देश के पूर्व उपराष्ट्रपति डॉ हामिद अंसारी मोदी सरकार की आलोचना करने में कभी पीछे नहीं रहे हैं क्योंकि वो कभी कांग्रेस पार्टी के हित से ऊपर उठकर देश को देख ही नहीं पाए हैं। इसी कड़ी में अब उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपनी किताब के जरिए हमला बोला है कि पीएम उन पर हंगामे के दौरान राज्य सभा में बिलों को पास कराने का दबाव बनाते थे। हालांकि उनकी इस बात की पोल राज्यसभा के ही पूर्व अधिकारियों ने खोल दी है, जो ये साबित करता है कि राज्यसभा के सभापति की सीट पर बैठने के बावजूद वो पक्षपाती थे और कांग्रेस के साथ मिलकर षड्यंत्र रचते थे।
हामिद अंसारी ने हाल ही में अपनी किताब ‘बाय मैनी अ हैप्पी एक्सीडेंट’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। उन्होंने लिखा, “एक दिन अचानक प्रधानमंत्री मोदी मुझसे मिलकर हंगामे के बीच बिलों के पारित नहीं होने पर सवाल उठाने लगे, और कहा कि राज्यसभा से विधेयक पारित कराने में मैं अड़चन पैदा कर रहा हूं। पीएम ने मुझसे कहा, ‘आपसे बड़ी जिम्मेदारियों की उम्मीदें हैं लेकिन आप मेरी मदद नहीं कर रहे हैं।‘ एक तरह से हामिद अंसारी ने पीएम मोदी पर राज्यसभा के सभापति पर दबाव बनाने का गंभीर आरोप लगा दिया।
इस मामले में पीएम को घिरता देख राज्य सभा के पूर्व अधिकारियों और जिम्मेदारों ने इस मुद्दे पर हामिद अंसारी की ही क्लास लगा दी है औऱ उनके ही इस दावे पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उन्होंने कहा, “कांग्रेस के शासन के दौरान 13 विधेयकों को हंगामे के दौरान पास किया गया था। ये विधेयक 2007 से 2014 के बीच पारित किए गए थे।” साफ है कि हामिद अंसारी पहले हंगामे के दौरान अपनी पार्टा की सत्ता होने के चलते संवैधानिक मूल्यों की धज्जियां उड़ाते हुए बिल पास करवा देते थे लेकिन बीजेपी के सत्ता में आने के बाद वो अपनी ही नीति से पलटते हुए कांग्रेस के हित में काम करने लगे।
खबरों के मुताबिक कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए के कार्यकाल के दौरान हामिद अंसारी ने हंगामें के बीच जो बिल पास किए थे वो बेहद ही संवेदनशील थे। हामिद आंसारी अपने किताब के जरिए पीएम मोदी और बीजेपी पर हमले की प्लानिंग करके बैठे थे लेकिन वो बाद में अपने ही जाल में फंस गए। पूर्व सरकारी अधिकारियों की तरफ से आए बयान के बाद अब हामिद अंसारी ही सवालों के घेरे में आ गए हैं। ये कहा जाता है कि जब कोई व्यक्ति किसी संवैधानिक सीट पर बैठ जाता है तो वो किसी पार्टी की विचारधारा का अनुकरण करने का अधिकारी नहीं रह जाता है। उसे वो करना होता है जो कि राष्ट्रहित में हो लेकिन हामिद अंसारी इन सारी बातों को ताक पर रख चुके थे।
न्यूज 18 के पत्रकार बृजेश कुमार सिंह ने अपने लेख में भी इस बात का जिक्र किया है कि हामिद अंसारी के उपराष्ट्रपति पद के दौरान मोदी सरकार के तीन सालों में राज्यसभा में किसी भी बिल को पास करने में हद से ज्यादा अड़चने आ रही थी। बृजेश का मानना है कि हामिद के रहते राज्यसभा में किसी भी बिल को पास करना असंभव सी बात थी।
यूपीए से लेकर एनडीए तक के कार्यकाल में उन्होंने हंगामे के दौरान बिल पास कराने को लेकर जो नीतियां बदलीं वो इस बात का पर्याय है कि वो संवैधानिक पद पर बैठने के बावजूद कांग्रेस के हित में ही फैसला ले रहे थे। मोदी सरकार के किसी बिल को जब राज्य सभा में रोकना चाहती थी तो हंगामें कर देती थी जिसके चलते बकौल हामिद अंसारी जरूरी बिलों को पास नहीं करते थे, उनका बदला हुआ ये रवैया असल में उनका वैचारिक दोगलापन ही है।