कहते हैं जल में रहकर मगर से बैर नहीं करना चाहिए। परंतु चीन वो बला है कि वह शैतान के राजपाट पर भी कब्जा जमाके कह दे कि यह इलाका हमारा है। एक तरफ जहां चीन ने जापान को पहले से अधिक आक्रामक होने पर विवश किया, तो उसकी हेकड़ी के कारण अब भारत ने अन्य विकल्प साधने भी शुरू कर दिए हैं, जिसमें अब प्रमुख है चीन तक मार करने वाली परमाणु मिसाइलों को तैयार करना। चौंकिए नहीं! भारत का इरादा चीन को एक स्पष्ट संदेश देने का है – हमसे टकराने की सोचना भी नहीं, वरना बर्बाद हो जाओगे। इसी दिशा में भारत ने अपने घातक मिसाइलों में से एक, अग्नि V के प्रक्षेपण को फास्ट ट्रैक करने का निर्णय लिया है।
लेकिन इस मिसाइल में ऐसा भी क्या खास है, जिसके कारण भारत अब इसे चीन से निपटने हेतु ‘ब्रह्मास्त्र’ के तौर पर उपयोग में लाने को तैयार है? दरअसल, अग्नि V एक लंबी दूरी की घातक मिसाइल है जिसकी रेंज 5000 किलोमीटर से भी अधिक है। यह भारतीय सेना के लिए इतना अहम है कि उन्होंने समय पूर्व इस मिसाइल के प्रक्षेपण के लिए तैयारी कर ली थी, लेकिन अब चीन के बढ़ते खतरे को देखते हुए इस मिसाइल के इन्डक्शन को फास्ट ट्रैक करने पर जोर दिया जा रहा है।
ये मिसाइल इतना सटीक है कि एक ही वार में ये एक भरे पूरे शहर को तबाह कर सकता है, और चीन ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता कि ऐसा कोई भी मिसाइल उसके देश की तरफ तैनात हो। लेकिन चीन की हेकड़ी और उसकी गुंडागर्दी ने भारत को इस हद तक विवश किया है कि अब वो चीन के विरुद्ध अग्नि V तक को लॉन्च करने को तैयार है।
अब इससे भारत को फायदा क्या होगा? इस मिसाइल के ‘Canisterized’ फीचर इस बात का सूचक है कि चीन चाहे जैसे भी हमला करे, वो चाहे परमाणु मिसाइल ही क्यों न भेज दे, परंतु भारत न सिर्फ उसे ध्वस्त करेगा, बल्कि चीन के परमाणु हमलों का जोरदार जवाब भी देगा।
इसके अलावा भारत ऐसी तकनीक पर काम कर रहा है, जिससे पायलट रहित हवाई जहाजों के जरिए इन मिसाइलों को तय टारगेट पर लॉन्च करने में कोई समस्या नहीं हो।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि भारत ने चीन के स्वभाव को समझते अब और अधिक आक्रामक होने का निर्णय लिया है। इस दिशा में जापान जैसे देश भी कार्यरत है, और यदि दोनों ताकतें इस दिशा में एक हो गई, तो चीन को भागे रस्ता नहीं मिलेगा।