देश के दुश्मनों से तो लड़ा जा सकता है, लेकिन जो लोग देश में रहकर कुछ जयचंदों के भड़कावे में आकर अपने ही बीच के लोगों में आतंक मचाने लगते है तो उनका भी खात्मा करना देश की जरूरत बन जाती है। नक्सलवादी भी उन्हीं चंद लोगों में हैं जिनके खिलाफ मोदी सरकार ने ऑपरेशन ऑल आउट छेड़ रखा है। इस मुद्दे पर हाल ही में गृह मंत्रालय की उच्च बैठक भी है और उस बैठक से निकलीं बातें इस बात का संकेत दे रही हैं कि अब देश में नक्सलवाद के खिलाफ केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने आखिरी बिगुल फूंक दिया है।
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में तत्कालीन गृहमंत्री और अब रक्षामंत्री का पदभार संभाल रहे राजनाथ सिंह ने नक्सलवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की थी। इसका नतीजा ये हुआ कि नक्सलियों की बिल्कुल ही कमर टूट गई। इन सफलताओं के चलते ही अब ये कहा जा रहा है कि देश के केवल 46 जिलों से ही नक्सली हिंसा की खबरें आती हैं। नक्सलियों के खिलाफ लगातार जारी ऑपरेशन में मिलती कामयाबी केंद्र सरकार के जोश में बढ़ोतरी कर रही है। यही वजह है कि अब केंद्र सरकार ने नक्सल पर निर्णायक चोट करने का फैसला किया है।
पिछले आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले दो सालों में सुरक्षा बलों ने 460 नक्सलियों का सफाया कर दिया है। नक्सलियों के बीच मौत का तांडव लड़ रहे सुरक्षा बलों के जोश के कारण नक्सली इतने ज्यादा खौफ में आ चुके हैं कि वो डर के कारण अर्धसैनिक बलों के आगे घुटने टेक रहे हैं और सरेंडर कर मुख्यधारा में आ रहे हैं। इन सब कारणों के चलते नक्सलियों के कैडर में कमी आई है, जिससे नक्सलियों की ताकत बहुत कम हो गई है। सरकार के इस खौफ के चलते ही नक्सलवाद साम्राज्य का खात्मा हो रहा है।
एक तरफ इन नक्सलियों की ताकत में कमी आ रही है तो अब केन्द्र सरकार उन पर आखिरी एक्शन की तैयारी कर रही है। गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ में इस तरह के आपरेशंस के लिए सुरक्षा बलों का अधिक डिप्लायमेंट शुरू कर दिया गया है। अमर उजाला की रिपोर्ट बताती है कि नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन की सभी तैयारियां हो चुकी हैं। जवानों को आईईडी ब्लास्ट से बचाने की योजना पर भी उच्च स्तर पर काम किया जा रहा है। केंद्र की कोशिश है कि नक्सलवाद के खिलाफ इस निर्णायक लड़ाई में सुरक्षा बलों को कम से कम हानि हो। इस ऑपरेशन की शुरुआत के लिए इंतजार है तो बस बसंत के पत्ते गिरने का, क्योंकि इसके चलते जंगल में छिपकर ये नक्सली सुरक्षा बलों पर हमला करते हैं, जब पत्ते गिर जाएंगे तो नक्सल वाद का किला भी अमित शाह की अगुवाई में नेस्तनाबूत करवा दिया जाएगा।
इस निर्णायक नक्सल ऑपरेशन को लेकर देश में सुरक्षाबलों की सुरक्षा काफी अहम हो गया है, ऐसे में केन्द्र ने अर्धसैनिक बलों के लिए अधिक आधुनिक हथियार भी प्रदान करने की नीति बना ली है। केन्द्रीय गृहमंत्री देश के अंदर छिपकर बैठे इन दुश्मनों के खिलाफ एक्शन तो करना चाहते हैं और ये उनकी प्राथमिकता भी हैं लेकिन वो अपने सुरक्षा बल के जवानों को हताहत करने का रिस्क भी नहीं लेना चाहते हैं।