तुर्की ने चलाया ट्विटर पर हंटर

ट्विटर ने खुद ही अपने लिए गड्ढा खोदा है!

ट्विटर

इन दिनों विवादों के चलते ट्विटर की हालत ज़्यादा अच्छी नहीं है। ट्रंप पर अप्रत्याशित और ज़बरदस्ती प्रतिबंध लगाते हुए उन्होंने मानो मधुमक्खी के छत्ते में हाथ डाला है, क्योंकि कई देश उसके मनमाने रवैए से काफी गुस्से में है। परन्तु तुर्की तो अलग ही खेल खेल रहा है, और उसने ट्विटर एवं Pinterest पर विज्ञापन प्रसारित करने पर रोक लगा दी है।

दरअसल, ट्विटर (twitter) के वर्तमान रवैए से आशंकित होकर तुर्की (turkey) के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने कुछ ही हफ्तों पहले 2020 के अंत में एक अधिनियम पारित करवाया था, जिसमें स्पष्ट था कि सोशल मीडिया कम्पनियों को तुर्की के अधिनियमों के अनुसार चलना होगा, अन्यथा तुर्की उन पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करेगा।

इसी के अंतर्गत फेसबुक (Facebook), टिक टोक इत्यादि ने अपनी नीतियों को तुर्की के अनुकूल ढालना शुरू कर दिया है। लेकिन ट्विटर, Pinterest और पेरिस्कोप जैसी कंपनियां तब भी तुर्की की नीतियों के अनुसार बदलने को तैयार नहीं है, जिसके कारण तुर्की सरकार ने यह कदम उठाया है।

दरअसल, तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष यह नहीं चाहते कि उनकी सत्ता को सोशल मीडिया भी वैसे ही नुक़सान पहुंचाए, जैसे अमेरिका के साथ हुआ। उनके अनुसार, डिजिटल तानाशाही किसी भी स्थिति में बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

इसके अलावा तुर्की ने अमेरिकी गतिविधियों से सबक लेते हुए सोशल मीडिया कम्पनियों को अपने स्थानीय प्रतिनिधि चुनने को कहा है। ऐसा ना करने पर तुर्की क्या कार्रवाई कर सकता है, उसके बारे में बुग टेक कंपनियां सोच भी नहीं सकती।

आश्चर्यजनक रूप से यहां ट्विटर तुर्की की कार्रवाई पर मौन साधे हुए है। डोनाल्ड ट्रंप के मामले में अमेरिकी सुरक्षा के स्वघोषित रक्षक बनने का दावा करने वाली ट्विटर को मानो यहां सांप सूंघ गया है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि डोनाल्ड ट्रंप को प्रतिबंधित कर अकड़ने वाले ट्विटर को तुर्की ने गाजे बाजे सहित आइना दिखाया है।

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