चीन मानव अधिकार उलंघन का आरोपी है इसलिए वो UNHRC में मानव अधिकारों का मतलब ही बदल रहा है!

दुनिया से अपने अत्याचारों को छुपने के लिए चीन नया पैंतरा लाया है....

मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों में अगर कोई देश चैम्पियन है, तो उसका नाम है चीन! चीन में कम्युनिस्ट शासन के बाद से ही वहाँ के लोगों के पास अभिव्यक्ति की आज़ादी, अपने धर्म का पालन करने की आज़ादी जैसे मूल अधिकार भी नहीं हैं। समय-समय पर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा चीनी लोगों पर अत्याचार करने से जुड़ी खबरें आती रहती हैं। वर्ष 1959 में तिब्बत में तबाही मचाना हो या फिर Cultural Revolution के समय असंख्य लोगों की मौत, CCP का क्रूर चेहरा इतिहास के पन्नों पर भलि-भांति दर्ज है। वर्ष 1989 के तियानमेन स्क्वेयर नरसंहार को कौन भूल सकता है?

मौजूदा समय में भी चीन पर अपने शिंजियांग क्षेत्र में ऊईगर मुस्लिमों के खिलाफ “नरसंहार” करने के आरोप लगाए जाते रहे हैं। हालांकि, इस सब के बावजूद चीनी राजनीतिक प्रभाव के कारण संयुक्त राष्ट्र की Human Rights Council चीन को उसके किए के लिए जिम्मेदार ठहराने में नाकामयाब रही है। ऐसे में अब चीन इसी काउंसिल का इस्तेमाल करते हुए Human Rights के चीनी वर्ज़न को दुनिया पर थोपने की कोशिशों में लगा है।

दरअसल, 22 फरवरी को चीनी विदेश मंत्री Wang Yi ने UNHRC के 46वें सत्र को संबोधित किया था। यह पहली बार था जब इस रैंक के किसी चीनी अधिकारी ने मानवाधिकारों से जुड़ी उच्चतम संस्था को संबोधित किया हो! Wang Yi ने अपने भाषण में जिन भी बिन्दुओं पर ज़ोर दिया, उनसे स्पष्ट हो गया कि चीनी सरकार अब CCP के Human Rights मॉडल को पूरी दुनिया पर लागू करना चाहती है, जहां पर अधिक ध्यान “राजनीतिक मानवाधिकारों” पर ना होकर “आर्थिक मानवाधिकारों” पर हो!

Wang Yi ने अपने भाषण में कहा “मानवाधिकार लोगों को केंद्र में रखकर बनाए जाते हैं, जहां पर लोगों के आर्थिक लाभ, खुशी और सुरक्षा को सबसे ज़्यादा प्राथमिकता दी जाती हो” Wang Yi के भाषण में यह स्पष्ट था कि चीन अपने आर्थिक विकास की आड़ में लोगों के राजनीतिक उत्पीड़न को सही ठहराने की कोशिश कर रहा है। शायद इसीलिए जब भी चीन पर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगाए जाते हैं, तो वह वर्ष 2020 तक अपने यहाँ अत्याधिक गरीबी को खत्म कर लोगों की आर्थिक तरक्की के आंकड़ों को सामने रखकर आरोपों का मुक़ाबला करने की कोशिश करता है।

चीनी तर्कों के अनुसार “शिंजियांग की अर्थव्यवस्था पिछले 60 वर्षों में 200 गुना बढ़ी है। वहाँ की GDP per capita 40 गुना बढ़ी है। लोगों की life expectancy 30 से बढ़कर 72 वर्ष हो चुकी है। ऐसे में यह आर्थिक विकास भी मानवाधिकारों के तहत ही देखा जाना चाहिए, जहां लोगों के आर्थिक विकास और उनकी सुरक्षा को सबसे ज़्यादा तवज्जो दी जाती हो!” ऐसे में चीनी सरकार “आर्थिक मानवाधिकारों” को सर्वोपरि रखकर राजनीतिक बन्दिशों को सही ठहराने के प्रयास कर रही है।

बेशक आर्थिक विकास लोगों के अधिकारों की रक्षा के लिए अहम है, लेकिन राजनीतिक अधिकारों को नकारा नहीं जा सकता। Wang Yi बेशक अपने आर्थिक विकास को आगे रख मानवाधिकारों के मुद्दे पर पश्चिमी देशों का मुक़ाबला करना चाहते हों, लेकिन अभिव्यक्ति की आज़ादी को नकारा जाना किसी भी देश के मानवाधिकारों के रिकॉर्ड पर सबसे बड़ा दाग माना जाएगा। ऐसे में UNHRC का इस्तेमाल कर अब चीन दुनियाभर में अपने CCP मॉडल को एक्सपोर्ट करने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में अब दुनिया की सभी लोकतान्त्रिक शक्तियों को चीनी सरकार की इस कोशिश को नाकाम करने के लिए चीन पर वैश्विक दबाव बनाना होगा ताकि चीन को उसके किए के लिए जवाबदेह ठहराया जा सके।

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