जब आम आदमी पार्टी ने भारतीय राजनीति में कदम रखा, तो उसके नेताओं का दावा था कि भारतीय राजनीति का चेहरा ही बदल कर रख देंगे। वे अपने वादे में सफल भी रहे, पर इसका सकारात्मक नहीं नकारात्मक असर पड़ा। आज आम आदमी पार्टी हर उस चीज का पर्याय है जो भारतीय राजनीति में नहीं होनी चाहिए, और इसी का एक प्रत्यक्ष उदाहरण हाल ही में देखने को मिला, जब दिल्ली के निकाय उपचुनावों से पूर्व आम आदमी पार्टी द्वारा कराई गई एक रैली में आए मजदूरों को उनका बकाया ही नहीं चुकाया गया।
अभी हाल ही में दिल्ली में होने वाले उपचुनावों के परिप्रेक्ष्य में अरविन्द केजरीवाल ने शालीमार बाग और बवाना क्षेत्र में रोड शो निकाला। इसमें संखयाबल को दिखाने हेतु पार्टी ने कुछ मजदूरों को भी शामिल किया, जिनसे वादा किया गया कि रैली के बाद प्रति मजदूर 500 रुपये आवंटित होंगे। लेकिन रैली खत्म होने के बावजूद मजदूरों को एक रुपया भी नसीब नहीं हुआ।
न्यूजरूम पोस्ट द्वारा जारी एक वीडियो ट्वीट में देखा जा सकता है कि आम आदमी पार्टी की टोपी धारण किये लोग इस बात से नाराज थे कि उन्हे मुख्यमंत्री की रैली में हिस्सा लेने के लिए जो 500 रुपये देने का वादा किया गया था, वो उन्हें मिला ही नहीं।
दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल की रैली में पाँच-पाँच सौ रुपए में बुलाए गए थे मज़दूर, पैसे ना मिलने पर भड़की भीड़@AamAadmiParty @ArvindKejriwal pic.twitter.com/SNEDieOMPh
— Newsroompost (@NewsroomPostCom) February 25, 2021
लेकिन ये पहला ऐसा मामला भी नहीं है। जनवरी में आम आदमी पार्टी ने दावा किया था कि वे कंगना रनौत, रवि किशन इत्यादि के विरुद्ध किसानों का अपमान करने के लिए मानहानि का मुकदमा लड़ने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता भेजेंगे। पार्टी ने ज़ोर शोर से दावा किया कि यह लोग किसान है, परंतु जांच पड़ताल में सामने आया कि यह लोग वास्तव में आम आदमी पार्टी के ही सदस्य थे।
ऐसे में आम आदमी पार्टी यह तो बिल्कुल नहीं कह सकती कि उनके पास पैसे ही नहीं थे। जब कंगना रनौत, मनोज तिवारी, रवि किशन के विरुद्ध मुकदमा लड़ने के लिए यह अपने ही पार्टी कार्यकर्ताओं को वित्तीय सहायता दे सकते थे, तो निस्संदेह इन लोगों के पास भाड़े के मजदूरों को देने के लिए भी धन अवश्य रहा होगा।
इसके बावजूद यदि मजदूर पैसे न मिलने की शिकायत कर रहे हैं, तो इसका अर्थ स्पष्ट है – आम आदमी पार्टी की स्वार्थनीति उनकी राजनीति से भी गई गुजरी है। आम तौर पर जब भ्रष्टाचार के मामले सामने आते हैं, तो ये देखा जाता है कि कितने करोड़ों का नुकसान हुआ, लेकिन आम आदमी पार्टी की अलग ही नीति है। उनके हाइकमान इस बात पे विचार विमर्श करते हैं कि किफ़ायती घोटाले कैसे किये जाएँ, और मजदूरों को दिखाया गया ठेंगा इसी निकृष्ट सोच का प्रत्यक्ष प्रमाण है।