जब सरकारें अराजकता का समर्थन करने लगें तो लोगों और संस्थाओं के पास केवल अदालतों का ही रास्ता शेष होता है। पंजाब में अपने टावरों की क्षति को लेकर रिलायंस जियो भी इसी शेष विकल्प का प्रयोग करते हुए पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के दर पे चला गया है और अदालत से सुरक्षा की मांग कर रहा है। इस पूरे मामले के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो गए हैं, क्योंकि रिलायंस ने उनसे सुरक्षा की मांग की थी फिर भी उनका प्रशासन जिओ के टावर और व्यापार को सुरक्षा नहीं दे पाया जिसके कारण कंपनी को सुरक्षा की दुहाई देते हुए हाई कोर्ट तक जाना पड़ा।
देश की संसद द्वारा पारित कृषि कानूनों को लेकर ये भ्रम फैलाया जा रह है कि इन कानूनों से अडाणी और अंबानी को लाभ होगा। यही कारण है कि किसानों द्वारा पंजाब के अब तक 1500 से ज्यादा जियो के टावर तोड़े जा चुके हैं और उनके टावरों में बिजली के संचालन को भी बाधित किया जा चुका है। ऐसे में कंपनी के नुकसान को देखते हुए रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने सहायक कंपनी रिलायंस जियो इन्फोकॉम लिमिटेड के जरिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है। कृषि कानूनों में कॉरपोरेट और कॉन्ट्रैक्ट फंडिंग में गड़बड़ी की बात भी फैलाई गई है। वहीं कंपनी ने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर कहा है कि उसकी इस क्षेत्र में अपना व्यापार करने की कोई योजना नहीं है और ना ही उसने कभी ऐसा व्यापार किया है।
कंपनी ने पंजाब की अराजकता को लेकर कहा कि कोर्ट तुरंत पंजाब सरकार (Punjab Government) के अधिकारियों को हस्तक्षेप करने के निर्देश दे, ताकि उपद्रवियों पर पूरी तरह से रोक लगाई जा सके। कृषि आंदोलन की आड़ में जो हिंसा हो रही है उससे उनके कर्मचारियों का भी जीवन खतरे में पड़ रहा है। रिलायंस ने आगे कहा, “कई बार उपद्रवियों की ओर से पंजाब में उनके संचार उपकरणों को नुकसान पहुंचाया गया, तो कई बार उसमें व्यवधान उत्पन्न हुआ। इसके अलावा टेलीकॉम सेक्टर में जो उनके व्यापारिक प्रतिद्वंदी हैं, उनकी ओर से उपद्रवियों को उकसाया जा रहा। साथ ही सहायता भी प्रदान की जा रही है। ऐसे में कोर्ट इस मामले में हस्तक्षेप करे और पंजाब के अधिकारियों को कार्रवाई करने के निर्देश दे।”
खास बात ये है कि रिलायंस जियो ने पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और मुख्य सचिव को सुरक्षा के लिए पत्र लिखा था। वहीं रिलायंस के अलावा सेलुलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने भी राज्य सरकार से टावरों को सुरक्षा मुहैया करने की मांग की थी। पत्र में रिलायंस जियो इन्फोकॉम ने आरोप लगाया कि स्थानीय स्तर पर पुलिसकर्मी ना तो कार्रवाई कर रहे और ना ही उपद्रवियों के खिलाफ FIR दर्ज हो रही। इसके बावजूद पंजाब सरकार ने इस मसले पर कोई खास ध्यान नहीं दिया और मजबूरन अब रिलायंस जियो को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के द्वार पर जाना पड़ा है।
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी पार्टी कांग्रेस की राष्ट्रीय राजनीति को देखते हुए किसानों के मसले पर सियासी दांव खेल रहे हैं, लेकिन इससे पंजाब की अर्थव्यवस्था को ही नुकसान पहुंच रहा है। जिस तरह से जियो ने पंजाब की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं, वह एक नजीर बन गया है। इसके चलते भविष्य में कोई भी कारपोरेट कंपनी पंजाब में अपना व्यापार बढ़ाने का मन बनाने से पहले 50 बार चिंतन करेगी और यह पंजाब के लिए घाटे का सौदा साबित होगा।