जब इमरान खान ने सत्ता संभाली थी, तो ये आशा की गई थी कि वे पाकिस्तान में शांति और समृद्धि को बढ़ावा देंगे, परन्तु हुआ ठीक उल्टा। अब स्थिति यह हो चुकी है कि संयुक्त राष्ट्र के अफसर ही पाकिस्तानी हवाई जहाज़ों में सफर नहीं करना चाहते, क्योंकि अधिकांश पाकिस्तानी पायलटों के लायसेंस फर्जी जो निकल रहे हैं।
हाल ही में एक अप्रत्याशित निर्णय में संयुक्त राष्ट्र ने अपनी स्टाफ को आगाह किया है कि वे कुछ भी करें, पर किसी भी पाकिस्तानी हवाई जहाज में सफर ना करे, चाहे वो पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस ही क्यों ना हो। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा प्रबंधन सिस्टम के बयान के अनुसार, “फर्जी लायसेंस पर सिविल एविएशन अथॉरिटी के एक विचाराधीन मामले के कारण हम यह सलाह देते हैं कि हमारे सदस्य पाकिस्तान में पंजीकृत हवाई जहाज़ों की सेवाओं का उपयोग ना करें”
ये संयुक्त राष्ट्र से संबंधित सभी अहम संगठनों के लिए लागू होता है, फिर चाहे वह World Health Organization (WHO) हो, UN High Commission for Refugees हो, UN Development Programme हो या फिर Food and Agriculture Organization जैसे संगठन ही क्यों ना हो। इस दिशानिर्देश का स्पष्ट अर्थ है कि कोई भी UN अफसर, जो पाकिस्तान में काम करता है, वह पाकिस्तान में या पाकिस्तान के बाहर किसी भी पाकिस्तानी हवाई जहाज की सेवा नहीं ले सकता।
इसपर विपक्षी पार्टी के नेताओं ने तुरंत इमरान खान और एविएशन मंत्री गुलाम सरवर खान का इस्तीफा मांगा है।
Pakistani Muslim League – Nawaz (PML-N) की उपाध्यक्ष मरियम नवाज़ ने ट्वीट किया, “पाकिस्तान अपने नकारा, अयोग्य और चाटुकार सरकार की अकर्मण्यता की कीमत चुका रही है” उन्होंने आगे कहा, “जिस प्रकार से ये नौसिखिए चीज़ें संभाल रहे हैं, उसके कारण दुनिया भर में हमें जलील होना पड़ता है। पहले दुनिया भर में हमारे पायलटों की बेइज्जती होती थी और अब हमारे एयरलाइंस का यह हाल है। ऐसे दिन कभी भी पाकिस्तान ने नहीं देखे होंगे।”
दिसंबर 2020 में European Union Aviation Safety Agency (EASA) ने PIA पर लगे प्रतिबंध को तीन महीने और बढ़ा दिया। यह प्रतिबंध 2019 के जुलाई माह में लगा था, क्योंकि PIA सुरक्षा मानकों पर बिल्कुल भी खड़ा नहीं उतर रहा था।
इन सबके पीछे एक प्रमुख कारण था – पाकिस्तानी पायलटों के पास उपलब्ध फर्जी लायसेंस, जिसके कारण अब उन तक पाकिस्तानी एयरलाइंस की सेवा लेने से पहले सौ बार सोचेगा। इससे ना सिर्फ पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनामी होगी, बल्कि इमरान खान की सरकार की एक बार फिर मिट्टी पलीद होगी।