देश-विरोधी नहीं; वीगन, पशु-प्रेमी, घर में अकेली कमाने वाली 21 वर्षीय मासूम है दिशा रवि

दिशा रवि

PC: newsduniyaki.com/

हमारे देश के उदारवादी भी गजब हैं। जब देश पर आंच आती है, या देश के किसी भी प्रतीक का अपमान होता है, तो इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता, उलटा उसका समर्थन किया जाता है। लेकिन यदि देश को तोड़ने की मंशा रखने वालों को एक खरोंच भी लगे, तो आत्मा ऐसे तिलमिला उठती है, मानो प्रलय आ गई हो। भारत विरोधी ‘ग्रेटा टूलकिट’ को एडिट करने में शामिल पर्यावरणवादी दिशा रवि को हिरासत में लिए जाने पर देश के वामपंथी गैंग की आत्मा को एक बार फिर ठेस पहुंची, जो रिंकू शर्मा की जघन्य हत्या पर शायद कुम्भकर्णी नींद सो रही थी।

दिशा रवि की गिरफ़्तारी पर वामपंथी गैंग का रुदन स्वाभाविक था, पर उनकी दलीलें भी निराधार ही थीं। कुछ दिशा के उम्र के लिहाज से उसकी गिरफ़्तारी को अत्याचारी बता रहे हैं, तो कोई दिशा को वीगन बता रहा, कोई उसे सिंगल मदर के कारण छोड़ने की दुहाई दे रहा है। मतलब कारण चाहे जो हो, पर चूंकि दिशा रवि पर्यावरणवादी है, इसलिए वह गुनहगार नहीं है।

इसकी शुरुआत करुणा नंदी ने की, जिसने ट्वीट कर दावा किया, “किसान आंदोलन के समर्थन में एक सोशल मीडिया टूलकिट शेयर करने के लिए दिशा रवि को गिरफ्तार किया गया है। एकल माँ की बेटी दिशा पर ऐसे आरोप लगाना हास्यास्पद है, और उसे गिरफ्तार करना तो और भी ज्यादा”।

फिर क्या था, वामपंथियों का रुदन ट्विटर पर चालू हो गया, और जिन लोगों की अंतरात्मा रिंकू शर्मा की हत्या पर मौन थी, वो दिशा रवि की गिरफ़्तारी पर मानो दहाड़ें मार-मार कर रो रही थी। रिंकू शर्मा के परिवारजनों से कथित तौर पर मिलने से भी इनकार करने वाले अरविन्द केजरीवाल  दिशा रवि के गिरफ्तार होने पर ट्वीट करते हैं, “21 वर्षीय दिशा रवि की गिरफ़्तारी हमारे लोकतंत्र पर एक घातक हमला है। किसानों का समर्थन करना कोई अपराध नहीं”

पर ये तो बस शुरुआत है, क्योंकि दिशा रवि की गिरफ़्तारी से ऐसा लग रहा है मानो पूरे वामपंथी गैंग की सांसें छीन ली गई हो। जैसे बुरहान वानी के खात्मे पर सभी वामपंथी नेता और बुद्धिजीवी बढ़-चढ़कर उस आतंकी का बचाव कर रहे थे, वैसे ही दिशा रवि की गिरफ़्तारी पर सभी वामपंथी एक सुर में दिशा को निर्दोष होने का प्रमाण पत्र बांटते फिर रहे हैं।

ऐसे में राहुल गांधी कैसे पीछे रहते? जनाब ने एक बार फिर भारत विरोधी तत्वों को बढ़ावा देते हुए ट्वीट किया, “बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे, बोल कि सच जिंदा है अब तक। वो डरे हैं, देश नहीं! इंडिया wont be silenced

अब अगर तथ्यों पर ध्यान दे, तो दिशा की आयु के पीछे उसकी गिरफ़्तारी की निन्दा करना एक बेहद हास्यास्पद पैंतरा है। इन लोगों की दलीलों पर कुछ यूजर्स ने इन्हें आड़े हाथों लिया वहीं, इसी बात को रेखांकित करते हुए TFI के संस्थापक अतुल मिश्रा ने कुछ ट्वीट किए, जिसमें उन्होंने दिशा का बचाव करने के पीछे के हास्यास्पद तर्कों को आड़े हाथों लिया। अपने एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, यदि आप 21 के हैं, तो आप किसी नगरपालिका या पंचायत का सदस्य बनने के योग्य है। आप 21 वर्ष के हैं, तो आपके अंदर इतनी समझ तो होनी ही चाहिए कि क्या सही है और क्या गलत। यदि ये सब जानते हुए भी दिशा रवि भारत तोड़ने वालों का साथ दे रही हैं, तो उसकी गिरफ़्तारी पर इतना हो हल्ला क्यों?”

एक ट्वीट में उन्होंने लिखा, वो गर्भवती थी, ये बच्ची हैं। सब कुछ न कुछ हैं, बस दोषी कोई नहीं।”

एक अन्य ट्वीट में उन्होंने पोस्ट किया, कई हिंदुओं ने वीगन सिद्धांत को गलत पढ़ा है। वीगन भारत के दुग्ध उद्योग को बर्बाद करना चाहते हैं, और ये एक तरह से हलाल उद्योग को बढ़ावा ही देना होगा। अब ये दिशा वीगन है भी तो इससे उसके दोष का क्या वास्ता”?

खैर, यहाँ गौर करने वाली बात यह है कि दिल्ली पुलिस ने सबूत सहित सिद्ध किया है कि कैसे दिशा रवि, निकिता जैकॉब ने मो धालीवाल जैसे खालिस्तानियों के साथ मिलकर रिपब्लिक डे से पहले कई मीटिंग्स की थी, जिसका उद्देश्य स्पष्ट था – ‘किसान आंदोलन’ के नाम पर भारत में अशान्ति फैलाना। जांच पड़ताल में कई ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जिनसे दिशा रवि और निकिता जैकॉब जैसों के ऊपर संदेह और गहरा हो गया है। परन्तु इन वामपंथियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है।

यही नहीं दिशा रवि को पाकिस्तान से भी समर्थन मिला जिससे शक और गहरा जाता है।

 

चाहे बुरहान वानी हो, कन्हैया कुमार, गौतम नवलखा हो, या आदिल अहमद डार हो, अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर भारत के वामपंथियों का हृदय हमेशा से ही भारत को तोड़ने वालों के लिए छलनी हुआ है। वास्तव में एक व्यक्ति से उनकी घृणा इतनी ज्यादा है कि वे उसे झुकाने के लिए भारत को तोड़ने की मंशा रखने वालों को हरसंभव मदद देने से भी पीछे नहीं हटेंगे। दिशा रवि कोई अपवाद नहीं, अगर वो भारत को तोड़ने का प्रयास करती है, तो वामपंथियों के लिए सब माफ।

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