जब से CPM केरल सरकार में आयी है, उसका इ० श्रीधरन के साथ टकराव होता रहा है। इ० श्रीधरन, जिन्हे देश ‘मेट्रोमैन’ के नाम से जानती है और जो कोकण और दिल्ली मेट्रो प्रोजेक्ट को लीड कर चुके हैं, उन्हें विजयन सरकार राज्य के महत्वपूर्ण मेट्रो प्रोजेक्ट से बाहर रख रही है। केरल लाइट मेट्रो प्रोजेक्ट से इ० श्रीधरन को बाहर रखा गया है। दोनों के बीच कोच्ची मेट्रो प्रोजेक्ट के परिचालन और उसके लाभ की संभावना को लेकर मतभेद है।
श्रीधरन केरल सरकार की योजनाओं की अक्सर आलोचना करते रहे हैं। 2019 में जब केरल के कॉलेजों में चुनाव करवाने के लिए विजयन सरकार एक बिल लेकर आई तो श्रीधरन ने केरल सरकार की आलोचना की। उस समय छात्रसंघ चुनावों पर केरल हाई कोर्ट का प्रतिबंध था, इसके बाद भी विजयन सरकार बिल ले आई थी। श्रीधरन ने तब कहा था “प्रिंसिपल के पुतले फूंकने से लेकर छात्रों को चाकुओं से गोदने तक, केरल के कॉलेजों में ऐसी कई घटनाए हो रही हैं। यह सही है की हर युवा को शिक्षा तक पहुँचने का अधिकार है लेकिन कैंपस में राजनीति करना मूल अधिकार नहीं कहा जाता। केवल छात्र नहीं बल्कि, कॉलेजों से बाहर के नेता भी ऐसी गतिविधियों को अपने समर्थन से बढ़ावा दे रहे हैं।
श्रीधरन ने विजयन के असल व्यक्तित्व की पहचान कर ली है। विजयन किसी भी अन्य कम्युनिस्ट नेता की तरह तानाशाह हैं, यही कारण है की विजयन द्वारा राजनीतिक एजेंडे के लिए विकास योजनाओं को अटकाने के कारण श्रीधरन ने उन्हें ‘तानाशाह’ कहा था।
मुझे दुख हुआ कि उन्होंने निलाम्बुर नंजनगुड रेल लाइन का विरोध किया। निलाम्बुर नंजनगुड की जगह वे थालास्सेरी मैसूर रेल प्रोजेक्ट चाहते थे।
केरल वर्षों से भ्रष्टाचार और राजनीतिक हिंसा का शिकार है, साथ ही केरल आतंकी और देशविरोधी तत्वों के लिए एक उपजाऊ भूमि बनता जा रहा है। क्राइम रेट भी तेजी से ऊपर जा रहा है। ऐसे में श्रीधरन को केरल के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों, विशेष रूप से विजयन सरकार से कोई उम्मीद नहीं बची है। श्रीधरन ने कहा “यदि भाजपा सरकार में आती है तो मैं मुख्यमंत्री बनने के लिए तैयार हूँ। हालांकि, अभी तक पार्टी ने मुझसे पूछा नहीं है क्योंकि अभी बहुत जल्दबाजी हो जाएगी। लेकिन अगर भाजपा पूछती है, तो मेरी इच्छा है कि मैं कार्यभार संभालूं और दिखा सकूँ की एक राज्य को कुशलतापूर्वक कैसे चलाया जाता है, जैसे हम दिल्ली मेट्रो को चला रहे हैं।
श्रीधरन को पब्लिक और प्राइवेट, दोनों क्षेत्रों में काम करने का लंबा तजुर्बा रहा है, उनकी छवि साफ सुथरी है, उन्होंने दशकों तक इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट पर काम किया है, कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट का नेतृत्व किया है। ऐसे में वह विजयन से बहुत बेहतर विकल्प हैं।
विजयन को सरकार चलाने के नाम पर केवल सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करना आता है। कोविड को संभाल पाने में केरल सरकार की असफलता इसका सबसे बड़ा प्रमाण है कि विजयन एक खराब मुख्यमंत्री हैं। उनके दल का रवैया भी अलोकतांत्रिक है। CPM कार्यकर्ता राजनीतिक हिंसा में लिप्त मिलते हैं। RSS और भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या, कम्युनिस्ट पार्टी में बढ़ती घबराहट का संकेत है। कम्युनिस्ट पार्टी समझती है कि, भाजपा कम्युनिस्ट दल का बेहतर विकल्प बन सकती है और अब इसे श्रीधरन के रूप में एक बड़ा चेहरा भी मिल गया है।
विजयन सरकार के चार सालों में केरल पर कुल कर्ज बढ़कर दुगना हो गया है। केरल पर कुल 3.27 लाख करोड़ रुपये का कर्ज है, इसका मतलब हर केरलवासी पर 1.2 लाख रुपये का कर्ज है। केरल में वामपंथियों के प्रभाव के कारण, कोई बड़ी कंपनी निवेश नहीं कर रही। उच्च शिक्षा स्तर के बाद भी युवा बेरोजगार हैं। केरल की सांस्कृतिक पहचान को भी विजयन सरकार मिटाना चाहती है। सबरीमाला प्रकरण इसका उदाहरण है।
ऐसे में श्रीधरन की राजनीति में एंट्री समीकरणों को बदल सकती है। भाजपा का ग्राफ केरल में चुनाव दर चुनाव ऊपर उठ रहा है, लेकिन वह सत्ता तक इसलिए नहीं पहुंच पा रही थी क्योंकि उसके पास कोई स्थानीय राजनीतिक चेहरा नहीं था। अब ई० श्रीधरन के रूप में यह चेहरा भी मिल गया है, ऐसे में चुनाव परिणाम चौकाने वाले भी हो सकते हैं।