महामारी के दौरान जब दुनियाभर की अर्थव्यवस्था संकट से जूझ रही थी, तब भारत में तेजी से विदेशी निवेश आ रहा था। भले ही भारत की अर्थव्यवस्था की GDP ग्रोथ कम रही किंतु भारी निवेश के कारण ही यह अनुमान लगाया जा रहा है कि 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से आगे बढ़ेगी। निवेश को आकर्षित करने में सबसे बड़ा योगदान भारतीय उद्यमियों का है। रिलायंस के बाद अब अडानी ग्रुप देश का दूसरा बड़ा फर्म बनकर उभरा है जिसमें बड़ा निवेश हुआ है।
भारत को ग्रीन एनर्जी की ओर ले जाने के लिए कार्यरत Adani Green Energy Limited में फ्रांस की oil and gas-fossil fuel की बड़ी कंपनी Total SE ने 2 बिलियन डॉलर का निवेश किया है। इसके बदले फ्रांस की कंपनी को कुल 20 प्रतिशत हिस्सेदारी मिलेगी। यह Total SE का अडानी ग्रुप में दूसरा बड़ा निवेश है। 2018 में भी इस कंपनी में अडानी गैस में निवेश किया था जो Residential और commercial क्षेत्र में गैस सप्लाई करने वाली गुजरात की मुख्य कंपनी है।
इस अवसर पर कंपनी के चैयरमैन गौतम अडानी ने कहा “हमें प्रसन्नता है कि Total के हमारी रणनीतिक साझेदारी और मजबूत हुई है।।।।।हम भारत के 2030 तक 450 गिगावाट ग्रीन एनर्जी पैदा करने के सपने को पूरा करने के लिए साथ काम करने का विचार कर रहे हैं।”
भारत सरकार का प्रयास है कि जल्द से जल्द, ऊर्जा के लिए गैर नवीकरणीय स्त्रोतों पर भारत की निर्भरता समाप्त की जाए। इसी उद्देश्य से भारत ने वैश्विक सोलर एलायंस बनाया था और अपने देश के नवीकरणीय ऊर्जा सेक्टर में 100 प्रतिशत FDI भी दी है। इसके बाद से रीनुवेबल एनर्जी सेक्टर में निवेश बढ़ा है। ऊर्जा क्षेत्र को पारम्परिक स्त्रोत से नए स्त्रोतों की ओर मोड़ने में, भारत सरकार के प्रयासों को गति प्रदान करने में अडानी ग्रुप का बड़ा योगदान है। अडानी ग्रुप
पहले ही कामुति सौर्य ऊर्जा उत्पादन केंद्र का संचालन कर रहा है जो विश्व के सबसे बड़े सौर्य ऊर्जा केंद्रों में एक है।
भारत के लिए तेल, कोयला और गैस जैसे गैर नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के ऊपर निर्भरता एक बड़ी समस्या है। भारत हर वर्ष अपनी ऊर्जा जरूरत पूरी करने के लिए करीब 100 बिलियन डॉलर का खर्च करता है, जो भारत के कुल आयात खर्च का एक चौथाई हिस्सा है। इसके लिए भारत को अपना बहुमूल्य विदेशी मुद्रा भंडार भी खर्च करना पड़ रहा है। यदी भारत गैर नवीकरणीय ऊर्जा स्त्रोतों निर्भरता पूर्णतः समाप्त कर लेता है तो वह चीन की तरह एक निर्यातक देश बन जाएगा।
गौरतलब है कि अपने संवृद्ध विदेशी मुद्रा भंडार के कारण ही चीन विश्व में बेल्ट एंड रोड जैसे बड़े प्रोजेक्ट चलाता है। भारत यदि अपनी ऊर्जा जरूरतें पारंपरिक स्त्रोतों से हटाकर सौर्य ऊर्जा जैसे स्त्रोतों से पूरी करने लगे तो वह भी चीन की तरह अन्य देशों में मेगा प्रोजेक्ट चला सकता है। यही कारण है कि मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल में सबसे अधिक जिन क्षेत्रों में कार्य किया है, गैर पारंपरिक ऊर्जा क्षेत्र उनमें एक है।
भारत सरकार की योजना है कि 2022 तक भारत 175 गिगवाट रिन्यूबल एनर्जी का उत्पादन किया जाए। इसमें सौर्य ऊर्जा का हिस्सा 100 गिगवाट होगा। ऐसे में अडानी ग्रुप यदि ऊर्जा सेक्टर की बड़ी कंपनियों के साथ सहयोग करता है तथा विदेश से उच्च तकनीक एवं भारी निवेश प्राप्त करता है तो भारत अपने लक्ष्य को और जल्दी प्राप्त कर सकता है।