पंजाब-हरियाणा के किसानों को कुछ राजनीतिक दलों ने इस कदर भ्रमित कर दिया है कि ये लोग अराजकता फैलाने की हदों को पार करने पर उतर आए हैं जिसका सीधा नुकसान देश की छवि को होने वाला है। किसानों का कहना है कि वो लोग राजपथ पर 26 जनवरी को ट्रैक्टर रैली निकालेंगे।खास बात ये है कि ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पर भारत आने वाले हैं।
ऐसे में इन तथाकथित आंदोलनकारियों की अपने मुद्दों से कम और देश की छवि खराब करने में ज्यादा दिलचस्पी है। इसलिए उन्होंने अपने विरोध के लिए उस दिन को चुना है।
पिछले एक महीने से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर चल रहे अराजक किसान आंदोलन और उनकी मांगों को लेकर किसान संगठनों ने मोदी सरकार को अराजकता का नया अल्टीमेटम दिया है और कहा है, “अगर 4 जनवरी की बातचीत से कोई हल नहीं निकलता या किसानों के पक्ष में सरकार का झुकाव नहीं होता है तो वे 5 तारीख को अपने तय कार्यक्रम के अनुसार एमपी एक्सप्रेस-वे पर ट्रैक्टर ट्रॉलियों की रैली निकालेंगे। इसके अलावा 26 तारीख को गणतंत्र दिवस परेड की जगह पर वह अपनी ट्रैक्टर ट्रॉलियों और दूसरी गाड़ियों की परेड निकालेंगे।”
वहीं तथाकथित राजनीतिक विश्लेषक और मौसमी किसान बने नेता मोदी सरकार के कट्टर विरोधी योगेन्द्र यादव ने कहा, “सरकार झूठ बोल रही है कि उसने हमारी 50% बातें मान ली हैं, 30 दिसंबर की बैठक में पूंछ निकली है, हाथी निकलना अभी बाकी है, ऐसे हालात बने हुए हैं। सरकार एमएसपी पर संवैधानिक रूप से बात करने तक को तैयार नहीं है, क्योंकि जिन बातों पर सहमति बनी है उसका भी अभी तक कोई कागजात किसानों को नहीं दिया गया है।” योगेन्द्र यादव वो शख्स हैं जो सरकार के विरोध में राजनीतिक विश्लेषक, अर्थशास्त्री किसान, सामाजिक कार्यकर्ता जैसे सभी विशेषण अपने नाम के आगे लगवा लेते हैं।
गणतंत्र दिवस समारोह प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार कोरोनावायरस के बीच भी भव्य होने वाला है। इसके लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को मुख्य अतिथि के तौर पर आमंत्रित भी किया गया है जिसे उन्होंने स्वीकार भी कर लिया है। ऐसे में उनके दौरे के समय देश में अराजकता का माहौल जानबूझकर बनाया जा रहा है जिससे विश्व के सबसे प्रतिष्ठित नेताओं की सूची में शीर्ष पर काबिज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति विरोध का अंतर्राष्ट्रीयकरण किया जा सके और देश की उभरती छवि पर दाग लगाए जा सकें।
इसमें कोई शक नहीं है कि ये आंदोलन हाइजैक हो चुका है, और खालिस्तानी से लेकर वामपंथी लोग इसमें अपना एजेंडा चला रहे हैं। इस वक्त जब सरकार का किसानों से बातचीत का दौर जारी है, ऐसे वक्त में भी किसानों का राजपथ पर ट्रैक्टर रैली निकालने की बात करना एक संकेत देता है। वो संकेत ये कि इन लोगों को किसान के हितों से ज्यादा बोरिस जॉनसन जैसे वैश्विक नेताओं और उनके भारत दौरों में दिलचस्पी है जिससे भारत और मोदी सरकार की छवि को धब्बा लगाया जा सके।