दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का दम भरने वाले अमेरिका के राष्ट्रपति का सोशल मीडिया एकाउंट का बैन हो जाना असाधारण बात है। अमेरिकी बिग टेक जायंट Facebook, Google, और Twitter जैसी कंपनियां राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप को बैन कर चुकी हैं जिसके बाद अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी बहस होने लगी है। तुर्की,जर्मनी, भारत ऑस्ट्रेलिया और यूगांडा जैसे देश ट्विटर के इस रुख पर भड़क गए हैं। वो इसे तानाशाही बता रहे हैं और Twitter को बैन तक करने की बात कर रहे हैं जिसके बाद सहमे हुए Twitter के सीईओ जैक डॉर्सी की तरफ से सफाई आई है।
I do not celebrate or feel pride in our having to ban @realDonaldTrump from Twitter, or how we got here. After a clear warning we’d take this action, we made a decision with the best information we had based on threats to physical safety both on and off Twitter. Was this correct?
— jack (@jack) January 14, 2021
अमेरिका के कैपिटल में हुई हिंसात्मक घटना के बाद राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप का निजी Twitter अकाउंट पहले अस्थाई और फिर स्थाई रूप से बैन कर दिया गया। इसको लेकर अब कंपनी के सीईओ ने सफ़ाई दी है और ये कहा है कि ट्रंप को बैन करने में उन्हें कोई गर्व नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा, “डोनाल्ड ट्रंप को Twitter से बैन करके मैं खुशी नहीं मना रहा हूं और न ही मैं गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। हमने स्पष्ट चेतावनी देने के बाद ये एक्शन लिया है। हमने ट्विटर और बाहरी तौर पर, दोनों जगह भौतिक सुरक्षा के खतरों के आधार पर सबसे अच्छी जानकारी के साथ एक निर्णय लिया। क्या यह सही था?”
ट्रंप को बैन करने के पूरे मामले के बाद Twitter की खूब आलोचना की जा रही है। इस कार्रवाई को अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़कर देखा जा रहा है। जिसके बाद कंपनी के सीईओ जैक डॉर्सी ने इस बहस को गलत बताया है। उन्होंने कहा, “इस कार्रवाई पर हो रही सार्वजनिक चर्चा का मैं खंडन करता हूं। वे हमें विभाजित करते हैं। वे सफाई देने, प्रायश्चित और सीखने की क्षमता को कम करते हैं। ये एक ऐसी मिसाल (बैन करना) कायम करता है जो कि मुझे लगता है कि खतरनाक है। एक व्यक्ति का संस्था के पास वैश्विक बातचीत को नियंत्रित करने की शक्ति है।”
डॉर्सी ने ट्रंप के अकाउंट के बैन होने को एक अपवाद से जोड़ा है। उन्होंने कहा, “हालांकि ये स्पष्ट और साफ तौर पर अपवाद है, मुझे लगता है कि ये प्रतिबंध आखिरकार हमारे हेल्दी बातचीत को बढ़ावा देने की कोशिशों की विफलता है।” डॉर्सी ने ट्रंप के खिलाफ अन्य कंपनियों के बैन को सही ठहराया और कहा है कि हमें मजबूत और सहज स्तर की चर्चा को जिंदा रखना होगा।
ट्रंप के Twitter और सभी सोशल मीडिया एकाउंट के बैन होने के बाद वैश्विक स्तर पर इन सभी टेक जायंट कंपनियों की आलोचना की जा रही है। भारत, फ्रांस, और जर्मनी जैसे देश इसे सीधे अभिव्यक्ति की आजादी के हनन से जोड़कर देख रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया, तुर्की और यूगांडा जैसे देश भी इस मुद्दे पर खुलकर इन कंपनियों को लताड़ रहे हैं। सभी देशों में इस बात को लेकर संकेत मिलने लगे हैं कि अब इन मनमानी करने वाली कंपनियों को बैन करने के मुद्दे पर भी विचार करना चाहिए।
विश्व स्तर के इन बड़े देशों में सोशल मीडिया कंपनियों के सबसे ज्यादा यूजर्स हैं। ऐसे में ये कंपनियां अपने बिजनेस को बिल्कुल भी खोना नहीं चाहती हैं जिसके चलते अब इन देशों में बैन का डर सभी अमेरिकी टेक कंपनियों को सताने लगा है जिसके चलते बैन करने में अग्रणी रहे Twitter के सीईओ की तरफ से डर के कारण सधे हुए शब्दों में सफाई आई है, जिससे उस पर वैश्विक स्तर के बैन की तलवार न लटके और कारोबार को नुक्सान न हो।