जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है। जिस प्रकार से चीनी प्रशासन की निरंकुशता दिन-प्रतिदिन सभी सीमाएँ लांघ रही है, उससे अब कोई भी अपरिचित नहीं है। परंतु अब चीनियों ने अपनी सनक में एक और दांव चला है। चीनियों ने अपने सैनिकों को ऐसी तकनीक से लैस किया है कि उनका जीवन मृत्यु, सब CCP के हाथों में है।
पर ऐसे कैसे? NTD की रिपोर्ट के अनुसार चीनी सेना ने अपने सैनिकों को ऐसी तकनीक से लैस किया है जिससे तैमूर, बाबर और अहमद शाह अबदाली जैसे आक्रान्ताओं की याद आ जाए। दरअसल, चीनी सैनिकों के गियर में एक डिवाइस लगा है, जो ‘Self Destructable’ होगा, यानि अगर चीनी सैनिक मोर्चे से भागने का प्रयास करेंगे, तो उनका वहीं नाश हो जाएगा।
जी हाँ, आपने ठीक सुना। अब चीनी जियें चाहे मरें, बॉर्डर पर तैनात सैनिकों की बागडोर अब चीनी सरकार के हाथ में होगी, और जो उनकी बात नहीं मानेगा, उसका सर्वनाश होगा। इस निर्णय से स्पष्ट पता चलता है कि चीनी सरकार रणनीतिक से लेके कूटनीतिक मोर्चे पर किस प्रकार से असफल हुई है।
अपने सैनिकों को ‘Self-Destruct’ डिवाइस से लैस करना इसी बात का सूचक है कि किस प्रकार से चीनी प्रशासन अपना सुध बुध खो बैठी है, क्योंकि उन्हें अपने सैनिकों पर अब तनिक भी भरोसा नहीं रहा। लेकिन ये तो कुछ भी नहीं है। चीनी प्रशासन को ढूँढे से भी पर्याप्त सैनिक नहीं मिल पा रहे हैं, जिसकी खुन्नस वह इस प्रकार के ऊटपटाँग निर्णयों के जरिए निकाल रहें हैं।
कुछ दिनों पहले गूआंगझी जुआँग प्रांत के दो युवकों को ‘देशद्रोही’ घोषित किया गया, और उन्हें अनिश्चितकाल तक कोई नौकरी नहीं दी जाएगी, चाहे वो सरकारी हो या फिर निजी। दोनों युवकों को चीन की अनिवार्य सैन्य सेवा के अंतर्गत भर्ती किया गया था, लेकिन सेना के बर्बर अधिनियमों और उनके अजीबोगरीब नियमावली को मानने से दोनों युवकों ने मना कर दिया था।
इसके अलावा अभी हाल ही में चीनी सेना को एक विशाल रिक्रूटमेंट अभियान रद्द करना पड़ा है। नवंबर में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार चीन को PLA के लिए सैनिक ढूँढने से भी नहीं मिल रहे हैं। चीन के युवा अब सेना की बजाय अन्य आकर्षक नौकरियों में जाना पसंद कर रहे हैं, जिससे PLA के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है।
इसके अलावा एक और कारण भी है जिससे चीन को अपनी सेना के लिए कुशल सैनिक नहीं मिल पा रहे हैं, और वह है ‘वन चाइल्ड नीति’। कई सारी मीडिया रिपोर्ट्स और शोध इस बात का दावा करते हैं कि चीनी सेना “one child policy” के तहत जन्में इकलौते बच्चों से भरी पड़ी है, जिन्हें बड़े ही लाड़-प्यार से पाला गया होता है, और उनमें लड़ने का ज़रा भी हौसला नहीं होता। इसका एक उदाहरण कई महीनों पहले देखने को मिला था, जब भारत तिब्बत बॉर्डर पर तैनाती के लिए जा रहे नए चीनी सैनिकों में से कुछ फूट-फूट के रो रहे थे, मानो उन्हें जबरदस्ती भेजा जा रहा हो।
ऐसे में जिस प्रकार से चीनी प्रशासन ने अपने सैनिकों को ‘Self Destruct’ डिवाइस से लैस किया, उससे स्पष्ट पता चलता है कि चीनी प्रशासन अपनी सनक में किस हद तक जा सकता है, और आखिर क्यों वह यह बात नहीं स्वीकार पा रहा है कि इस समय उसकी सेना बेहद कमजोर स्थिति में है।