केन्द्र सरकार और पंजाब की अमरिंदर सरकार के बीच संसद द्वारा पारित कृषि कानूनों के मुद्दे पर गतिरोध की स्थिति है। पंजाब सरकार दावा कर रही है कि वो किसानों के हित के लिए सारी जहमतें उठा रही है जबकि हकीकत ये है कि पंजाब के किसानों को ही अब इस किसान आंदोलन का नुकसान हो रहा है। अमरिंदर सरकार की इन्हीं गलत नीतियों के चलते राज्य में असल किसानों को खेती में मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। स्थिति ये हो गई है कि एक किसान ने अपने बेटे के साथ ही आत्महत्या कर ली, और अपने सुसाइड में इस मौत का सीधा जिम्मेदार पंजाब की कांग्रेस शासित अमरिंदर सरकार को बताया है।
दिल्ली की सीमाओं पर इतने दिनों से तथाकथित किसान आंदोलन चल रहा है, इसके चलते पंजाब के कई असल किसान भी इसमें शामिल हो गए हैं, जो कि केन्द्र और राज्य की इस राजनीतिक लड़ाई के बीच पिस रहे हैं। न तो उन किसानों को आंदोलन के जरिए तीन कृषि कानूनों के खत्म होने का कोई लाभ हुआ है, न ही वो खेती करने पर ध्यान दे पा रहे हैं। बड़े-बड़े कॉरपोरेट किसानों के चक्कर में मुख्य दिक्कतें उन गरीब किसानों के लिए हैं जो कि अपनी छोटी सी जमीन पर पसीना बहाकर फसल उगाते हैं। इन परिस्थितियों के बीच वो कर्ज में डूबे हुए हैं लेकिन उन्हें राहत तनिक भी नहीं है।
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किसानों को लेकर एक तरफ जहां पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार खूब चिंतित दिखाई दे रही हैं तो दूसरी ओर पंजाब के होशियारपुर में एक किसान पिता-पुत्र ने आत्महत्या कर ली हैं। खबरों के मुताबिक इन दोनों पर काफी कर्ज था, इन्होंने अपनी फसलों के लिए कई बैंकों और साहूकारों से कर्ज ले रखा था, लेकिन इनकी किसी भी तरह की कर्ज माफी नहीं हुई, जिसके चलते ये लोग कैप्टन सरकार और कांग्रेस से बेहद ही नाराज थे। कांग्रेस ने चुनावी वादों को गंभीरता से नहीं लिया और आज नुकसान किसानों को भुगतना पड़ रहा है।
इतना ही नहीं ये लोग कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध करने दिल्ली भी गए थे लेकिन उन्हें ये समझ आ चुका था कि तीनों कृषि कानूनों के खात्मे की संभावनाएं न के बराबर हैं। ऐसे में उनकी एक मात्र उम्मीद कैप्टन सरकार ही थी, लेकिन कैप्टन सरकार के नाम पर कर्जमाफी का ऐसा झुनझुना पकड़ा रही है, जिसका किसानों को बिल्कुल भी लाभ नहीं हो रहा है। पंजाब सरकार के इसी रवैए के चलते दोनों पिता पुत्र ने आत्महत्या कर ली। अपने सुसाइड नोट में दोनों ने पूर्ण रूप से दोषी पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमिरंदर सिंह को माना है क्योंकि उन्होंने अपनी कर्ज माफी वाले चुनावी वादे को पूरा नहीं किया, और अब वो किसानों के मुद्दों पर केन्द्र सरकार के साथ दिखावे की राजनीति कर रहे हैं, जिससे किसानों को अपनी जीविका चलाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
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अमरिंदर सिंह जो अपनी पार्टी कांग्रेस के राष्ट्रीय उत्थान के लिए पंजाब सरकार का उपयोग कर केन्द्र सरकार की छवि नकारात्मक घोषित करने की कोशिश कर रहे हैं, उनके अपने ही राज्य में किसानों की दुर्दशा बताती है कि वो केवल किसानों के हितों का नाम लेकर राजनीतिक ढोंग कर रहे हैं, क्योंकि उनका मुख्य लक्ष्य केवल राजनीति ही है।