यदि दक्षिणपंथी किसी क्षेत्र में कमजोर हैं, तो वो है प्रतिक्रिया देने में जल्दवाजी करना और बस टूट पड़ना। कभी कभी विरोध करने में दक्षिणपंथी इतने आगे निकल जाते हैं, कि जिसे हीरो नहीं भी बनाना चाहिए, उसे भी एक नायक बना दिया जाता है और फिर वो व्यक्ति भी एक verified ट्विटर अकाउंट और इंस्टाग्राम हैंडल लेके दुनिया भर को ज्ञान बांटता फिरता है।
अभी यही गलती एक बार फिर हुई है, क्योंकि जिस प्रकार से वामपंथी अब कथित हास्य कलाकार मुनव्वर फारूकी का महिमामंडन करने में जुटे हुए हैं, उसने जाने अनजाने उसे वो लाईमलाइट दी है, जो उसे अपने घटिया जोक्स पर शायद ही ज़िंदगी में कभी मिलती। यकिन न हो तो ये रिएक्शन देख लीजिए!
When I came to know that Munawar Farooqui, whose paper was burnt while burning Godhra train, has been arrested.
@iArmySupporter
@Ocjain3 #MunawarFaruqui pic.twitter.com/cggbdAoOp7— Gautam Sharma (@golu____) January 3, 2021
Meanwhile Stupidian Munawar Farooqui 🤣🤣🤣🤣😭🤣 pic.twitter.com/1SJ8RieVgb
— Jeetu (@gentleman_jitu) January 2, 2021
हाल ही में मध्य प्रदेश के कैफे मुनरो में मुनव्वर ने एक शो किया, जिसमें उसने हिन्दू देवी देवताओं पर एक बार फिर फब्तियाँ कसी और गृह मंत्री अमित शाह के बारे में भी कुछ अभद्र बातें बोली। इस पर श्रोताओं में मौजूद कुछ लोग भड़क गए और उन्होंने मुनव्वर को बुरी तरह पीटा। इसके अलावा उसे पुलिस के हवाले भी किया गया, और वर्तमान खबरों के अनुसार उसकी जमानत याचिका भी खारिज की है।
अब प्रश्न ये उठता है कि क्या मुनव्वर ने जो किया, वो सही था? नहीं। क्या मुनव्वर को अपने ओछे मज़ाक के लिए सजा मिलनी चाहिए? बिल्कुल। लेकिन मुनव्वर के पिटने के बाद इस बात का जितना बखेड़ा बनाया गया, विशेषकर दक्षिणपंथ द्वारा, क्या वो सही है? बिल्कुल भी नहीं। दुर्भाग्यवश दक्षिण पंथी एक दिशा में बिल्कुल भी सही काम नहीं करते, और वो है संयम।
कभी कभी विरोधी को नीचा दिखाने की चाह में यही दक्षिण पंथी उसे फालतू का अटेन्शन और लाईम लाइट भी दे देते हैं। मुनव्वर छोड़िए, आज से पहले कुणाल कामरा को कौन जानता था? कौन जानता था कि ध्रुव राठी नाम का भी कोई व्यक्ति है? लेकिन जिस प्रकार से दक्षिणपंथियों ने इन्हे बढ़ा चढ़ाकर प्रदर्शित किया, उसी का परिणाम है कि जहां ध्रुव राठी जैसे लोग झूठी खबरें फैलाकर भी Netflix के चहेते हैं, तो वहीं कुणाल कामरा जैसे लोग अब बेशर्मी से सुप्रीम कोर्ट पर भी कीचड़ उछाल सकते हैं।
ये लोग सिर्फ और सिर्फ अटेन्शन के भूखे हैं, और अनजाने में कुछ अतिउत्साही दक्षिणपंथी उन्हे वही अटेन्शन देते भी हैं। अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने का इससे प्रत्यक्ष उदाहरण कोई और नहीं हो सकता। इसी परिप्रेक्ष्य में TFI के संस्थापक अतुल मिश्रा ने दो अहम ट्वीट्स में इसी भावना को व्यक्त करते हुए कहा, “फारूकी वापिस आएगा, उसे एक वेरीफाइड अकाउंट भी मिलेगा, वामपंथी उसे फॉलो करेंगे, उसकी पूजा करेंगे और उसे वामपंथ का नया मसीहा बताएंगे, और हमारे दक्षिणपंथी साईटस उसके ‘झूठ का पर्दाफाश’ कर संतुष्ट हो जाएंगे”
RW has created Dhruv Rathi, Kunal Kamra and Rana Ayyub in the recent past and now we are content exposing their lies.
— Atul Kumar Mishra (@TheAtulMishra) January 6, 2021
तो क्या हमें मुनव्वर जैसों द्वारा सनातन संस्कृति पर किए जा रहे हमले पर मौन रहना चाहिए? बिल्कुल भी नहीं, लेकिन हर चीज का तरीका होता है। उन्हे हिरासत में लें, मुकदमा दर्ज कराएँ, और यदि आप प्रतिभावान हो, तो उन्हीं के खेल में उन्हे उलझाएँ।
लेकिन सोशल मीडिया पर जो बखेड़ा दक्षिणपंथियों ने खड़ा किया, उसने वामपंथियों को अपना प्रचार करने का सुनहरा अवसर दे दिया, और एक बार फिर सिद्ध किया कि आखिर क्यूँ असल narrative स्थापित करने की लड़ाई में दक्षिणपंथी पिछड़ जाते हैं, क्योंकि दांव खेलने से पहले सारे पत्ते खोलना बेवकूफी होती है, कला नहीं।