TMC की हिंदुत्व छवि सेट करने में प्रशांत किशोर को दो साल लगे, नुसरत ने अपने एक ट्वीट से दो साल की मेहनत पर फेरा पानी

सब किये कराए पर पानी फेर दिया!

इस समय प्रशांत किशोर से अधिक अभागा व्यक्ति इस दुनिया में कोई न होगा। बेचारे इतने वर्षों तक अपने क्लाइंट की छवि सुधारने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं, लेकिन तृणमूल कांग्रेस के सांसद और राजनेता अपनी हरकतों से उनके सारे किये कराए को मटियामेट कर देते हैं, जैसे अभी हाल ही में TMC सांसद नुसरत जहां ने किया।

जय श्री राम के नारे लगने पर ममता बनर्जी जिस प्रकार से नाराज होकर गईं, उसपर नुसरत जहां ने ट्वीट किया, “राम का नाम गले लगाके बोलो न कि गला दबाके। सरकारी समारोह में राजनीतिक और धार्मिक नारे लगाए जाने का मैं पुरजोर विरोध करती हूं, खासकर तब जब स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के जन्मदिन की 125वीं वर्षगांठ मनाई जा रही हो”।

इस ट्वीट से नुसरत ने एक तीर से दो शिकार किये। न केवल उन्होंने हिन्दू धर्म के प्रति अपनी सोच को जगजाहिर किया, बल्कि प्रशांत किशोर द्वारा कई वर्षों से जो उनकी छवि तैयार की जा रही थी, उसे भी बुरी तरह ध्वस्त कर दिया। बता दें कि जय श्री राम के नारे लगाए से ममता बनर्जी इतनी चिड़ गईं कि उन्होंने विक्टोरिया मेमोरियल के समक्ष आयोजित हो रहे नेताजी के जन्मदिन के 125 वीं वर्षगांठ के अवसर पर जनता को संबोधित करने से ही मना कर दिया।

अब आप सोच रहे होंगे कि इस घटना का प्रशांत किशोर की इमेज बिल्डिंग से क्या संबंध? संबंध है, क्योंकि भाजपा जिस प्रकार से आक्रामक तरीके से प्रचार करवा रही है, उससे स्पष्ट है कि बंगाल के विधानसभा चुनाव बिल्कुल भी एकतरफा नहीं होंगे। ऐसे में प्रशांत किशोर ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को एक ऐसी पार्टी के रूप में प्रदर्शित करना चाहते थे, जो न केवल सबको साथ लेकर चले, बल्कि हिन्दुत्व के विषय पर भी कोई समझौता न करे।

संयोगवश जब प्रशांत किशोर ने बंगाल चुनाव के लिए तृणमूल कांग्रेस का दामन थामा, तो नुसरत जहां ने भी जैन उद्योगपति निखिल जैन से हिन्दू रीति रिवाजों के अनुसार विवाह किया। इसीलिए जब लोकसभा में सांसदों के शपथग्रहण के दौरान नुसरत जहां एक नवविवाहिता के रूप में सिंदूर व शृंगार सहित शपथ लेने आई, तो ये स्पष्ट हो गया कि प्रशांत किशोर पार्टी की छवि बदलने के लिए किस हद तक जा सकते हैं। नुसरत जहां ने इसके अलावा कई हिन्दू त्योहारों, जैसे नवरात्रि, करवाचौथ इत्यादि में भी बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया। इस दौरान नुसरत जहां के खिलाफ फतवा भी जारी किया गया, परंतु इससे नुसरत जहां पर कोई प्रभाव नहीं दिखा। यहां तक कि ममता भी इसके लिए अपनी पार्टी की नेता के खिलाफ या पक्ष में कुछ भी बोलने बचती नजर आयीं। ममता की छवि इसके जरिए ऐसी बनानी की कोशिश की गई जो भाजपा के आरोपों के विपरीत सेक्युलर दिखें जो सभी धर्म का सम्मान करती है।

परंतु ममता बनर्जी की राम नाम से चिढ़ और नुसरत जहां की इस घटना पर टिप्पणी ने टीएमसी के असली चेहरे को सबके सामने रख दिया है।

कुल मिलाकर प्रशांत किशोर नुसरत जहां को तृणमूल की पोस्टर गर्ल के तौर पर पेश करना चाहते थे, जो धर्मनिरपेक्ष भी हो, और सनातन संस्कृति का सम्मान भी करे। लेकिन पहले ममता बनर्जी और अब नुसरत जहां ने अपने कृत्यों से सिद्ध कर दिया, कि उनके लिए उनका मजहब और उनके सिद्धांत सर्वोपरि है, चाहे उसके लिए पार्टी की बलि ही क्यों न चढ़ानी पड़े।

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