बैरिकेड तोड़कर ट्रेक्टर रैली के नाम पर लाल किला पर धावा बोला और गुंडागर्दी की। नांगलोई क्षेत्र और ITO के निकट भी उग्रवादियों ने उपद्रव मचाया, और करीब 300 दिल्ली पुलिस के कर्मचारी घायल हुए। लेकिन इस दौरान भी कुछ लोग थे, जो खुलेआम उपद्रवियों का बचाव करने में लगे हुए थे। ये कोई और नहीं, बल्कि बड़बोले पत्रकार राजदीप सरदेसाई थे, जिन्होंने न सिर्फ दंगाइयों को बचाने का प्रयास किया, बल्कि एक दंगाई की मृत्यु पर उलटे दिल्ली पुलिस को फँसाने का प्रयास किया।
26 जनवरी को ‘किसान आंदोलन’ के नाम पर अराजकतावादियों ने ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया। लेकिन तय रूट से हटकर उग्रवादी लाल किले की ओर बढ़ गए, और कुछ किसानों ने नांगलोई और ITO में उपद्रव मचाने का प्रयास किया। इसी बीच एक उपद्रवी ट्रैक्टर लेकर बैरिकेड तोड़ने का प्रयास कर रहा था, लेकिन इस कोशिश में ट्रैक्टर पलट गई, और वह उपद्रवी मौके पर ही मर गया।
लेकिन राजदीप सरदेसाई को इससे क्या? उन्हें तो बस ऐजेंडा साधना था। महोदय न यह ट्वीट किया कि वह उपद्रवी पुलिस की गोलियों से मारा गया। जनाब ने यह भी ट्वीट किया, “45 वर्षीय नवनीत पुलिस की फायरिंग में मारा गया है। किसान कहते हैं कि उसका बलिदान बेकार नहीं जाएगा”।
And @sardesairajdeep deleted his tweet. Just imagine the kind of fake propaganda they must have spread during 2002 when News Channels were only source of information. pic.twitter.com/kPtmA2oi4w
— Facts (@BefittingFacts) January 26, 2021
लेकिन राजदीप का झूठ जल्द ही पकड़ा गया। स्थानीय लोगों के अनुसार वह उपद्रवी पुलिसवालों को ट्रैक्टर से कुचलने का प्रयास कर रहा था। इसी प्रयास में उसका ट्रैक्टर पलट गया, और वह उपद्रवी मारा गया। लेकिन जिस प्रकार से राजदीप सरदेसाई भ्रामक ट्वीट कर रहे थे, वह मानो दिल्ली पुलिस पर हमला करवाने के लिए भीड़ को उकसा रहा था।
https://twitter.com/indiantweeter/status/1354060017100615682?s=20
लेकिन इतने पर भी राजदीप सरदेसाई का मन नहीं भरा, लाइव टीवी कवरेज पर भी वह अपने झूठ को दोहरा थे, और जनाब कह रहे थे नवनीत की मृत्यु पुलिस की गोली सिर में लगने से हुई है। इसके अलावा वह उपद्रवियों को बढ़ावा देने के आरोपी योगेंद्र यादव को न सिर्फ अपने चैनल पर पूरी कवरेज दे रहे थे, बल्कि उन्हें अपनी झूठी दलीलें पेश करने का पूरा अवसर दे रहे थे। यही नहीं राजदीप ने किसानों के प्रदर्शन को शांतिपूर्ण बताने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, बाद में जनता ने उन्हें आड़े हाथों भी लिया था।
https://twitter.com/MrSinha_/status/1354277560406970368?s=20
https://twitter.com/erbmjha/status/1353977270625427456?s=20
ट्विटर पर राजदीप के 90 लाख फॉलोवर्स हैं जिससे आप समझ सकते हैं कि उनके एक ट्वीट की पहुंच कितनी होगी। बेहद संवेदनशील समय पर उन्होंने ऐसा ट्वीट किया, जो किसानों को या उनके समर्थकों को हिंसा भड़काने पर उतारू कर सकता था। हद तो तब हो गई जब राजदीप ने एक्सपोज होने के बाद भी माफी नहीं मांगी। वास्तव में जिस ‘फेक न्यूज’ और ‘वॉट्सऐप यूनिवर्सिटी’ से लड़ाई का वो दावा करते हैं, वो खुद फेक न्यूज फैलाने में सबसे आगे हैं।
राजदीप कई मौको पर फेक न्यूज फैला चुके हैं। हाल ही में जब वैक्सीनेशन का अभियान शुरू हुआ था, तब भी राजदीप वैक्सीन को लेकर अफवाहों को बढ़ावा दे रहे थे, और एक लाइव चर्चा के दौरान जब चर्चित डॉक्टर नरेश त्रेहन ने स्पष्टीकरण देने का प्रयास किया, तो उन्हें बोलने भी नहीं दे रहे थे, जिसके चक्कर में डॉ नरेश ने राजदीप सरदेसाई को खरी खोटी भी सुनाई।
इसके अलावा सोशल मीडिया उनके पुराने ट्वीट्स भी खंगाल रही है, जहां उन्होंने इस प्रकार की अफवाहें फैलाई थी और उन्हें आड़े हाथों ले रही है।
Back in 2012, when there were protests in Delhi, serial offender @sardesairajdeep was at the forefront of spreading rumours in the exact same way he did yesterday. It is unbelievable how such a thug survives in the field of journalism. pic.twitter.com/xUwnm7IymH
— S. Sudhir Kumar (@ssudhirkumar) January 27, 2021
अब कल्पना कीजिए, जब सोशल मीडिया नहीं था, तब यही राजदीप सरदेसाई जैसे झूठे पत्रकार किस तरह से झूठ को बढ़ावा रहे थे। इन्हीं पत्रकारों के कारण 2002 के दंगों को एकतरफा रूप में चित्रित किया गया, और यही प्रयास राजदीप ने वर्तमान उपद्रव के लिए भी किया। परंतु सोशल मीडिया पर जागरूक लोगों ने राजदीप सरदेसाई की पोल खोलने का काम किया है और अब उनकी फेक पत्रकारिता के खिलाफ एक्शन लेने की मांग उठ रही है। ऐसे में केंद्र सरकार को यदि वाकई में सिद्ध करना है कि उसने त्वरित कार्रवाई की, तो राजदीप सरदेसाई को अविलंब हिरासत में लेना चाहिए, और उसका पत्रकार का लाइसेंस रद्द करना चाहिए।