देश में वैश्विक महामारी कोरोनावायरस की एक स्वदेशी और एक विदेशी वैक्सीन के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी मिल चुकी है। राष्ट्रीय स्तर पर मुफ्त वैक्सीनेशन की प्रक्रिया के लिए सरकार ने काम करना भी शुरू कर दिया है; लेकिन वैक्सीन को लेकर देश में राजनीतिक नौटंकी भी शुरू हो गई है, जिसकी कमान समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव यानी ‘टीपू’ ने खुद संभाल ली है। सपा प्रमुख को लगता है कि वैक्सीन बीजेपी की है, इसलिए वो अपनी सरकार में नई वैक्सीन बनाएंगे। वहीं, उनके कार्यकर्ताओं को डर है कि वैक्सीन के जरिए बीजेपी जनता को नपुंसक बनाने से लेकर मारने तक की प्लानिंग कर रही है। सबसे हास्यास्पद बात ये है कि हाशिए पर जा चुकी कांग्रेस भी अखिलेश के इन बुतुके तर्कों को सही बता रही है।
अच्छे काम पर भी कुछ लोगों की आदत टांग खींचने की होती है। समाजवादी पार्टी और उनके नेताओं ने कुछ वैसे ही राजनीतिक कौशल का परिचय दिया है। अखिलेश यादव ने वैक्सीन का विरोध करते हुए कहा, “मैं तो अभी वैक्सीन नहीं लगवाऊंगा। मैनें अपनी बात कह दी है। बीजेपी लगाएगी तो मैं उसका भरोसा कैसे करूं? अपनी सरकार आएगी तो सबको फ्री में वैक्सीन लगेगी। हम बीजेपी की वैक्सीन नहीं लगवा सकते हैं।” ये बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि चिकित्सीय वस्तुओं पर भी देश में घटिया राजनीति हो रही है। उससे भी बेतुकी बात तो ये है कि आस्ट्रेलिया से कथित शिक्षा लेकर आए अखिलेश यादव इस तरह की तत्वहीन बात कर रहे हैं।
अब नेता जी ने बोला कौआ नाक ले गया तो चेले निकल पड़े कौआ ढूंढने। अखिलेश के बयान पर उनके एक कार्यकर्ता बंधू चार कदम और आगे बढ़ गए। वैक्सीन को नपुंसकता और जनसंख्या नियंत्रण की प्लानिंग समेत मारने तक से जोड़ डाला। अखिलेश के बयान पर सपा विधायक आशुतोष सिन्हा ने कहा, “’हो सकता है बीजेपी वाले बाद में कह दें कि हमने जनसंख्या कम करने और नपुंसक बनाने के लिए वैक्सीन लगा दी। सपा सुप्रीमो ने तथ्यों के आधार पर ही बयान दिया होगा, हमें लगता है कि कहीं ना कहीं उस वैक्सीन में ऐसी चीज होगी कि नुकसान हो जाए।” कोरोनावायरस की वैक्सीन को लेकर समाजवादी पार्टी और उसके अध्यक्ष अपने ‘सामान्य ज्ञान’ का परिचय दे रहे हैं।
अखिलेश यादव का बयान था और बात मोदी विरोध की थी तो कांग्रेस मैदान में न उतरे, ऐसा हो सकता है क्या? कांग्रेस ने भी टीपू के बेतुके बयान का समर्थन कर डाला। कांग्रेस नेता और प्रवक्ता राशिद अल्वी ने कहा, “जिस तरीके से केंद्र सरकार सीबीआई, आईबी, ईडी, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट का इस्तेमाल विपक्ष के खिलाफ कर रही है, तो वैक्सीन तो एक ऐसी चीज है जिसका आम आदमी के साथ निश्चित तौर से इसका इस्तेमाल नहीं होगा, लेकिन विपक्ष के नेताओं को डर तो लगेगा; क्योंकि ऐसे हाथों में सरकार है, जो देश के विपक्ष को या तो जेल में देखना चाहती है या उनकी राजनीति खत्म करना चाहती है, तो अखिलेश यादव के बयान को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।”
कितना अजीब तर्क है कि मानवता के संरक्षण के लिए वैज्ञानिकों और डाक्टरों के वैक्सीन बनाने के श्रम पर एक ऐसे नेता ने प्रश्न चिन्ह लगा दिए, जिसे जनता पिछले 6 सालों से भाव नहीं दे रही है। फिर भी उनके कुछ अंधभक्त कार्यकर्ता इस मुद्दे पर उनकी जी हजूरी कर रहे हैं। दुर्भाग्यपूर्ण बात ये भी है कि राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के नेता भी ऐसे बयानों के समर्थन में उतर आए हैं। ये एक अफवाह और अस्थिरता फैलाने की कोशिश है। कुछ इसी तरह से पोलियो की दो बूंद को लेकर देश के एक बड़े तबके में नपुंसकता का भ्रम फैलाया गया था जिसके कारण भारत को पोलियो मुक्त होने में अन्य देशों की अपेक्षा ज्यादा वक्त लगा था।
अखिलेश यादव सरीखे नेता ने जिस तरह से इस वैक्सीन से जुड़े जनमानस के मुद्दे पर बेहूदा बयान देकर वैक्सीन की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए हैं, वो अखिलेश के आस्ट्रेलियाई शिक्षा के ज्ञान समेत उनकी संकुचित सोच पर सवाल खड़े करता है।