अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाइडन प्रशासन को एक के बाद एक झटके मिलने का दौर जारी है। बीते गुरुवार को जहां अमेरिकी विदेश मंत्री Antony Blinken को Quad बैठक के दौरान अन्य साथी देशों द्वारा सख्त संदेश दिया गया तो वहीं अब बाइडन की पहली जी7 समिट के दौरान उन्हें भी यूरोप के देशों से कई मुद्दों पर विरोध का सामना करना पड़ा। जी7 समिट के बाद जैसे ही सभी नेताओं ने Munich conference को संबोधित किया, तो जर्मनी और फ्रांस जैसे देशों के बाइडन-विरोधी स्वर साफ सुने जा सकते थे।
दरअसल, बाइडन ने अपने संदेश में “रूस और चीन जैसी तानाशाही शक्तियों” के खिलाफ एक लोकतांत्रिक गठबंधन की बात कही थी। इसी के साथ बाइडन ने अपने भाषण में “America is Back” के नारे पर ज़ोर दिया था। हालांकि, जर्मनी और फ्रांस बाइडन के इस भाषण से उतने उत्साहित नहीं दिखाई दिये। इससे स्पष्ट हो गया कि बाइडन की रूस नीति और चीन नीति से यूरोप के देश सहमत नहीं है। जर्मन चांसलर के एक बयान से यह स्पष्ट भी हो गया। मर्कल ने अपने बयान में कहा “ज़रूरी नहीं कि हमारे हित हमेशा एक दूसरे के परस्पर ही हों”! बाइडन ने आने के बाद ट्रम्प प्रशासन द्वारा लिए गए फैसले को पलटकर जर्मनी में अमेरिकी सैनिकों की तैनाती को बरकरार रखा है, जिसके लिए मर्कल ने बाइडन की तारीफ़ भी की।
हालांकि, मर्कल के बयान का एक संकेत यह भी था कि रूस के साथ Nord Stream 2 gas pipeline का मुद्दा हो या फिर चीन के खिलाफ़ एक “आर्थिक गठबंधन” का, इन मामलों में जर्मनी और अमेरिका के हित अलग-अलग हैं। रूस की गैस जहां जर्मनी की अर्थव्यवस्था के लिए बेहद महत्वपूर्ण है तो वहीं चीन जर्मन automakers के लिए सबसे बड़ी मार्केट में से एक है। ऐसे में जर्मनी और अमेरिका के बीच इन मामलों पर तनाव देखने को मिल सकता है।
इसी प्रकार फ्रांस की ओर से भी बाइडन को झटका दिया गया। फ्रांस के राष्ट्रपति Macron ने अपने भाषण में यूरोप की “रणनीतिक स्वतंत्रता” पर सबसे अधिक ज़ोर दिया। उनका भी संदेश साफ था कि फ्रांस अब और अधिक समय तक अमेरिका पर निर्भर नहीं रह सकता। फ्रांस ना सिर्फ आर्थिक मामलों में बल्कि सुरक्षा मामलों में भी “आत्मनिर्भर” बनने की ओर आगे बढ़ रहा है! ऐसे में बाइडन की चीन नीति के साथ-साथ रूस नीति पर भी यूरोप की मुख्य शक्तियाँ सहमत नहीं हैं।
बाइडन प्रशासन को इससे पहले Quad की मीटिंग में शर्मसार होना पड़ा था, क्योंकि तब अमेरिका के चीन के प्रति नर्म रुख के कारण जापान, भारत और ऑस्ट्रेलिया ने उसे कडा संदेश भेजकर अमेरिका पर Quad में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए दबाव बनाया था। अब जी7 बैठक के दौरान जिस प्रकार फ्रांस और जर्मनी के हाथों अमेरिका को रुसवाई का सामना करना पड़ा है, उसने बाइडन प्रशासन के “America is Back” के नारे को एक्स्पोज़ कर दिया है। बाइडन शुरू से ही ट्रम्प प्रशासन पर अमेरिका के साथी देशों को किनारे करने का आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन अब बाइडन की नीतियों के कारण अमेरिका के साथियों ने ही अमेरिका को किनारे कर दिया है।