विदेशों में बैठे भारत के गद्दार और खालिस्तानी अलगाववादी ये सोच रहे हैं, कि वो जैसा चाहते हैं, भारत में वैसा ही कर दिया जाए। किसान आंदोलन को हाईजैक कर हिंसा फैलाने वाले अमेरिका स्थित खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने पहले ही अलगाववाद को लेकर भारत में अपनी मिट्टी पलीद करा ली है, और देश के असल किसानों को भी बदनाम कर दिया है, लेकिन अब देश को तोड़ने के इनके मंसूबे खुलकर सामने आ गए हैं क्योंकि ये संगठन भारत में विरोधी पार्टियों की सरकारों को सत्ता का डर दिखाकर उन्हें खुद के राज्यों को एक स्वतंत्र देश घोषित करने की सलाह दे रहा है।
दरअसल, किसानों के आंदोलन को हाइजैक करने के बाद, देश के राष्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस के मौके पर राजधानी दिल्ली में हिंसा के प्रयोजक खालिस्तानी संगठन सिख फॉर जस्टिस ने ऐसे प्रस्ताव रखने शुरू कर दिए हैं कि अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसे आतंकी संगठन घोषित करना जरूरी हो गया है। इस संगठन ने भारत के दो महत्वपूर्ण राज्यों महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल को भारत से अलग कर उन्हें भाषा और संस्कृति के आधार पर स्वतंत्र होने की सलाह दी है जो कि किसान आंदोलन के जरिए इसके असल मंसूबों को जाहिर करता है।
एसएफजे की तरफ से बकायदा एक पत्र महाराष्ट्र और बंगाल की सरकारों को लिखा गया है। इस पत्र में कहा गया है कि अब महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार और पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को कहा है कि उन्हें महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल को एक स्वतंत्र राष्ट्र घोषित करते हुए संघीय गणराज्य भारत से अलग हो जाना चाहिए। इस पत्र में लिखा गया, “भारतीय संघ बंगाली और मराठी लोगों की समृद्धि, जातीयता, पहचान, भाषा और संस्कृति की विविधता की रक्षा को नकारता है और एक ऐतिहासिक समरूपता को लागू करता है। इसलिए दोनों ही राज्यों को एक अलग राष्ट्र के रुप में खुद को एक नई पहचान देनी चाहिए।”
इस संगठन ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को लिखे अपने खुले पत्र में कहा है कि भारत सरकार द्वारा 1947 में महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के संसाधनों को लूटा गया था। ये अलगाववादी संगठन इन राज्यों के मुखियाओं को इस कदर भड़का रहा है कि उन्हें राज्य सरकार की शक्तियों के बारे में गिनाकर इस बारे में सक्षम होने की बात कह रहा है। संगठन का कहना है कि अगर किसी भी प्रकार का विवाद होगा तो अंतरराष्ट्रीय अदालतों में उन्हें पूर्ण मदद मिलेगी।
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सिख फॉर जस्टिस संगठन दावा कर रहा है कि भारत की एकरूपता के इतर दोनों ही राज्यों की संस्कृति, भाषा, रहन-सहन, पहनावा सब भिन्न हैं। ऐसे में उनका खुद को अलग राष्ट्र घोषित करना ही सही होगा। इस पत्र के सार्वजनिक होने के कुछ ही दिनों बाद भारत सरकार ने इस संगठन की वेबसाइट को आधिकारिक तौर पर बैन कर दिया है। ये दिखाता है कि भारत सरकार अब इस पर कार्रवाई करने के लिए अपनी प्लानिंग कर चुकी है। हालांकि, इस संगठन के पत्र पर उद्धव सरकार और ममता सरकार की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
किसान आंदोलन के जरिए पुनः भारत को अस्थिर करने की नीति पर आगे बढ़ रहे सिख फॉर जस्टिस संगठन ने ये पूरा मुद्दा उन दोनों राज्यों के लिए ही उठाया है जो केंद्र सरकार के साथ इस समय सबसे ज्यादा टकराव की स्थिति में हैं। इन दोनों ही राज्य की सरकारों का रवैया देश के अन्य राज्यों से भिन्न होता है, जहां हिंसा से लेकर सरकारी तनाशाही अपने पैर पसार रही है। ऐसे में भारत की विपक्षी पार्टियों और खासकर कांग्रेस को भी समझना होगा कि किसान आंदोलन के नाम पर जो मोदी सरकार को घेरने की नीति उन्होंने बनाई थी, उसका फायदा देश के दुश्मन भारत को तोड़ने की नीति के तहत उठा रहे हैं।
ऐसे में केंद्र सरकार को अपनी कूटनीति के जरिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सिख फॉर जस्टिस जैसे संगठनों को प्रतिबंधित कराने की कोशिशों को और तेज करने की आवश्यकता है। इसके अलावा विपक्षी दलों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि राजनीतिक लड़ाई में देश की संप्रभुता के साथ कोई विदेशी खिलावाड़ न कर सके।