भारत और चीन के कूटनीतिक रिश्तों के लिए 2020 एक बेहद ही बुरा वर्ष साबित हुआ था, जिसके चलते भारत की ताकत वैश्विक पटल सामने आई थी। वहीं चीन के लिए भारत ने अनेकों कठोर आर्थिक फैसले लिए हैं, जो कि चीन को परेशान कर रहे हैं। ऐसे में चीन भारत से अपने रिश्ते सुधारना तो चाहता है लेकिन झुकना नहीं चाहता। वहीं इस मुद्दे पर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन के साथ कूटनीति क रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए आठ गंभीर शर्तें रख दी हैं। ये शर्तें इस बात का संकेत हैं कि जब तक चीन उन्हें स्वीकार नहीं करता है तब तक रिश्ते सामान्य नहीं ही होंगे।
एस जयशंकर ने भारत चीन के बीच पिछले साल हुए तनावपूर्ण संबंधों को निराशाजनक बताया है जिसका असर वैश्विक स्तर पर भी देखने को मिला है। ऐसे में जयशंकर ने कहा है कि अगर चीन को भारत से अपने रिश्ते बेहतर स्थिति में लाने हैं तो उसे कुल 8 मुद्दों पर सहमति जताते हुए उनका पालन करना होगा, वरना दोनों के बीच ये तनाव जारी रह सकता है। जयशंकर ने कहा कि एलएसी पर चीन को विस्तार की नीति को त्यागना होगा और लद्दाख में चल रहे गतिरोध को खत्म करते हुए अपनी सेना को वापस बुलाना होगा।
जयशंकर ने अपने पहले ही बिंदु में साफ कहा है कि चीन को भारत की संप्रभुता और अखंडता का सम्मान करते हुए काम करना चाहिए और एलएसी के सभी नियमों का पालन करना चाहिए। इसके साथ ही जयशंकर ने कहा कि सीमा पर सेनाओं की बढ़ोत्तरी करने से भी चीन को बचना चाहिए। उनके मुताबिक चीन के रुख में बदलाव और सीमाई इलाकों में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती पर अब भी चीन की तरफ से कोई विश्वसनीय स्पष्टीकरण नहीं मिला है, जो कि बहुत जरूरी है।
चीन भारत के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में अपनी ताकत का बेजा इस्तेमाल करने वाला अकेला देश है। ऐसे में चीन ने भारत की एनएसजी की सदस्यता को लेकर भी रोक लगा रखी है। ऐसे में भारत चाहता है कि ये रोक जल्द से जल्द खत्म की जाए। इसी तरह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता को लेकर अन्य सभी देशों ने भारत का समर्थन किया है लेकिन चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। इस मुद्दे पर जयशंकर ने कहा कि हर देश की अपनी आकांक्षाएं होती हैं जिनका सम्मान करना बेहद जरूरी है। इन्हें नजरंदाज करना या महत्व नहीं देना गलत है।
पाकिस्तान में आतंकवाद को पालने की फैक्ट्रियां चलती हैं। इसको लेकर भारत पूरे विश्व में पाक को आईना दिखा चुका है फिर भी चीन लगातार पाकिस्तान के आतंकियों और उनके संगठन को बैन करने के मुद्दे पर भारत के खिलाफ है। इस स्थिति को देखते हुए जयशंकर ने कहा कि पड़ोसी होने के नाते चीन का पाक प्रेमी रवैया दूरियां पैदा करने वाला और दोहरा मापदंड दिखाने वाला है। इसलिए अब चीन को अपनी इस नीति को बदलना ही होगा।
चीन का भारतीय मार्केट में आज भी बड़ा निवेश है। इसके जरिए वो भारत से एक बड़ा आर्थिक लाभ हासिल करता है। इसके विपरीत चीन में भारत का निवेश बेहद ही कम है। इसलिए जयशंकर चाहते हैं कि भारत की तरह चीन भी अपने मार्केट को भारत के लिए खोले जिससे लाभ एकतरफा ही न हो। इसके अलावा चीन को भारत ने अपनी वीजा पॉलिसी को भी बेहतर बनाने की बात कही है।
विदेश मंत्री ने कहा कि एक ओर जहां दोनों देश बहु ध्रुवीय दुनिया की ओर बढ़ रहे हैं। वहीं जरूरी है कि बहु ध्रुवीय एशिया इनके मुख्य घटक के रूप में हो। इसके लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता जरूरी है। इसके अलावा जयशंकर ने कहा कि हर देश के अपने हित, चिंताएं और प्राथमिकताएं होती हैं, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि हम दूसरे देशों के इन मुद्दों को लेकर संवेदनशील रहें। यह भाव एकतरफा नहीं हो सकता। आखिर में दो देशों के रिश्ते पारस्परिक होने जरूरी हैं।
चीन पाकिस्तान तक अपना चाइना पाकिस्तान इकॉनमिक कॉरिडोर बना रहा है, जो कि पीओके से होकर जाता है, जबकि पीओके भारत का ही अभिन्न हिस्सा है। भारत इस मुद्दे पर लगातार चीन और पाकिस्तान का विरोध करता रहा है। ऐसे में संप्रभुता के मुद्दे पर भारत चीन के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहता है। इसीलिए भारत का संकेत सीपैक को खत्म करने की मांग का है।
भारत चीन के रिश्तों पर जमी बर्फ पर पूरी दुनिया की नजर है। भारत पहले ही आर्थिक आधार पर चीन की कमर तोड़ रहा है। दूसरी ओर लद्दाख में चीन की नापाक हरकतों का जवाब देने में भारतीय सेना तनिक भी गुरेज नहीं कर रही है। ऐसे में चीन को यदि भारत के साथ रिश्ते बेहतर स्थिति में रखनी है तो उसे भारत की संप्रभुता को ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ना होगा और इसी बात के संकेत भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी दिए हैं। उनका कहना साफ है कि शर्तें मानों तभी कूटनीतिक रिश्ते बेहतर होंगे।