Newsclick के दफ्तर पर पड़ा ED का छापा, लिबरल रो रहे हैं लेकिन यहाँ मामला कुछ और ही है

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प्रवर्तन निदेशालय ने हाल ही में न्यूज पोर्टल न्यूज़ क्लिक के दफ्तर पर छापा मारा। इस पोर्टल पर 30 करोड़ रुपए की धांधली करने का आरोप लगा है और ED के अनुसार जिस अमेरिकी कंपनी से इन्होंने पिछले 3 वर्ष में को 30 करोड़ रुपए लिए, वह जाने कब की भंग हो चुकी है। प्रवर्तन निदेशालय की एक टीम ने न्यूज़ पोर्टल के संपादक प्रबीर पुरकयस्थ के घर भी धावा बोला।

प्रवर्तन निदेशालय के अफसर ने कहा, “कुछ महीने पहले दर्ज एफआईआर के बल पर हमने Prevention of Money Laundering Act के अंतर्गत छापा मारा, और 30 करोड़ रुपए के फंडिंग से जुड़े कुछ अहम साक्ष्य मिले, वो भी उस कंपनी से जो बहुत पहले लिक्विडेट यानी भंग हो चुकी है”।

लेकिन इस निर्णय से वामपंथियों की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई है। पोर्टल के बयान के अनुसार, “DIGIPUB News India Foundation  का मानना है कि ED द्वारा  NewsClick, उसके संपादकों एवं निदेशकों ने घर छापा मारना सरकार का विरोध करने वाले निष्पक्ष पत्रकारों का दमन है। इससे ना सिर्फ सरकार की तानाशाही छवि सामने आती है, बल्कि लोकतंत्र की स्वतंत्रता को भी खतरा बना हुआ है”।

अब ऐसे में हमारे वामपंथी बंधु कैसे शांत रहते? लिहाजा सभी लोगों का अनर्गल प्रलाप शुरू हो गया। जहां प्रेस क्लब ऑफ इंडिया ने इस छापे को पत्रकारिता पर कायराना हमला बताया है, तो वहीं एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने भी प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया का ही बयान उठा के अपने बयान के तौर पर छाप दिया।

 

परन्तु ऐसा क्यों हुआ? दरअसल, न्यूज़ क्लिक भी किसान आंदोलन के नाम पर भ्रामक तथ्यों और असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार के राडार पर है, जिस बात को अपने बयान में प्रेस क्लब ने भी अप्रत्यक्ष रूप से रेखांकित किया। लेकिन सबसे अधिक चिंता तो अभिसार शर्मा को हुई, जो इसी न्यूज़ पोर्टल के लिए आजकल काम करते हैं। जब छापा पड़ा था, तो अभिसार इसी कंपनी के स्टूडियो में  रिकॉर्डिंग कर रहे थे, और महोदय के अलावा कई वामपंथी भी अपने प्रोपेगेंडा के बचे खुचे स्रोतों में से एक को छीनते देख काफी बिलबिला रहे थे।

https://twitter.com/AunindyoC/status/1359085299771469825

 

 

भारत का वामपंथी मीडिया दोगलेपन की पराकाष्ठा पार करता आया है। कैमरे के सामने नैतिकता की दुहाई देने वाले यह लोग असल में  देशद्रोही तत्वों को खुलेआम समर्थन  देते आए हैं। लेकिन अब इनकी खैर नहीं है, क्योंकि केंद्र सरकार ने भी अपना रुख स्पष्ट किया है – हिंसा को बढ़ावा देने वाले और वैमनस्य फैलाने वाले न्यूज़ पोर्टल्स को अब नहीं छोड़ा जाएगा।

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