देश की वर्तमान राजनीति में अगर लोगों की पहली पसंद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हैं तो वहीं मुख्यंमंत्रियों की तुलना करने पर केवल एक ही नाम जुबान पर आता है…योगी आदित्यनाथ! अपनी राजनीतिक इच्छाशक्ति के कारण उन्होंने अपना कद देश की राजनीति में अन्य सभी मुख्यमंत्रियों से कई गुना ज्यादा बड़ा कर लिया है। दिलचस्प बात ये है कि एक तरफ योगी का ग्राफ रॉकेट की रफ्तार से ऊपर जा रहा है। तो दूसरी ओर पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी की लोकप्रियता में गिरावट दर्ज की गई है। वहीं विवादों में रहने वाले शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के सीएम उद्धव ठाकरे ने तो अपने पहले ही साल अपनी राजनीतिक नैय्या को डुबाने की शुरुआत कर दी है।
योगी आदित्यनाथ को लेकर कहा जाता है कि वो जनहित के मुद्दों पर फैसले लेने में ज्यादा वक्त नहीं लगाते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि इन्हीं कारणों के चलते खराब रहने वाली उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था बेहतरीन हो गई है। योगी की लोकप्रियता इतनी ज्यादा है कि वो बीजेपी के फायरब्रांड नेता बन गए हैं। कहीं भी लोकसभा या विधानसभा के चुनाव होते हैं, तो वहां योगी आदित्यनाथ की रैलियां जरूर होती हैं क्योंकि उनकी रैलियों में भीड़ सबसे ज्यादा आती है। इन सभी तथ्यों को इंडिया टुडे के मूड ऑफ नेशन नामक सर्वे ने भी अब सही सबित कर दिया है।
इंडिया टुडे, आज तक के सर्वे में सामने आया है कि देश में 25 फीसदी जनता ने बीजेपी नेता और उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ को सबसे बेहतरीन मुख्यमंत्री माना है। इस सर्वे के अनुसार लोगों का मानना है कि योगी अपने राज्य में बेहतरीन काम कर रहे हैं। कोरोनावायरस को लेकर भी यही कहा गया कि योगी आदित्यनाथ ने राज्य में कोरोना को बेहतरीन तरीके से नियंत्रित किया है। वहीं इस सर्वे में पिछले साल 24 फीसदी लोगों ने योगी का नाम लिया था, जो इस वर्ष एक फीसदी और बढ़ा ही है।
इस सर्वे में एक बड़ी बात ये है कि दो राज्यों के सीएम की हालत लोकप्रियता के मामले में काफी खराब हो गई है। ये सीएम ममता बनर्जी और उद्धव ठाकरे हैं। खास बात ये है कि पश्चिम बंगाल में इस साल के मध्य में ही विधानसभा के चुनाव होने हैं। बीजेपी वहां ममता दीदी के खिलाफ अभियान चला रही है जिसका असर अब दिखने भी लगा है। तुष्टीकरण की राजनीति करने वाली ममता दीदी को अब उनके ही लोग नकार रहे हैं, जिसके चलते देश और प्रदेश की जनता भी उनसे नाराज है, और उनकी ये नाराजगी बीजेपी के लिए बंगाल में एक बड़ा सकारात्मक माहौल लाने वाली है।
इसके अलावा बात अगर उद्धव ठाकरे की करें तो उन्होने अपनी राजनीतिक की नैय्या को डुबोने की कांग्रेस नेता राहुल गांधी की तरह कसम ही खा ली है। पिछले एक साल में महाराष्ट्र नौटंकियों का गढ़ बन गया है। जहां शिवसेना के नेताओं से लेकर कार्यकर्ता तक उद्धव की छवि को नीलाम करने पर तुले हुए हैं। दिवंगत बॉलीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत के मामले से लेकर कंगना रनौत का विवाद और कोरोनावायरस के रोकथाम पर जिस तरह से उद्धव ने अपनी संवेदनहीनता दिखाई है, वो अब उन पर ही भारी पड़ने वाली है, जिसके संकेत इंडिया टुडे के मूड ऑफ नेशन नामक सर्वे ने भी दे दिए हैं।