ब्राजील के राष्ट्रपति बॉलसेनारो ने भारतीय प्रधानमंत्री मोदी से वैक्सीन की आपूर्ति तेज करने को लेकर पत्र लिखा है। ब्राजील, सीरम इंस्टीट्यूट के द्वारा निर्माण की जा रही AstraZenca की 20 लाख वैक्सीन का भारत से आयात कर रहा है।अभी हाल ही में ब्राजील की एक प्राइवेट हेल्थ क्लीनिक एसोसिएशन ने भी भारत बायोटेक से 5 मिलियन वैक्सीन के डोज़ खरीदने के लिए समझौता किया था।
गौरतलब है कि इससे पहले भारत ने ब्राजील को HCQ की सप्लाई की थी। तब बॉलसेनारो ने भारतीय सहायता की तुलना रामायण के उस प्रसंग से की थी जब भगवान हनुमान, लक्ष्मण जी के लिए संजीवनी ले आते हैं।
ब्राजील कोरोना से सबसे बुरी तरह प्रभावित देशों में एक है यही कारण है कि वह दवाओं से लेकर वैक्सीन तक, बाहरी आपूर्ति पर निर्भर है। ब्राजील ने इस आपूर्ति के लिए भारत पर विश्वास दिखाया, जबकि चीन द्वारा पहले ही ब्राजील को वैक्सीन उपलब्ध कराने का प्रस्ताव दिया गया था जिसे ब्राजील ने कुछ समय बाद अस्वीकार कर दिया था। ब्राजील का यह निर्णय बताता है कि वह भारतीय मेडिकल सेक्टर पर विश्वास करता है।
किंतु यह विश्वास भारतीय मेडिकल सेक्टर की तकनीक और अनुभव से ही नहीं है, इसमें बहुत बड़ा योगदान भारतीय विदेशनीति का भी है। जहाँ एक ओर चीन ने कोरोना के फैलाव को अपने लिए अवसर की तरह लिया, तथा अपनी विदेशनीति को अधिकाधिक आक्रामक कर दिया, वहीं भारत ने इस आपदा में, मानवमात्र के सहयोग को अपनी नीति का आधार बना लिया है।
एक ओर चीन दक्षिण चीन सागर में अपनी नीतियों को लागू कर अपने पड़ोसियों पर दबाव बढ़ा रहा है, वहीं भारत अपने पड़ोसियों को मेडिकल रेस्पॉन्स टीम, तकनीक, वैक्सीन एवं आवश्यक दवाएं, आदि उपलब्ध करा रहा है। यहाँ तक कि नेपाल द्वारा लगातार भारत विरोधी रवैये को अपनाने के बाद भी भारत ने नेपाल को आवश्यक सामग्री की आपूर्ति एवं अन्य सहायता यथावत रखी।
भारत नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश को वैक्सीन के क्लीनिलक ट्रायल एवं वितरण संबंधित जानकारी एवं तकनीकी ज्ञान भी उपलब्ध करवाएगा। केवल पड़ोसी ही नहीं बल्कि भारत की विदेश नीति में वसुधैव कुटुम्बकम का सिद्धांत सभी देशों के साथ देखने को मिलता है। जब ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाने के लिए उसके निर्यात पर चीन ने प्रतिबंध लगा दिया था, तब भी भारत ने ऑस्ट्रेलिया से निर्यात बढ़ाने के लिए मुक्त व्यापार समझौते को हरी झंडी दिखा दी।
इसके अतिरिक्त भारत, खाद्यान्न संकट से जूझते विश्व के लिए एक वरदान बनकर सामने आया है। EU को होने वाले चावल निर्यात में अप्रैल से नवंबर 2020 की अवधि के दौरान अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की गई है, जिसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में लगभग 71 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इसके अतिरिक्त बांग्लादेश से लेकर अफगानिस्तान जैसे पड़ोसियों और पश्चिम से लेकर पूर्वी एशिया तक के देशों को भारत खाद्यान्न का निर्यात कर रहा है।
इतिहास यही बताता है कि भारत जब भी सक्षम हुआ है, उसने वैश्विक शांति की स्थापना की है। भारत का लक्ष्य “सर्वे भवन्तु सुखिनः”। हाल ही में जब भारत सुरक्षा परिषद का सदस्य बना तो उसने इसमें अफ्रीकी प्रतिनिधित्व का प्रश्न उठाया। भारत ने कहा कि दुनिया की आधी समस्याओं को आपको सुलझाना है तो सुरक्षा परिषद में अफ्रीका का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। यह एक महत्वपूर्ण पहलू है जिस पर आज तक किसी अन्य वैश्विक ताकत ने ध्यान नहीं दिया।सुरक्षा परिषद को वैश्विक शक्तियों ने स्वार्थपूर्ति का अड्डा बना रखा है, वहीं भारत ने अपने हितों से ऊपर उठकर दूसरों के हितों की बात की है।
HCQ हो, वैक्सीन हो, खाद्यान्न हो या अन्य किसी भी प्रकार का सहयोग, भारत वास्तविक रूप में एक जिम्मेदारी वैश्विक शक्ति बनकर दुनिया के सामने आया है।