भारतीय रेलवे भारत में अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अब भारतीय रेल ने एक और कीर्तिमान स्थापित करते हुए विश्व के सबसे पहले रेल हॉस्पिटल का निर्माण किया है। इस ट्रेन को ‘लाइफलाइन एक्सप्रेस’ का नाम दिया गया है।
रेल मंत्रालय ने ट्विटर के जरिए हॉस्पिटल ट्रेन की तस्वीरें शेयर की हैं। रिपोर्ट के अनुसार अभी यह लाइफलाइन एक्सप्रेस ट्रेन असम के बदरपुर स्टेशन पर तैनात है। इस हॉस्पिटल ट्रेन में अत्याधुनिक तकनीकी उपकरण के साथ-साथ, डॉक्टर्स की टीम भी है। यही नहीं, 2 मॉर्डन ऑपरेशन थिएटर और 5 ऑपरेटिंग टेबल सहित कई उच्च स्तर की सुविधाएं उपलब्ध हैं।
India’s only and the World’s first hospital train:
"The Lifeline Express" train is presently stationed at the Badarpur stn in Lumding Div. of NFR in Assam serving patients free of costThe train is equipped with 2 modern operation theatres,5 operating tables & other facilities. pic.twitter.com/sOUDdW5qn3
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) January 2, 2021
इस हॉस्पिटल के निर्माण के बाद अब यह कहना गलत नहीं होगा कि कोरोना जैसी आपदा को अगर किसी ने अवसर में बदला है तो भारतीय रेलवे है। हर दिन करोड़ों लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने वाली भारतीय रेलवे कोरोना के खिलाफ लड़ने में भी अब तक अव्वल रही है। समय रहते ट्रेनों को कैंसल करने से लेकर लोगों की भलाई के लिए अपने डॉक्टरों को मैदान में उतारने तक, रेलवे ने शुरू से कोरोना के रोकथाम में अपनी बड़ी भूमिका निभाई है। रेलवे ने अपने 20 हज़ार AC और नॉन AC बोगियों को अस्पतालों में बदलने का भी फैसला लिया था। यही नहीं, भारतीय रेलवे ने स्टेशनों पर ऑटोमेटिक टिकट चेकिंग मशीन समेत कई सुविधाओं को शामिल कर रेलवे का स्वरूप ही बदल दिया है। कोरोना संक्रमण के समय में हाईटेक होते जा रहे रेलवे ने मेडिकल असिस्टेंट रोबोट समेत तमाम आधुनिक मशीनों की शुरुआत की है।
कोविड-19 महामारी के प्रसार के खिलाफ लड़ाई में, सेंट्रल रेलवे (सीआर) के मुंबई डिवीजन ने एक स्वास्थ्य सहायक रोबोट ‘रक्षक’ तैयार किया है, जो डॉक्टर और रोगी के बीच संवाद कर सकता है।
यह रोबोट मरीजों का तापमान, ऑक्सीजन प्रतिशत और डिस्पेंसर सैनिटाइज़र स्वचालित, इंफ्रारेड सेंसर जैसे स्वास्थ्य मापदंडों को मापने में सक्षम है। यह रोगियों को दवाइयां, भोजन भी प्रदान कर सकता है और डॉक्टर और रोगी के बीच वीडियो संचार कर सकता है।
रेलवे ने अपने 20 हजार coaches को isolation ward में बदलने का फैसला भी लिया था, जिससे इससे 3 लाख 20 हज़ार isolation beds बनाए गए थे। भारतीय रेलवे ने कोरोनावायरस महामारी के दौर में प्रवासी श्रमिकों को रोजगार भी दिया है। भारतीय रेलवे ने ‘गरीब कल्याण रोजगार अभियान’ के तहत 6 राज्यों बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 6.40 लाख से भी अधिक मानव कार्य दिवस जेनरेट किए हैं। रेलवे ने ‘शेषनाग’ चलाकर 2.8 Km लंबी ट्रेन चलाने का कीर्तिमान रचा है, साथ ही SETU यानि स्विफ्ट एंड एफ़िशिएंट ट्रांसपोर्ट ऑफ़ यूटिलिटीज़ का शुभारंभ किया जिससे सप्लाइ ओर डिमांड के अंतर को कम किया गया। यह एक वन- स्टॉप हेल्पलाइन है जिसकी मदद से सभी सामान और यात्री परिचालन के साथ-साथ ग्राहक सेवा पूरी तरह से ऑनलाइन होती है।
भारतीय रेल ने अपने इतिहास में पहली बार 22 मार्च को सभी यात्री ट्रेनों को निलंबित कर दिया था, लेकिन ऐसा नहीं था कि देश की यह लाइफलाइन निष्क्रिय थी। कोरोना के समय को भारतीय रेल ने खुद के इनफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में इस्तेमाल किया।
रेलवे वैसे तो देश की लाइफ़लाइन के तौर पर काम करता ही है, लेकिन जिस तरह कोरोना महामारी के समय में इससे निपटने के लिए रेल मंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में रेलवे काम कर रहा है, वह सराहनीय है। कभी रेलवे असफरशाही, गंदगी और लेट-लतीफी के लिए बदनाम था, अब यह सफाई, अच्छी सेवा और नई-नई पहल को अंजाम देने के लिए खबरों में रहता है। भारत का रेलवे New India के सपने को साकार करने में अपनी पूरी भूमिका निभा रहा है।