आखिरकार, ऑनलाइन वेबसाइट्स और OTT प्लेटफॉर्म्स हिंदुओं के विरुद्ध जहर नहीं उगल पाएंगे

अपने कहे अनुसार सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने हाल ही में ऑनलाइन कॉन्टेन्ट के प्रसारण हेतु कुछ दिशानिर्देश निकाले हैं। इस दिशानिर्देश के लागू होते ही न केवल ऑनलाइन वेबसाइट और OTT प्लेटफ़ॉर्म का अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता के नाम पर हिंदुओं को अपमानित करना असंभव होगा, बल्कि भारत की अखंडता के साथ खिलवाड़ करने पे अब ये साइट पहले की भांति बचकर नहीं निकल पाएंगे।

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “केंद्र सरकार OTT प्लेटफ़ॉर्म और डिजिटल मीडिया के लिए एक निश्चित कोड ऑफ एथिक्स को लागू करने पर विचार कर रही है। इस दिशानिर्देश के अनुसार सभी कंपनियों और प्लेटफ़ॉर्म को ऑनलाइन कॉन्टेन्ट प्रसारण के दौरान ये ध्यान में रखना होगा कि वे ऐसा कोई भी कदम न उठाए जिसके कारण भारत की अखंडता और संप्रभुता खतरे में आए”।

यह बात सिर्फ एमेजॉन, नेटफ़्लिक्स और हॉटस्टार जैसे OTT प्लेटफ़ॉर्म के लिए ही नहीं, ट्विटर, फ़ेसबुक और गूगल जैसे टेक कंपनियों के लिए भी लागू होंगी। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में आगे बताया गया है कि, “सोशल मीडिया कम्पनीज़ और OTT प्लेटफ़ॉर्म एक नए थ्री टियर रेगुलेटरी फ्रेमवर्क के अंतर्गत आएंगे, जिसके अधिनियम Information Technology Act 2000 के धारा 87 के अंतर्गत मान्य होंगे। इतना ही नहीं, ऑनलाइन कॉन्टेन्ट पर नजर रखने के लिए Cable Table Television Networks Regulation Act, Press Council Act जैसे अधिनियम भी लागू होंगे, जो पहले केवल अखबारों और टीवी प्रोग्राम पे ही लागू होते थे”।

इसके अलावा नए कोड के अंतर्गत OTT प्लेटफ़ॉर्म को कॉन्टेन्ट classify करने के लिए भी बाध्य होन पड़ेगा। हालांकि यह अब तक अवश्यंभावी नहीं रहा है, लेकिन OTT प्लेटफ़ॉर्म पर बढ़ती अश्लीलता और भड़काऊ सामग्री के चलते जल्द ही universal rating (U), U/A seven plus, U/A thirteen plus, U/A sixteen plus and Adult, for people over 18 जैसे रेटिंग दिखाना आवश्यक हो जाएंगे।

अब इन सब से क्या लाभ होगा? दरअसल, इस नई नियमावली से एक बात तो स्पष्ट है – अब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर भारत, विशेषकर भारत की मूलभूत सनातन संस्कृति का अपमान स्वीकार्य नहीं होगा। पिछले दो महीनों में हमने स्पष्ट देखा है कि किस प्रकार से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर हमारे देश और उसकी संस्कृति को खुलेआम अपमानित किया जा रहा है, चाहे वो ‘तांडव’ जैसी वेब सीरीज के जरिए हो, या फिर ट्विटर पर आए दिन किसान आंदोलन के नाम पर किये जा रहे भारत विरोधी ट्वीट्स और ट्रेंड्स से हो।

वामपंथी अक्सर तंज कसते हैं, ‘क्या हमारा देश / संस्कृति इतनी कमजोर है कि चंद लोगों के प्रहार से डर जाएगी?’ लेकिन इस तंज के नाम पर अक्सर उन्होंने प्रशासन के हाथ बांधकर भारत विरोधी तत्वों को पनपने दिया है। परंतु अब ये नौटंकी और नहीं चलेगी और अपने नए अधिनियम से केंद्र सरकार ने भारत विरोधी तत्वों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई के लिए प्रशासन के हाथ खोल दिए हैं।

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