इन दिनों चीन की आँखें भारत पे गड़ी हुई है। पूर्वी लद्दाख में भारत को भड़काने के प्रयासों में असफल रहने के बाद अब उसने अरुणाचल और सिक्किम की ओर अपनी नजरें गड़ाई हैं। लेकिन चीन को बिल्कुल भी आभास नहीं है कि भारत उसी के तौर तरीकों का प्रयोग कर उसे मुंहतोड़ जवाब देने की तैयारी कर रहा है।
हाल ही में भारत ने LAC से कुछ गज की दूरी पर एक रणनीतिक मिलिट्री बेस तैयार करने का निर्णय किया है। टाइम्स नाऊ की रिपोर्ट के अनुसार, “अरुणाचल प्रदेश में चीनी घुसपैठ को रोकने के लिए रक्षा मंत्रालय ने अरुणाचल प्रदेश में रणनीतिक रूप से अहम भूमि का अधिग्रहण किया है। यह भूमि पश्चिम सियांग के Yorni II नामक गाँव में स्थित है। यह मिलिट्री बेस चीन द्वारा Nyingchi के विवादित क्षेत्र में बन रहे ढांचे का मुकाबला करने के लिए है”
बता दें कि Nyingchi में चीन ने एक गाँव का निर्माण शुरू किया है, जो रणनीतिकारों के अनुसार भारत को ध्यान में रखकर बनाया जा रहा है। इसको लेके कुछ न्यूज पोर्टल्स ने यह भी अफवाह फैलाने का प्रयास किया था कि चीन यह निर्माण भारतीय क्षेत्र में कर रहा है, जबकि इस क्षेत्र पर किसी का भी आधिकारिक रूप से दावा नहीं रहा है। लेकिन बात केवल यहीं तक सीमित नहीं है।
Yorni II में जमीन अधिग्रहित कर मिलिट्री बेस स्थापित करने के पीछे भारत के दो प्रमुख उद्देश्य है – अपनी सैन्य शक्ति को और मजबूत करना, और चीन को उसी की भाषा में जवाब देना। चीन भारत को मानसिक रूप से प्रभावित करने के लिए बॉर्डर के आसपास, नहीं तो बॉर्डर पार कर निर्माण कर सकता है, और भारत अपने शांतिपूर्ण स्वभाव के कारण प्रत्युत्तर में कोई निर्माण नहीं करता।
इसी नीति के कारण 1962 में भारत को रणनीतिक रूप से पराजय का सामना करना पड़ा था, और चीन की इसी रणनीति के कारण 1967 में दोनों के बीच भयंकर युद्ध हुआ था, जिसमें चीन को अप्रत्याशित पराजय का सामना करना पड़ा था। लेकिन डोकलाम में बिना गोली चलाए चीन को उसकी औकात बताने के बाद भारतीय सेना ने अपने तेवर ही बदल लिए हैं।
अब रणनीतिक रूप से अहम क्षेत्रों में भारत न केवल निर्माण को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि चीन की गीदड़ भभकियों को ठेंगे पर रख अपना काम भी कर रहा है। गलवान घाटी में हमला ही इसी बात पर हुआ था कि चीन पूर्वी लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी में स्थित एयरस्ट्रिप से लेकर लेह तक जाने वाली रोड के निर्माण को लेकर आपत्ति जता रहा था।
लेकिन गलवान घाटी के हमले के बाद से भारत ने उलटे सैन्य इन्फ्रस्ट्रक्चर के निर्माण में और तेज़ी लाने की ओर ध्यान दिया है, चाहे वो सड़क, मिलिट्री बेस हो, या फिर आवश्यक हथियारों की खरीद। अब अरुणाचल प्रदेश में जिस प्रकार से भारत ने LAC के निकट रणनीतिक रूप से अहम क्षेत्र में मिलिट्री बेस बनाने का निर्णय लिया है, उससे स्पष्ट संदेश जाता है कि भारत चीन से किसी भी स्थिति में, और किसी भी मोर्चे पर लड़ने को तैयार है, और आवश्यकता पड़ने पर उसी के तौर तरीकों से उसे मात देने को भी तैयार है।