एमेजॉन की वेब सीरीज तांडव अपने घृणास्पद कॉन्टेन्ट के लिए पिछले कई दिनों से विवादों के घेरे में है। अली अब्बास ज़फ़र द्वारा निर्देशित इस सीरीज में जिस प्रकार से हिन्दू संस्कृति को निशाना बनाया गया है, उससे कई लोग आक्रोशित हैं और उन्होंने इस सीरीज़ के निर्माताओं एवं लेखकों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की मांग की है।
लेकिन इस पर न्यू यॉर्क टाइम्स का रुख कुछ अलग ही है। उनके अनुसार इस सीरीज के प्रति जो विरोध जताया जा रहा है, उसके कारण अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में पड़ सकती है। उनके ट्वीट से ही आपको उनकी मंशा पता चल सकती है, जहां लिखा है, “एमेजॉन और नेटफ़्लिक्स जैसी मेजर स्ट्रीमिंग सेवाएँ अब हिन्दू राष्ट्रवादी पार्टी के दमन चक्र में फंस चुकी है, जिसके अंतर्गत देश के कुछ सफलतम कलाकारों पर निशाना साधा जा रहा है” –
Major streaming services like Amazon and Netflix are increasingly finding themselves caught in the middle as India’s Hindu nationalist ruling party ratchets up the pressure on some of the country’s most successful artists. https://t.co/QGIZ3AVig2
— The New York Times (@nytimes) January 19, 2021
अब इसका क्या तात्पर्य समझें? दरअसल, न्यू यॉर्क टाइम्स ने जिस प्रकार से इस लेख को लिखा और प्रकाशित करवाया है, और जिस प्रकार से हिन्दू विरोधी कॉन्टेन्ट के प्रति जनविरोध को ‘तानाशाही’ से जोड़ने का प्रयास किया है, उससे स्पष्ट है कि अब न्यू यॉर्क टाइम्स को भी पता चल चुका है कि अब वामपंथियों के जाल में कोई नहीं फँसने वाला, और न ही उनकी दलील सुनने को कोई तैयार होगा।
न्यू यॉर्क टाइम्स की कुंठा को आप उनके लेख के इस अंश से ही समझ सकते हैं, जहां उन्होंने लिखा है, “पुलिस आयोजित हत्याओं के साक्षी उत्तर प्रदेश के प्रशासन को इस सीरीज से विशेष आपत्ति है। इस राज्य की बागडोर मोदी के सबसे करीबी साथियों में से एक, एक हिन्दू बाबा [योगी आदित्यनाथ] के हाथ में है, जिन्होंने इस सीरीज के विरुद्ध मुकदमा करते हुए कहा है कि यह हमारे प्रधानमंत्री को बेहद नकारात्मक छवि में दिखाता है। सोमवार को प्रशासन के कुछ अफसरों ने चेतावनी भी दी कि इस सीरीज के निर्माता गिरफ़्तारी के लिए तैयार रहे।
पिछले कुछ महीनों में मोदी सरकार से जुड़े अफसरों ने कई फिल्म कलाकारों पर अपनी नकेल कसनी शुरू कर दी है। आलोचकों के अनुसार ये दबाव एक तरह से हिन्दू राष्ट्रवाद के विरुद्ध उठने वाली हर आवाज को दबाने के लिए डाला जा रहा है, ताकि भारत हिन्दू राष्ट्र में परिवर्तित हो, जहां अल्पसंख्यकों का शोषण किया जा सके।”
लेकिन इस लेख पर आपत्ति जताने की कोई जरूरत नहीं, क्योंकि ये वही न्यू यॉर्क टाइम्स है, जिसने भारत द्वारा मंगल पर अपना पहला ही मिशन साफ होने पर एक बेहद अपमानजनक कार्टून प्रकाशित कराया था। ऐसे में जब इन्हे इस जन विरोध में हिन्दू राष्ट्र की ‘तानाशाही’ का खतरा दिख रहा है, तो मतलब स्पष्ट है कि अब वामपंथियों की दाल नहीं गल रही है और उन्हे जनता जवाब देना जान गई है।
जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश की कार्रवाई से न्यू यॉर्क टाइम्स बेचैन हो रही है, उससे स्पष्ट होता है कि निशाना बिल्कुल सही जगह लगा है। न्यू यॉर्क टाइम्स को अब यह समझ जाना चाहिए कि यह वो भारत नहीं है, जो अपने संस्कृति के अपमान को शिष्टता के नाम पर भुला देती थी, और रचनात्मकता के नाम पर सनातन संस्कृति को हर बार अपमानित नहीं किया जा सकता।