व्यापारिक फायदे के लिए आज के दौर में बॉलीवुड के लोग दोगलेपन की सीमा को पार कर जाते हैं, वैसे तो इसमें कई सारे नाम हैं, लेकिन अपनी छवि को सकारात्मक बनाने के लिए सबसे ज्यादा ढोंग-पचीसी कोई करता है, तो वो हैं बॉलीवुड अभिनेता अक्षय कुमार । जनता का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए अब अक्षय कुमार ने राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा दिया है, साथ ही ये भी कहा है कि अन्य सभी लोगों को भी अपनी क्षमता के अनुसार चंदा अवश्य देना चाहिए। खास बात ये है कि राम मंदिर के लिए चंदा जमा करने की नौटंकी करने वाले यही अक्षय कुमार अपनी फिल्मों में हिन्दुओं के देवी देवताओं का अपमान करते हैं, और उनका बदला हुआ रुख ये दिखाता है कि असल में वो कितने दोगले हैं।
अक्षय कुमार ने राम मंदिर निर्माण के लिए चंदे को लेकर ट्विटर पर एक बड़ी ही भावनात्मक स्पीच दे दी है और कहा कि श्रीराम के लिए भक्तिभाव से काम करते हुए रामसेतु के निर्माण के लिए गिलहरी तक ने अपना योगदान दिया था। इसी तरह अब राम मंदिर निर्माण के लिए हमें भी चंदा देना चाहिए, और अपनी क्षमता के अनुसार इस शुभ कार्य में अपना योगदान देना चाहिए। अक्षय कुमार की बात सोलह आने सच है लेकिन सवाल ये है कि उनके जैसा सामाजिक व्यक्ति इतना दोगला कैसे हो सकता है, क्योंकि इन्होंने अपनी फिल्मों के जरिए हिन्दू समुदाय के देवी- देवताओं की भावनाओं को सबसे ज्यादा आहत किया गया है।
अक्षय कुमार की उस विवादित फिल्म ओह माई गॉड को कोई कैसे भूल सकता है जिसमें शिवलिंग पर दूध चढ़ाने की रीति का अपमान किया गया था और कहा गया था कि लोग दूध को किसी गरीब को दें। उस वक्त जब आलोचना हो रही थी तो अक्षय कुमार अपनी फिल्म और उसकी पूरी स्टारकास्ट के बचाव में उतर आए थे। यही नहीं उन्होंने एक साक्षात्कार में भी यही कहा था कि भगवान पर दूध और नारियल की बर्बादी की जाती है। हमें गरीबों और किसानों की मदद करनी चाहिए। इसके अलावा इन्हीं अक्षय कुमार ने खुद अपनी फिल्म ‘गुड न्यूज’ में भगवान राम के लिए आप्पतिजनक शब्दों का भी प्रयोग किया था जिसके चलते उनकी सोशल मीडिया पर काफी आलोचना की गई थी। वहीं हाल ही में दिवाली पर रिलीज हुई फिल्म ‘लक्ष्मी’ के नाम पर भी अक्षय को घेरा गया था क्योंकि ये पहले ‘लक्ष्मी बॉम्ब’ थी और इस फिल्म में बाद में काफी काट-छांट भी करनी पड़ी थी।
कनाडाई नागरिकता को लेकर हमेशा विवादों में रहने वाले अक्षय कुमार ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के किसानों के आंदोलन पर दिए बयानों पर भी चुप्पी साध रखी थी, क्योंकि ये व्यक्ति केवल दोगलेपन की नीति पर चल रहा है। ये व्यक्ति केवल उसी मुद्दे पर बयानबाजी करता हैं, जिसके जरिए भारत के एक बड़े वर्ग को अपने कार्यों से प्रभावित किया जा सके। राम मंदिर निर्माण को लेकर अक्षय द्वारा दिया गया चंदा असल में उसकी इसी दोगली और बहुसंख्यक तुष्टीकरण की नीति का उदाहरण है। अक्षय कुमार खुद को ज्यादा देश भक्त और आस्तिक दिखाने के लिए आए-दिन किसी न किसी तरह की नौटंकी करते रहते हैं जबकि उनकी असल नीति केवल और केवल पैसा कमाने की रही है, क्योंकि उनका टारगेट ऑडियंस भारत में है।
अक्षय कुमार जब भी मीडिया कवरेज से गायब होते हैं तो अपने समुद्र जैसे खजाने से दो चार करोड़ रुपए निकाल कर लोगों की नजरों में आ जाते हैं। अक्षय कुमार का दोगलापन सामने आ रहा है कि वो सनातन धर्म की पूजन पद्धति की आलोचना करने के बाद अचानक भगवान श्रीराम के प्रेमी क्यों हो गए। साफ है कि वो अपना व्यापारिक हित देखते हुए बात करते हैं, जिस तरफ देश की हवा बहती हैं, वो अपने हितों के लिए दोगलेपन की नीति के तहत बयानबाजी करने लगते है। राम मंदिर का चंदा इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।