जैसे-जैसे अमेरिका के मौजूदा राष्ट्रपति ट्रम्प के कार्यकाल की अंतिम तिथि पास आ रही है, वैसे-वैसे अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने यह चेतावनी दी है कि मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की 3 जनवरी को हत्या की सालगिरह को देखते हुए ईरान और उसके आतंकी साथी अमेरिकी सेना पर हमला कर सकते हैं। ईरानी नेता बार-बार जोर देकर कहते रहते हैं कि सुलेमानी के मौत का बदला अभी तक नहीं लिया गया है। अब इन चेतावनियों के मद्देनजर अमेरिका भी सावधान हो कर तैयारियों में जुट चुका है और ऐसा लगता है की बाइडन के व्हाइट हाउस में आने से पहले ही अमेरिका और ईरान के बीच युद्ध हो सकता है।
रिपोर्ट के अनुसार ईरानी हवाई सुरक्षा, समुद्री सेना और अन्य सुरक्षा यूनिट हाई अलर्ट पर हैं और अमेरिकी खुफिया विश्लेषकों का कहना है कि ईरान किसी भी वक्त अमेरिका से सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए हमला कर सकता है। उस स्थिति से निपटने के लिए ट्रम्प भी तैयार दिखाई दे रहे हैं। NYT की रिपोर्ट के अनुसार
बुधवार को अमेरिका ने अपनी वायु सेना के एफ -16 लड़ाकू विमान के साथ फ़ारस की खाड़ी और और ईरानी हवाई क्षेत्र के आस-पास B-52 बमवर्षक मिशन के तहत जायजा लिया। अधिकारियों ने कहा कि अमेरिकी युद्धक विमानों ने वापस लौटने से पहले लगभग दो घंटे तक खाड़ी क्षेत्र में भ्रमण किया। अमेरिकी वायु सेना ने 21 नवंबर और 10 दिसंबर को इसी तरह के बी -52 Bomber से हवाई जायजा लिया था। वहीं उस क्षेत्र में अमेरिका का सबसे अहम साथी इजयरल किसी भी स्थिति से निपटने के लिए सावधान है।
पिछले तीन हफ्तों में अमेरिका के मध्य कमान ने सऊदी अरब में लड़ाकू विमानों का एक अतिरिक्त स्क्वाड्रन तथा बॉम्बर भेजा है। यही नहीं, इस क्षेत्र में विमानवाहक युद्धपोत USS Nimitz भी तैनात है और लगभग एक दशक में पहली बार सार्वजनिक रूप से अमेरिका ने यह घोषणा की है कि एक टॉमहॉक-मिसाइल-फायरिंग पनडुब्बी भी उस क्षेत्र में मौजूद है। यानि देखा जाए तो ट्रम्प ईरान के किसी भी हरकत पर युद्ध के लिए तैयार हैं। अगर ईरान हमला नहीं भी करता है तो अमेरिका अपने खुफिया दावों के आधार पर हमला करने में सक्षम है और अगर अमेरिका Pre-emptive Strike के नाम पर हमले कर भी देता है तो हैरानी नहीं होगी।
बता दें कि पिछले वर्ष 3 जनवरी को अमेरिका ने एक ड्रोन हमला कर ईरान के Islamic Revolutionary Guards Corps मेजर जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराया था। इससे ईरान बिलबिला कर अमेरिका के खिलाफ युद्ध तक जाने की धमकी दे चुका है। हालांकि, अभी तक ईरान ने सार्वजनिक रूप से आस-पास के देशों में मौजूद अमेरिकी सेना पर हमले की बात नहीं स्वीकार की है, लेकिन उसके द्वारा समर्थित उग्रवादी दल लगातार हमले कर रहे हैं। पेंटागन के अनुसार पिछले एक साल में, इराक की Proxy सेनाओं ने 50 से अधिक रॉकेट हमला किया है, वहीं अमेरिकी सेना के साथ ही बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर भी हमले हुए हैं और अमेरिकी सैनिकों को आपूर्ति करने वाले काफिलों पर 90 हमले हुए हैं।
पिछले दिनों व्हाइट हाउस में वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक के बाद एक ट्विटर पोस्ट में ट्रम्प ने स्पष्ट कहा कि 20 दिसंबर को बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर हुए रॉकेट हमलों के पीछे ईरान था। उन्होंने लिखा था कि, “ईरान के लिए कुछ एक सलाह है कि अगर एक भी अमेरिकी की हत्या होती है तो मैं ईरान को जिम्मेदार ठहराऊंगा।”
Our embassy in Baghdad got hit Sunday by several rockets. Three rockets failed to launch. Guess where they were from: IRAN. Now we hear chatter of additional attacks against Americans in Iraq… pic.twitter.com/0OCL6IFp5M
— Donald J. Trump (@realDonaldTrump) December 23, 2020
कुछ दिनों पहले इजरायली मीडिया में यह दावा किया गया था कि राष्ट्रपति पद त्यागने से पहले ट्रम्प ईरान पर स्ट्राइक करने का फैसला ले सकते हैं। इसकी वजह से अब इज़रायली सेना को ईरान की किसी भी जवाबी कार्रवाई का मुक़ाबला करने के लिए तैयार होने को कहा गया था। यानि जैसी स्थिति बन चुकी है, उसके अनुसार युद्ध कभी भी छिड़ सकता है। सुलेमानी की हत्या का बदला लेने के लिए ईरान बेचैन है तो वहीं अमेरिका किसी भी ईरानी हमले को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए ईरान को चारो ओर से घेर चुका है।