सोमनाथ भारती के बाद अब संजय सिंह की बारी
देशभर में अराजकतावादियों के साथ लोग कैसा भी बर्ताव करें, परंतु उत्तर प्रदेश वो जगह है जहां से कोई अपराधी फिलहाल के लिए बचकर नहीं निकल सकता। जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश के बच्चों का उपहास उड़ाने और योगी आदित्यनाथ को धमकाने के लिए यूपी पुलिस ने निलंबित विधायक सोमनाथ भारती की क्लास लगाई थी, अब शायद वही काम आम आदमी पार्टी के अराजक नेता संजय सिंह के साथ भी हो सकता है।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह को करारा झटका देते हुए उसकी गिरफ़्तारी पर रोक लगाने से मना कर दिया। राज्यसभा से आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने एक मामले के लिए सुप्रीम कोर्ट से गिरफ़्तारी पर रोक की अर्ज़ी डाली थी, जिसे देने से सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट मना कर दिया। उन्होंने कहा कि पहले संजय सिंह हाई कोर्ट के पास जाएँ, और फिर उसके आदेश का निरीक्षण करते हुए सुप्रीम कोर्ट विचार करेगा।
परंतु आखिर संजय सिंह ने ऐसा किया क्या जो उसे कोर्ट के चक्कर काटने पड़ रहे हैं? दरअसल पिछले वर्ष एक संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश सरकार समाज के एक विशेष वर्ग का समर्थन कर रही है, जिसके बाद लखनऊ में सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आम आदमी पार्टी के सांसद के विरुद्ध गैर ज़मानती धाराओं के अंतर्गत मुकदमा दर्ज किया गया, जिसे रद्द करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में संजय ये याचिका दर्ज कराई।
मजे की बात है कि 21 जनवरी को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी अपने निर्णय में 12 अगस्त, 2020 के संवाददाता सम्मेलन के बाद लखनऊ में दर्ज प्राथमिकी रद्द करने से इंकार कर दिया था। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने न केवल याचिका को निरस्त किया, बल्कि जब संजय का प्रतिनिधित्व कर रहे विवेक तन्खा ने शीर्ष अदालत से अपील की कि सिंह को लखनऊ में दर्ज प्राथमिकी के आधार पर उनके खिलाफ जारी गैर जमानती वारंट के से सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए, तो पीठ ने कहा कि वह मामले की सुनवाई कर रही निचली अदालत के समक्ष पेशी से छूट का अनुरोध कर सकते हैं।
ये वही संजय सिंह हैं, जिनपर पिछले वर्ष संसद में गुंडई करने के लिए कई अन्य सदस्यों के साथ निलंबित कर दिया गया था। इसके अलावा संजय की गुंडई से कोई भी अपरिचित नहीं है। लेकिन योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश सरकार हर उस व्यक्ति या संगठन पर करार प्रहार करती है, जो राज्य की शांति को भंग करने का प्रयास करता हो। इसी नीति के अंतर्गत सोमनाथ भारती जैसे अराजकतावादियों पर भी यूपी पुलिस ने न सिर्फ उचित कार्रवाई की, बल्कि अपनी शैली में शिष्टाचार का पाठ भी पढ़ाया।
उत्तर प्रदेश पुलिस का रवैया स्पष्ट है – जो ज्यादा खलीफा बनेगा, तो उसके खिलाफ पुलिस सख्त रवैया अपनाएगी। चाहे चंद्रशेखर रावण हो, मोहम्मद आजम खान हो या फिर सोमनाथ भारती, योगी आदित्यनाथ के शासन में किसी भी अराजकतावादी को अपनी मनमानी नहीं करने दी जाती। अब चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह के गिरफ़्तारी पर रोक लगाने से मना कर दिया है, इसलिए उसकी आगे की राह बहुत कठिन होने वाली है, जिसके लिए केवल और केवल वही जिम्मेदार हैं।