दुनिया के इतिहास में जितने भी तानाशाह हुए हैं उन सब में एक समानता अवश्य रही है। उन्हें अपने तख्तापलट का डर हमेशा बना रहता है, और वो भी विरोधी शक्तियों के बजाए अपने ही विश्वसनीय लोगों से। तानाशाहों के परिवार में सत्ता का संघर्ष कोई नई बात नहीं। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन भी इस डर का शिकार हो गया है। यही कारण है कि किम ने तय किया है कि वह अपनी बहन की बढ़ती शक्ति पर अंकुश लगाएगा। उसने अपनी बहन की प्रोन्नति पर रोक लगा दी है।
SCMP की रिपोर्ट के अनुसार किम ने उत्तर कोरिया की एकमात्र एवं सत्तासीन पार्टी वर्कर्स पार्टी ऑफ कोरिया के मुख्य सचिव का पद भी ग्रहण कर लिया है। वैसे तो किम पहले ही उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर के पद पर बैठकर अपनी तानाशाही चला रहा है लेकिन इसके बाद भी उसने अपनी शक्ति को और बढ़ाने के लिए पार्टी के मुख्य सचिव का पद भी ग्रहण कर लिया है। वास्तव में उसका यह कदम पार्टी में उसकी बहन किम यो जोंग के बढ़ते रुतबे को दबाने के लिए है।
किम की बहन हाल में कोरिया प्रायद्वीप के मुख्य मुद्दे सहित अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर कार्य कर रही थी जिससे उसकी ताकत बढ़ रही थी। वास्तव में किम की बहन की गिनती किम के बाद, उत्तर कोरिया की सबसे शक्तिशाली व्यक्ति के रूप में होने लगी थी। लेकिन किम ने न सिर्फ उसकी प्रोन्नति पर रोक लगाई, बल्कि चौकाने वाला निर्णय लेते हुए अपनी बहन का नाम पार्टी की शक्तिशाली कार्यकारिणी पोलित ब्यूरो में भी शामिल नहीं किया है।
उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया की शत्रुता ही कोरिया प्रायद्वीप का सबसे बड़ा मुद्दा है। किम यो जोंग का नाम इसीलिए अधिक प्रसिद्ध हुआ क्योंकि उसने किम जोंग उन की अनुपस्थिति में इस मुद्दे को संभाला। अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए उसने दक्षिण कोरिया में Liasion कार्यालय को उड़ा दिया था। यह कार्यालय दोनों देशों के बीच संवाद स्थापित करने के लिए बनाया गया था।
यो जोंग की शक्ति का अंदाजा इसी बात से होता है कि कुछ समय पूर्व वैश्विक मीडिया में यह खबरें चलने लगीं थीं कि किम जोंग उन की मृत्यु हो चुकी है और उसकी बहन ही उसकी उत्तराधिकारी होगी।
अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए तथा यह साबित करने के लिए की वह अपने भाई जैसी ही मजबूत एवं क्रूर है, उसने कई आक्रामक कदम उठाए जिनमें Liasion कार्यालय को उड़ाना एक उदाहरण है। इसके अतिरिक्त बीच में कोरिया एवं चीन का टकराव भी सामने आया था जब कोरिया की पेट्रोल टीम ने चीनी नाविकों पर गोली चला दी। इसमें तीन चीनी नागरिक मारे गए थे। भले ही नाविकों पर हमके का फैसला वहाँ मौजूद कोस्ट गार्ड का रहा हो, किंतु हमले के बाद इसपर कोई सफाई या बयान न जारी करना उ० कोरिया की नीति का हिस्सा था। चीनी नाविकों पर हमला कोई बेवकूफी भरा कदम नहीं था बल्कि किम यो जोंग की एक सोची समझी नीति थी।
कोरोना के फैलाव के बाद से चीन वैश्विक शक्तियों के निशाने पर है, ऐसे में यदि उत्तर कोरिया और चीन में टकराव बढ़ता तो यह संदेश जा सकता था कि उत्तर कोरिया चीन का पिछलग्गू नहीं है एवं वह चीन के दायरे से बाहर निकल कर भी दोस्त खोज सकता है। जहाँ Liasion कार्यालय को उड़ाकर यो जोंग ने उत्तर कोरिया में अपने प्रतिद्वंद्वियों को कड़ा संदेश दिया वहीं, चीनी नागरिकों पर हमला करवाकर उसने वैश्विक राजनीति के समीकरण बदलने की अपनी क्षमता का परिचय दिया।
उत्तर कोरिया की आंतरिक राजनीति या अन्य मुद्दों पर दुनिया की जानकारी बहुत नगण्य है तथा सभी केवल अनुमान लगाते हैं। लेकिन मीडिया में किम यो जोंग की पहचान एक क्रूर किंतु चालाक व्यक्ति के रूप में बनी है, जबकि किम जोंग उन को एक सनकी माना जाता है। यही कारण है कि किम जोंग उन अपनी चालक बहन की शक्ति को बढ़ने से पहले ही रोक देना चाहता है।