अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में भी डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका की मजबूत छवि बनाए बिना नहीं जाना चाहते। अब इसी दिशा में उन्होंने एक अहम कदम उठाते हुए यमन में बसे ईरान द्वारा समर्थित Houthi उग्रवादियों को एक आतंकी संगठन घोषित किया। इसके अलावा ये भी कयास लगाए जा रहे हैं कि क्यूबा को एक बार फिर से आतंकी समर्थक देश घोषित किया जाएगा, और इन दोनों ही निर्णयों से ईरान की बढ़ती ताकत को जबरदस्त नुकसान पहुंचेगा।
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो के अनुसार, “इन निर्णयों से न सिर्फ खाड़ी क्षेत्र में सक्रिय एवं ईरान द्वारा समर्थित आतंकी गट अंसारल्लाह [Houthi उग्रवादी] संगठन को नियंत्रण में लाने में आसानी होगी, बल्कि उसकी आतंकी गतिविधियों पर भी लगाम लगाने में आसानी मिलेगी, जिनमें क्रॉस बॉर्डर हमले, निर्दोष नागरिकों पर आतंकी हमला शामिल होगा।”
2015 में यमन में शुरू हुआ गृह युद्ध पिछले पाँच वर्षों से जारी है, जिसमें सक्रिय Houthi उग्रवादियों को ईरान का भरपूर साथ मिला है, और उनसे सऊदी अरब और अमेरिका समेत कई शक्तिशाली देश मुकाबला कर रहे हैं। लेकिन इस लड़ाई में सबसे ज्यादा नुकसान यमन निवासियों का हो रहा है, और अब Houthi उग्रवादियों को काबू में लाने के लिए अमेरिका ने यह अनोखा दांव चला है।
Houthi उग्रवादियों पर कार्रवाई कर अमेरिका ईरान को एक स्पष्ट संदेश देना चाहता है – ज्यादा गुंडई करने का परिणाम बहुत बुरा होगा। बाइडन प्रशासन के सत्ता में आने से ईरान जितना उतावला हो रहा है, उसे ध्वस्त करने के लिए ट्रम्प प्रशासन जाते जाते ईरान की रणनीतिक तौर पर कमर तोड़ना चाहता है।
जैसा कि TFI ने बताया था, कासिम सुलेमानी के मारे जाने की पहली सालगिरह पर ईरान ने बाइडन प्रशासन को एक अहम संदेश में एक दक्षिण कोरियाई टैंकर को न सिर्फ जब्त किया, बल्कि अपने परमाणु प्रोग्राम को पुनः सक्रिय करने में जुट गया।
वहीं दूसरी तरफ क्यूबा की ओर ट्रम्प का रुख शुरुआत से काफी सख्त रहा था। क्यूबा ने निरंतर वेनेजुएला में कम्युनिस्ट शासन को अपना समर्थन दिया है, जिससे ट्रम्प प्रशासन कभी भी खुश नहीं रहा है। लेकिन जिस प्रकार से अब क्यूबा का ईरान के साथ कनेक्शन सामने आया है, उससे अमेरिका को मानो क्यूबा की खबर लेने के लिए एक सुनहरा अवसर मिल चुका है।
नवंबर में क्यूबा और ईरान के विदेश मंत्रियों में एक अहम मुलाकात हुई थी, जिसमें दोनों ही देश अमेरिका द्वारा लगे पाबंदियों के विरुद्ध लड़ने के लिए एकजुट हुए थे। इसके अलावा क्यूबा ईरान द्वारा निर्मित वैक्सीन के लिए भी आस लगा रहा है, जिससे ट्रम्प प्रशासन का आगबबूला होना स्वाभाविक है।
ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि डोनाल्ड ट्रम्प जाते-जाते अमेरिका की विदेश नीति को ऐसा बनाना चाहते हैं कि जो बाइडन चाहकर भी इसमें कुछ विशेष बदलाव न कर पाए। ईरान के विरुद्ध क्यूबा और यमन के जरिए कार्रवाई कर ट्रम्प प्रशासन ने यही संदेश भेजा है।