डोनाल्ड ट्रम्प भले ही व्हाइट हाउस छोड़ रहे हों, लेकिन उनकी विरासत आने वाले कई वर्षों तक याद की जाती रहेगी। इन विरासतों में पश्चिमी एशिया के देशों के साथ इजरायल की शांति स्थापना सबसे महत्वपूर्ण है। यह उनकी विरासत ही है जिसके वजह से अरब दुनिया और इजरायल के बीच अब राजनयिक संबंध स्थापित हो चुके है। इसी का परिणाम अब देखा जाए तो सऊदी अरब में होने वाले Dakar Rally विशेष थी।
रैली में दो ऐसी टीमें थीं जिनकी उपस्थिति एक साल पहले अकल्पनीय थी यानी वे इजरायली थी। वार्षिक आयोजन के लिए कुल दस इज़राइली चालक, नाविक और सहायक कर्मचारी सऊदी अरब आए थे। सीधे शब्दों में कहें तो ट्रम्प ने हमें एक ऐसी दुनिया दी जिसमें सऊदी अरब के अंदर इजरायल के पासपोर्ट का स्वागत किया जा रहा है। लेकिन अब ऐसा लगता है कि बाइडेन के सत्ता में आने के बाद इन देशों के बीच शांति भंग हो सकती है।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि सऊदी अरब मुस्लिम दुनिया का निर्विवाद नेता है। परंपरागत रूप से, यह फिलीस्तीन का एक प्रबल समर्थक भी था। साथ ही इसने इजरायल के साथ आधिकारिक या राजनयिक संबंध बनाए रखने से इनकार कर दिया। और फिर, सऊदी के मौलवियों का पूर्वाग्रह अन्य अरब देशों पर हावी रहता था।
लेकिन पिछले साल से कई चीजें बदल चुकी है। ट्रम्प प्रशासन ने अरब देशों जैसे यूएई, बहरीन, मोरक्को और सूडान के साथ इजरायल के बीच “Abraham Accords” करवा कर इतिहास रच दिया। सऊदी अरब ने अरब मुस्लिम दुनिया के निर्विवाद नेता के रूप में ऐसे समझौतों को अंतिम रूप देने पर सहमति व्यक्त की।
अब परिणाम भी दिखना शुरू हो चुका है। हालांकि सऊदी अरब और इज़राइल अभी तक औपचारिक रूप से “Abraham Accords” पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं, लेकिन दोनों राष्ट्र पहले से ही एक दूसरे को गले लगा चुके हैं। उनके बीच वाणिज्यिक, सांस्कृतिक और यहां तक कि सामरिक संबंध मजबूत हो रहे हैं। यही कारण है कि रियाध ने इजरायल के विमानों को सऊदी हवाई क्षेत्र से पार करने की भी अनुमति दी है, जिससे उसके विमानों की उड़ान अवधि भी कम हो गई है।
इन सभी का कारण फिलिस्तीन मुद्दे की प्रासंगिकता समाप्त होना है जिसमे ट्रंप ने बेहद अहम भूमिका निभाई है। अरब, जो स्वयं एक प्रमुख अमेरिकी सहयोगी हैं, उसने भी फिलीस्तीन मुद्दे समर्थन वापस खींच कर अप्रासंगिक बनने में मदद की। फिलिस्तीन ही इजरायल और अरबों के बीच विभाजन का मुख्य कारण था।
लेकिन अब ट्रंप के जाने के बाद , व्हाइट हाउस में बाइडेन लॉबी सत्ता संभाल चुकी है जिससे पश्चिमी एशिया में टकराव बढ़ने की आशंका बढ़ चुकी है। बाइडेन के राज्य सचिव नॉमिनी टोनी ब्लिन्केन ने पहले ही सुझाव दिया है कि फिलिस्तीन मुद्दा वापस जीवित हो सकता है।
ब्लिंकन ने संकेत दिया है कि बिडेन एक अलग फिलिस्तीन देश के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। उन्होंने कहा कि, “Two-state solution के जरिए ही इजरायल को एक यहूदी, लोकतांत्रिक राज्य के रूप में भविष्य को सुनिश्चित करने और फिलिस्तीनियों को एक देश दे कर इस मुद्दे को सुलझाया जा सकता है।”
फ़िलिस्तीन मुद्दे को पुनर्जीवित करने का कोई भी प्रयास अभी बने संतुलन को आसानी से प्रभावित कर सकता है जो अरब देशों और इज़राइल ने ट्रम्प की सफल मध्यस्थता के साथ हासिल किया है।
यदि फिलिस्तीन का मुद्दा उठता है, तो रियाध और अन्य अरब देशों को फिर से इजरायल की आलोचना शुरू करने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
ट्रम्प ने एक ऐसा शांतिपूर्ण समाधान किया है जिससे अब इजरायली सऊदी अरब में कारों रेसिंग कार सकते है लेकिन बाइडेन के अब आने से यह सपना भी मुश्किल में पड़ चुका है।