चीन अपनी छवि को चमकाने के लिए कुछ भी करे, परंतु उस पर हर बार पानी फिर जाता है। अभी हाल ही में पूर्वी लद्दाख से सेना हटाने के पश्चात चीन ने अपने आप को श्रेष्ठ सिद्ध करने के लिए गलवान घाटी से संबंधित एक वीडियो प्रकाशित की थी, लेकिन अब उसी वीडियो के चक्कर में चीनी प्रशासन को लेने के देने पड़ रहे हैं।
चीन न हाल ही में गलवान घाटी में मारे गए चीनी सैनिकों में से 4 लोगों को सैन्य सम्मान देने की बात कही है। चीन ने स्वीकार किया है कि गलवान की झड़प में उसके कई सैनिक मारे गए हैं, लेकिन आधिकारिक आंकड़ा बताने से फिर से उसने मना कर दिया।
Over the past 24 hours, the Indian Embassy in Beijing has received thousands of messages in its mentions on Weibo, the Twitter-equivalent used in China, more than it has ever received in one day @ananthkrishnan https://t.co/UHh3oSoOHF
— The Hindu (@the_hindu) February 20, 2021
इसके चलते बीजिंग में भारतीय दूतावास के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को निशाना बनाया गया। कई चीनी भारतीय दूतावास को टैग कर के अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं और अपनी खीझ निकाल रहे हैं। बता दें कि गलवान के संघर्ष में भारत के 20 सैनिकों ने बलिदान दिया था। चीन के सैनिकों की मौत का आँकड़ा कहीं ज्यादा होने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन चीन ने आज तक वास्तविक मृतकों की संख्या नहीं बताई है। रूस के TASS संगठन के अनुसार यह संख्या 45 के आसपास है, जबकि भारतीय सेना के उत्तरी कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल योगेश कुमार जोशी का मानना है कि हताहतों की संख्या 60 से भी ज्यादा थी।
लेकिन ऐसा नहीं है कि केवल भारत को ही चीनी नागरिक निशाने पर ले रहे हैं। चीन की सरकार और PLA भी वहां के युवाओं के निशाने पर है। नानजिंग से एक व्यक्ति को PLA पर टिप्पणी करने के कारण गिरफ्तार किया गया है। वहां के लोग कम्युनिस्ट पार्टी से पूछ रहे हैं कि उसने इतने दिनों तक ये बात क्यों छिपाई? इसके अलावा चीनी यूट्यूब माने जाने वाले प्लेटफ़ॉर्म वीबो से एक चर्चित यूजर को इसलिए सस्पेंड कर दिया गया, क्योंकि उसने PLA पर सवाल उठाने का प्रयास किया था।
#China detains its citizen for uploading #GalwanValley videos saying they are fake and demean PLA soldiers pic.twitter.com/B4l6nVUZNG
— Neeraj Rajput (@neeraj_rajput) February 20, 2021
चीनी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाइम्स’ ने एक बार फिर सरकार का बचाव करने का प्रयास किया। ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “उस समय सीमा पर स्थिरता के लिए ये आवश्यक था। हताहतों के आँकड़े छिपाए गए, क्योंकि उस समय स्थिति के अनुकूल यही था और अब उन ‘नायकों’ को सम्मान देने के लिए जानकारी सार्वजनिक की गई है। चीनी युवाओं के लिए सैनिकों का मरना नई बात है, क्योंकि 1995 के बाद जन्में युवाओं ने इससे पहले इस तरह की खबर नहीं देखी”।
लेकिन सच्चाई तो यह है कि चीनी जनता महीनों बाद हुए इस खुलासे के कारण झल्लाई हुई है। चीन को दशकों में पहली बार करारा जवाब मिला है, और ऐसा जवाब मिला है कि मारे गए सैनिकों की वास्तविक संख्या बताना तो दूर की बात, उन्हें अंतिम समय पर सम्मानजनक तरह से उनके परिवार द्वारा अंतिम संस्कार भी नहीं करने गया।
इसके अलावा चीनियों का यह गुस्सा सिर्फ सैनिकों को लेकर नहीं है, बल्कि चीनी अर्थव्यवस्था को लेकर भी है। भारत में चीनी एप्स के प्रतिबंधित होने के बाद उनका शेयर 29% गिरा है। जहां चीनी एप्स के installation का शेयर 38 प्रतिशत था, वहीं 2020 में ये मात्र 29% ही रह गया है। वहीं, इसका फायदा भारतीय एप्स को मिला, जिनका वॉल्यूम 39% हो गया। इजरायल, यूएस, रूस और जर्मनी के एप्स को भी फायदा हुआ। भारत में इन चीनी एप्स के प्रतिबंधित होने से उनके बाजार पर भी बुरा असर पड़ा है।
किसी व्यक्ति ने सही कहा था, “आप किसी को हमेशा अंधेरे में नहीं रख सकते”। जिस प्रकार से चीन को गलवान घाटी पर वीडियो प्रकाशित करने से अपनी ही जनता द्वारा विरोध का सामना करना पड़ रहा है, उससे स्पष्ट होता है कि अब चीनी कम्युनिस्ट पार्टी पहले जितनी मजबूत नहीं रही, और अब वो धीरे धीरे अपने पतन की ओर अग्रसर है।