सूचना प्रसारण मंत्रालय द्वारा एमेजॉन को समन करने के बाद अब हिन्दू विरोधी वेब सीरीज पर लगेगी लगाम

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब हिंदुओं का अपमान करना नहीं हो सकता, होनी चाहिए सख्त कार्रवाई

एमेजॉन

संस्कृत में एक प्रचलित कथन है, अति सर्वत्र वर्जयते, यानि अति किसी भी वस्तु की हर जगह वर्जित है। लेकिन शायद यह बात बॉलीवुड के हिन्दू विरोधी गैंग को कभी समझ में ही नहीं आई, और आज यह स्थिति कि बेहद भड़काऊ और हिन्दू विरोधी ‘तांडव’ को जहां हर क्षेत्र से आलोचना ही मिल रही है, तो वहीं एमेजॉन को इस भड़काऊ और हिन्दू संस्कृति को अपमानित करने वाली सीरीज के प्रसारण के लिए केंद्र सरकार द्वारा समन किया गया है।

हाल ही में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा एमेजॉन प्राइम सेवा को ‘तांडव’ सीरीज के प्रसारण हेतु नोटिस भेजा गया है, जिसपर सोमवार यानि आज तक जवाब मांगा गया है –

परंतु तांडव में ऐसा भी क्या दिखाया गया, जिसके पीछे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तक को नोटिस भेजने के लिए बाध्य होना पड़ा? इसका विवरण TFI के संस्थापक अतुल मिश्रा ने अपने ट्वीट्स में काफी स्पष्टता से दिया है, और उनके ट्वीट अनुसार,

“शिवजी इसलिए कुपित हैं क्योंकि श्रीराम उनसे ज्यादा लोकप्रिय है, और इसका इजहार वो भद्दी गालियों के जरिए करते हैं। सरकार क्रूरता से किसानों के विरोध प्रदर्शनों को कुचल रही है। ऊपर से आदेश मिलने पर पुलिस वाले स्पष्ट तौर पर मुसलमानों का खून कर रहे हैं। UAPA बहुत क्रूर अधिनियम है। आज़ादी के नारे लगाना देशभक्ति का प्रमाण है….” –

इतना ही नहीं, इस सीरीज में कहने को जातिवाद पर प्रहार किया गया है, लेकिन उससे निपटने के लिए ऐसे तरीके बताए गए हैं, जो जातिवाद का बेहद ही घिनौना स्वरूप होगा। लेकिन इससे कुपित होने की कोई विशेष आवश्यकता नहीं, क्योंकि इस तरह का भ्रामक और भड़काऊ कॉन्टेन्ट वामपंथियों की छटपटाहट दिखा रहा है। जो काम वर्षों से हौले हौले, बड़ी ही सफाई से बॉलीवुड फिल्मों के माध्यम से किया जा रहा था, आज अगर इसका पर्दाफाश हो रहा है, तो इसका मतलब स्पष्ट है कि अब जनता जाग रही है और इन प्रोपगैंडावादियों के झांसे में बिल्कुल नहीं आ रही है।

इसी का परिणाम है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को एमेजॉन प्राइम को नोटिस भेजना पड़ा है। पर ये परिवर्तन यूं ही नहीं आया है, बल्कि इसके पीछे एक सुनियोजित, और विशाल जन अभियान था, जो ऐसे भड़काऊ और सनातन एवं भारत विरोधी कॉन्टेन्ट के धड़ल्ले से प्रसारित होने पर बहुत आक्रोशित था। TFI से लेकर कई दक्षिणपंथी हस्ती एवं भाजपा नेताओं एवं सांसदों ने इस विषय पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की चुप्पी पर निशाना साधा। ये स्थिति कितनी गंभीर है, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि स्वयं मायावती तक को अपने ट्विटर अकाउंट से इस सीरीज के भड़काऊ सीन को हटाने का सुझाव देना पड़ा –

 

 

 

इसके अलावा सांसद मनोज कोटक एवं राम कदम ने मुंबई से मोर्चा संभालते हुए तांडव के निर्माताओं और लेखकों के विरुद्ध कार्रवाई की मांग की, तो वहीं भाजपा सदस्य एवं अधिवक्ता गौरव गोयल ने पुलिस में प्राथमिकी भी दर्ज कराई। ऐसे में भारी जनविरोध के दबाव में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को अपनी ‘कुम्भकर्णी निद्रा’ से जागना पड़ा, और एमेजॉन को नोटिस भेजना पड़ा।

इतना ही नहीं, अभी उत्तर प्रदेश से ये खबर आई है कि पुलिस ने इस भड़काऊ वेब सीरीज के निर्माता, लेखक, एवं अन्य सदस्यों के विरुद्ध कई गैर जमानती धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की है, और जल्द ही एक विशेष पुलिस दल इन्हे हिरासत में लेने के लिए भेजा जा सकता है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि हिन्दू विरोधियों के पापों का घड़ा अब भरने लगा है, और अब जनता की आवाज को अधिक दिनों तक नजरअंदाज नहीं कर पाएंगे।

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