यूपी और उत्तराखंड के किसानों ने नहीं दिया टिकैत को भाव, बेज्जती न हो सोच देने लगे अजीबो-गरीब बहाने!

टिकैत खिसियानी बिल्ली बनकर खंबा नोच रहा है!

तथाकथित किसान आंदोलन ने देश की राजधानी दिल्ली में अराजकता की स्थिति फैला रखी है। 26 जनवरी को इन सभी लोंगो ने देश के आम नागरिक को अराजकता फैला आक्रोशित कर दिया था, जिसके बाद मोदी सरकार ने इनके खिलाफ एक्शन लेना शुरु कर दिया है। इसके चलते इन अराजक तत्वों का आंदोलन अब सुस्त हो गया है। ऐसे में इन्होंने तय किया था कि ये 6 फरवरी को देश में चक्का जाम करेंगे, लेकिन तथाकथित किसान नेता राकेश टिकैत ने बताया है कि वो दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में किसी भी तरह का चक्का जाम जैसा विरोध प्रदर्शन नहीं करेंगे। साफ है कि उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की कानून व्यवस्था से वो इतना डर गए हैं कि अब इन राज्यों में अराजकता फैलाने से भी डर रहे हैं।

किसान आंदोलन को लेकर पंजाब, हरियाणा और राजधानी दिल्ली में 26 जनवरी को राष्ट्रीय पर्व के दिन खूब अराजकता हुई, लेकिन ये तथाकथित किसान आंदोलन उत्तर प्रदेश में पूरी तरह असफल साबित हुआ। पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इन लोगों ने अराजकता फैलाने की कोशिश की थी, लेकिन योगी सरकार की पुलिस ने उनके सारे मंसूबों पर पानी फेर दिया। यूपी पुलिस ने बागपत में बैठे तथाकथित किसानों को ऐसे खदेड़ा था कि वहां अब मैदान ही साफ हो चुका है।

इसी तरह उत्तराखंड की रावत सरकार भी इन किसानों की अराजकता पर इन्हें सबक सिखा रही है। CM त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में पुलिस ने ट्रैक्टर रैली के दौरान भी 26 जनवरी को हाई-अलर्ट घोषित कर रखा था और अराजकता के खिलाफ खुलकर कार्रवाई की थी। ऐसे में इस बार भी चक्का जाम को लेकर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड की सरकार पहले ही सतर्क हो चुकी है। सीएम योगी ने तो इस मुद्दे पर ट्वीट कर अराजकता फैलाने वालों को चेता दिया है।

ऐसे में किसान आंदोलन का मुख्य केन्द्र बन चुके भारतीय किसान यूनियन के नेता और प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा है कि वो अब चक्का जाम का विरोध प्रदर्शन उत्तर प्रदेश, दिल्ली और उत्तराखंड में नहीं करेंगे। उन्होंने इसके पीछे हिंसा होने की वजह बताई है। उन्होंने कहा, “हमारे पास पुख्ता सबूत थे कि कल कुछ लोग चक्का जाम के दौरान हिंसा फैलाने की कोशिश करते। हमारे पास पक्की रिपोर्ट थी। हमने जनहित देखते हुए उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश को कल होने वाले चक्का जाम से अलग रखा है।”

राकेश टिकैत ने एक तरह से साफ कर दिया है कि वो उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में आंदोलन करने से बच रहे हैं। इसके पीछे की बड़ी वजह यह भी है कि इनको इन राज्यों में न किसानों का खास समर्थन मिल रहा है, न ही ये लोग किसी भी तरह की अराजकता फैला पा रहे है। वहीं उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने इनके खिलाफ यूएपीए पहले ही लगा रखा है। ऐसे में अगर ये आंदोलन और चक्का जाम का विरोध प्रदर्शन जरा-सा भी हिंसक हुआ तो राकेश टिकैत के इस अराजक आंदोलन की धज्जियां उड़ाने में योगी सरकार ज्यादा वक्त नहीं लगाएगी, और कुछ ऐसा ही उत्तराखंड में भी संभव है।

राकेश टिकैत चक्का जाम के विरोध प्रदर्शन मेंयूपी और उत्तराखंड समेत दिल्ली को न शामिल कर साफ कर रहे हैं कि वो इन राज्यों की सरकारों से डरे हुए हैं। ऐसे में अब उनका ये आंदोलन लगभग खत्म ही हो चुका है क्योंकि दिल्ली ही इनके आंदोलन का मुख्य केन्द्र था और यूपी की सीमाओं पर ही ये लोग बैठे हुए हैं, जब इन्हीं दोनों मह्तवपूर्ण राज्यों में चक्का जाम का कथित विरोध प्रदर्शन नहीं होगा तो फिर इस आंदोलन की प्रासंगिकता ही खत्म हो जाएगी।

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