महाभियोग परीक्षण में हारने के बाद, डेमोक्रेट्स अब कानूनी मामलों में ट्रंप को दबा रहे हैं

ट्रंप को घेरने के लिए कानूनी दांव-पेंच

ट्रंप

पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के विरुद्ध महाभियोग के तहत कार्रवाई करने की असफल कोशिश के बाद अब डेमोक्रेटिक पार्टी उन्हें कोर्ट में चुनौती देने की तैयारी में है? उनपर बगावत और काले लोगों के मताधिकार को नकारने का अभियोग चलाया जाएगा। डेमोक्रेटिक पार्टी ने ट्रंप को सत्ता छोड़ने के बाद भी अपमानित करने का कोई भी मौका हाथ से नहीं जाने दिया, इसी क्रम में ट्रंप के विरुद्ध मुकदमा, एक नया हथकंडा है ।

ट्रंप पर अश्वेत लोगों के मताधिकार को नकारने का आरोप इस आधार पर लगा है कि उन्होंने Wisconsin राज्य के कुछ विशेष क्षेत्रों में रीकाउंटिंग की मांग की है। रीकाउंटिंग की मांग केवल उन्हीं इलाकों के लिए हुई है जहाँ ट्रंप कैम्पेन को फर्जी वोटिंग का शक है।लेकिन ये ऐसे इलाके हैं जहाँ अश्वेत लोग बड़ी संख्या में हैं।

इसलिए ट्रंप को  नस्लवाद का आरोपी बताया जा रहा है और उनपर अश्वेत लोगों के मताधिकार छीनने का आरोपी बनाया जा रहा है। रिप्रेजेंटेटिव Bennie Thompson और National Association for the Advancement of Coloured People (NAACP) ने ट्रंप और उनके मुख्य कानूनी सलाहकार Rudy Giuliani के विरुद्ध मुकदमा दायर किया है। हालांकि ये विरोधाभासी बात है, एक ओर तो डेमोक्रैट यह कह रहे हैं कि वोटिंग फर्जी नहीं है, दूसरी ओर वो ट्रंप पर लोगों के मताधिकार छीनने का आरोप लगा रहे हैं।

इसके अतिरिक्त ट्रंप , Rudy Giuliani और ट्रंप के समर्थकों पर Ku Klux Clan Act के तहत भी मुकदमा चलाने की तैयारी है. इस act के तहत किसी व्यक्ति पर तब मुकदमा चलाया जाता है जब वह चुनाव में जीते हुए किसी प्रत्याशी को जोर ज़बरदस्ती, डराकर या हिंसा के बल पर पदभार ग्रहण करने से रोकने की कोशिश करे। डेमोक्रेटिक पार्टी का आरोप है कि कैपिटल हिल की हिंसा राष्ट्रपति जो बाइडन को डराकर, चुनाव के परिणाम को रोकने की कोशिश थी।

ट्रम्प पर महाभियोग का मुकदमा बुरी तरह असफल रहा। अपनी लाख कोशिशों के बाद भी डेमोक्रेटिक पार्टी महाभियोग के लिए आवश्यक दो तिहाई बहुमत नहीं जुटा सकी. वास्तविकता यह है कि डेमोक्रेटिक पार्टी ट्रम्प की लोकप्रियता को लेकर भयभीत है।

ट्रंप को चुनावों में 74 मिलियन वोट मिले, उन्हें कुल मत प्रतिशत का 46.8 मिला। यह स्थिति तब हुई जब कोरोना के कारण लाखों अमेरिकी मारे जा चुके थे और अर्थव्यवस्था ध्वस्त हो चुकी थी। यदि यह चुनाव कोरोना के प्रभाव से मुक्त होते तो ट्रंप अवश्य विजयी होते क्योंकि ट्रंप प्रशासन, अर्थव्यवस्था से लेकर विदेश नीति तक सब क्षेत्रों में बेहतरीन प्रदर्शन कर रहा था।

ट्रंप ने आंतरिक सुरक्षा, अर्थव्यवस्था एवं विदेश नीति में परंपरागत तरीको को बदला और एक बिल्कुल नई और अलग नीतियां अपनाई. उन्होंने उदारीकरण के बजाए आर्थिक राष्ट्रवाद, दूसरे देशों के मामले में जब तक आवश्यक न हो हस्तक्षेप न करना, रूस के बजाए चीन को मुख्य शत्रु बनाना आदि कई परिवर्तन किए। यही कारण है कि डेमोक्रेटिक पार्टी उन्हें किसी भी स्थिति में, अमेरिकी राजनीति से बाहर करना चाहती है।

लेकिन ट्रंप पीछे हटने वालों में नहीं। उन्होंने हाल ही में बयान दिया है “आने वाले महीनों में, मुझे आपसे बहुत कुछ साझा करना है, और मैं अमेरिका को महान बनाने की हमारी अद्वितीय यात्रा को आगे बढ़ाने की सोच रहा हूँ। हमारे सामने अभी बहुत से काम हैं, और जल्द ही हम  अमेरिकी भविष्य को उज्ज्वल, दीप्तिमान और असमिति संभावनाओं वाला बनाने के लिए एक नई योजना के साथ सामने आएंगे। ” साफ है कि ट्रंप इतनी जल्दी अमेरिकी राजनीति को अलविदा नहीं कहने वाले, और यही डर डेमोक्रेटिक पार्टी को सता रहा है।

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