एक बार फिर से न्यूज़ीलैंड ने साबित कर दिया है कि वह शी जिनपिंग के सामने कैसे नतमस्तक है। हाँग-काँग में चीन द्वारा 50 से अधिक लोकतन्त्र समर्थक नेताओं की गिरफ्तारी के बाद Five Eyes समूह के सभी देशों ने मिल कर एक संयुक्त बयान दिया था, लेकिन एक बार फिर से न्यूज़ीलैंड इस संयुक्त बयान का हिस्सा नहीं बना।
दरअसल, हाँग-काँग में चीनी पुलिस द्वारा विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत सबसे बड़ी कार्रवाई में बुधवार को प्रमुख कार्यकर्ता जोशुआ वोंग सहित 50 से अधिक लोकतंत्र समर्थक राजनेताओं और कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। चीन के इसी कदम की निंदा करते हुए Five Eyes समूह के देश जैसे अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और ब्रिटेन ने एक संयुक्त बयान दिया।
बयान में कहा गया है कि हाँग-काँग का राष्ट्रीय सुरक्षा कानून Sino-British Joint Declaration का एक स्पष्ट उल्लंघन है और ‘One nation Two System’ की अवहेलना करता है। बयान में आगे लिखा है, “इस कानून ने हाँग-काँग के लोगों के अधिकारों और स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया है। यह स्पष्ट है कि राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का इस्तेमाल विरोधी राजनीतिक विचारों को दबाने के लिए किया जा रहा है।“
हालांकि, हैरानी की बात यह थी कि न्यूजीलैंड और पीएम Jacinda Ardern ने इस संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर नहीं किए थे। ऐसा प्रतीत होता है कि उन्हें 55 निर्दोष लोकतंत्र कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी की कोई चिंता नहीं है और वे चीन तथा शी जिनपिंग की धमकियों के आगे बेबस हैं।
Joint statement by the US, Australia, Canada and UK condemning the Chinese state’s police raids in Hong Kong. Disappointing that New Zealand and @jacindaardern did not sign on – seemingly they do not have any concerns about the arrest of 55 innocent democracy activists? pic.twitter.com/yEkFdkyIBR
— Drew Pavlou 🇦🇺🇺🇦🇹🇼🇨🇾 (@DrewPavlou) January 10, 2021
बता दें कि चीन ने 30 जून को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू किया था जिसके बाद वहाँ के लोकतन्त्र समर्थकों के विरोध और उनके बोलने की स्वतंत्रता छिन ली गयी थी। इसके बाद दुनिया भर के देशों ने चीन की आलोचना की थी और हाँग-काँग के पक्ष में आवाज उठाया था। परंतु पिछले बुधवार को चीन ने अब तक के सबसे बड़ी कार्रवाई करते हुए 50 से अधिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया था। Five Eyes समूह के देशों ने एक बाद फिर से चीन के खिलाफ एकजुट हो कर संयुक्त बयान दिया लेकिन इसमें न्यूज़ीलैंड कहीं भी दिखाई नहीं दिया।
New Zealand’s @jacindaardern government and her new foreign minister, @NanaiaMahuta, once again dropped out from a Five Eyes statement on Hong Kong. https://t.co/jEiuLo4TE1
— Stuart Lau (@StuartKLau) January 10, 2021
पहले ही कई बार चीन के साथ अपनी घनिष्ठता को बचाए रखने के लिए न्यूज़ीलैंड चीन की आलोचना करने में हिचकिचाता रहा है लेकिन इस तरह से लोकतंत्र के कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर चुप्पी इस द्वीप देश का डर दिखाता है। यह शी जिनपिंग का डर है जो Jacinda Ardern को चीन की प्रखर आलोचना से पीछे हटने पर मजबूर कर रहा है। कुछ दिनों पहले चीन और ऑस्ट्रेलिया के मध्य चल रहे आर्थिक युद्ध पर चीन की आलोचना के बाजाए मध्यस्तता करने की बात कर रहा था। चीन पूरी दुनिया और खासकर आस्ट्रेलिया के साथ अपनी मजबूत अर्थव्यवस्था के कारण ट्रेड वॉर कर रहा था। ऐसे में ये सभी चाहते थे कि पांच देशों का एक समूह चीन के खिलाफ खड़ा हो, हालांकि जेसिंडा अपने संकेत साफ कर दिए थे कि वो चीन की सिपहसलार बनी रहेंगी।
हालांकि, नवंबर में जब Five Eyes के देशों ने हाँग-काँग मामले पर चीन के खिलाफ संयुक्त बयान दिया था तब न्यूज़ीलैंड ने साथ दिया था लेकिन तब चीन ने धमकी देते हुए कहा था कि अगर Five Eyes ने चीन की संप्रभुता को भंग करने की कोशिश की तो उन्हें सबक सिखाया जाएगा। अब ऐसा लगता है कि न्यूज़ीलैंड की सरकार चीन से डर चुकी है जिससे एक बार फिर से संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर नहीं किया है।