अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का जब से ट्विटर एवं फ़ेसबुक अकाउंट निरस्त किया गया है, दुनिया भर के देश ट्विटर एवं फ़ेसबुक के मनमाने रवैये से काफी सतर्क हो गए हैं। भारत भी इससे अछूता नहीं है, और इसीलिए उन्होंने दोनों कंपनियों के विरुद्ध मोर्चा संभाल लिया है। जहां संसदीय पैनल ने ट्विटर के मनमाने रवैये पर उसे घेरा, तो वहीं सीबीआई ने कैंब्रिज एनालिटिका द्वारा फ़ेसबुक यूजर्स के डेटा चोरी के परिप्रेक्ष्य में मामला दर्ज कराया है।
सर्वप्रथम तो 21 जनवरी को प्रस्तावित संसदीय पैनल की बैठक में ट्विटर के मनमाने रवैये पर उन्हे घेरा गया। पूछे गए प्रश्नों में प्रमुख प्रश्न तो ये थे कि आखिर क्या सोचके ट्विटर ने गृह मंत्री अमित शाह का अकाउंट ब्लॉक किया, और क्यों ट्विटर ने लेह लद्दाख क्षेत्र को चीन का हिस्सा बताया। बता दें कि नवंबर 2020 में कुछ समय के लिए आश्चर्यजनक रूप से अमित शाह के अकाउंट को ट्विटर ने ब्लॉक कर दिया था, तो वहीं एक वीडियो में ट्विटर ने लेह लद्दाख को चीन का हिस्सा बताया था, जिसपर काफी बवाल मचा था। इनपे ट्विटर की टीम जवाब दे पाने में काफी असहज दिखाई दे रही थी, और उन्होंने कहा कि वे लिखित में इसका जवाब देंगे।
वहीं दूसरी ओर कैंब्रिज एनालिटिका के विरुद्ध सीबीआई ने केस दर्ज किया है। पर उन्होंने ऐसा क्या किया जिसके चक्कर में सीबीआई को एक्शन लेना पड़ा है? फाइनेंशियल एक्सप्रेस की रिपोर्ट की माने तो इस कंपनी पर भारत के फेसबुक यूजर्स का पर्सनल डेटा चोरी करने के आरोप में यह मामला दर्ज किया गया है। रिपोर्ट के अंश अनुसार, “कैंब्रिज एनालिटिका के अलावा सीबीआई ने एक और कंपनी ग्लोबल साइंस रिसर्च के खिलाफ भी 5.6 लाख से अधिक भारतीय फेसबुक यूजर्स के डेटा चोरी को लेकर मामला दर्ज किया है। सीबीआई ने इन दोनों कंपनियों के खिलाफ इस मामले को लेकर जांच 2018 में ही शुरू कर दिया था। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने इससे पहले संसद को सूचित किया था कि सीबीआई इस मामले में जांच शुरू करेगी।”
तो इसका फ़ेसबुक से क्या लेना देना है? दरअसल, कैंब्रिज एनालिटिका पर प्रमुख आरोप यह है कि उसने फ़ेसबुक के करोड़ों भारतीय यूजर्स का डेटा चोरी कर उसका दुरुपयोग करने का प्रयास किया था। स्वयं रविशंकर प्रसाद ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के चुनाव प्रचार के लिए कैंब्रिज एनालिटिका को नियुक्त किया था। हालांकि कांग्रेस ने इस सभी आरोपों से इनकार किया था। आरोप है कि फेसबुक यूजर्स के डेटा का भारत में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने के लिए गलत प्रयोग किया गया।
2019 में अमेरिकी राजनीतिज्ञों ने पाया कि कैंब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक यूजर्स का डेटा गलत तरीके से जुटाया है। यूएस फेडरल ट्रेड कमीशन ने इसकी जांच मार्च 2018 में शुरू कर दी थी और अपनी जांच में पाया कि कैंब्रिज एनालिटिका फेसबुक यूजर्स की व्यक्तिगत जानकारियों को गलत तरीके से जुटा रही थी और इसका इस्तेमाल वह उनकी राजनीतिक विचारधारा को प्रभावित करने के लिए कर रही थी। इसीलिए अब फ़ेसबुक भी भारत की सुरक्षा एजेंसियों के राडार पर है, जो पहले से ही अपने subsidiary वॉट्सएप के प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर सरकार की आलोचना का सामना कर रहा है।
सच कहें तो अब फ़ेसबुक और ट्विटर को समझ जाना चाहिए कि भारत में अब अपनी मनमानी करना कोई हंसी मज़ाक का खेल नहीं है। जिस प्रकार से केंद्र सरकार इन दोनों कंपनियों के मनमाने रवैये के विरुद्ध एक्शन लेने के लिए उद्यत है, उससे स्पष्ट होता है कि दोनों कंपनियों के लिए अब आगे की राह उतनी आसान नहीं होने वाली।