पीएम मोदी के सामने ट्रूडो का घुटने टेकना खालिस्तानी प्रायोजित किसान आंदोलन के लिए किसी सदमे से कम नहीं

हाल ही में कनाडा की वैक्सीन समस्या को लेके पीएम मोदी ने घोषणा की कि भारत कनाडा को कोरोना वायरस से निपटने के लिए वैक्सीन की बड़ी खेप भेजेगा। पीएम मोदी ने कहा कि उन्होंने जस्टिन ट्रूडो की मांग को स्वीकारते हुए यह निर्णय लिया है। ट्रूडो द्वारा भारत से वैक्सीन मांगना उनकी हरा को दिखाता है और ये उनके खालिस्तानी समर्थकों के लिए एक बड़ा झटका है जो कनाडा सरकार के बल पर दम भरते हैं।

पीएम मोदी ने कनाडा को वैक्सीन भेजने की घोषणा कर न सिर्फ नए भारत के उदय को सिद्ध किया है, बल्कि एक ही तीर से अनेक निशाने भी साधे है। स्थिति यह है कि जो कनाडा कभी भारत को पेनसिलिन एक्सपोर्ट करता था, आज वही कनाडा चीन, अमेरिका और यूके से दुलत्ती खाने के बाद वैक्सीन के लिए भारत के सामने गिड़गिड़ाने को विवश है। परन्तु यहाँ सबसे बड़ी बात खालिस्तानियों के लिए बड़ा झटका है।

जिस प्रकार से भारत विरोधी तत्व कनाडा में शरण लेकर भारत को अपशब्द बोलते हैं, और भारत विरोधी आंदोलनों को हवा देते हैं,उस बीच इस तरह से कनाडा के प्रधानमंत्री का इस तरह से भारत के सामने झुकना खालिस्तानियों की कमर तोड़ने जैसा है। वहीं पीएम मोदी के ट्वीट से ये भी स्पष्ट होता है कि अब पीएम मोदी भी इन तत्वों को हल्के में लेने के मूड में नहीं है, और इन्हें इनकी औकात बता कर ही दम लेंगे। जिस प्रकार से जस्टिन ट्रूडो को भारत से वैक्सीन मांगने के लिए विवश होना पड़ा, ये जानते हुए भी कि इससे उनके खालिस्तानी समर्थक नाराज हो सकते हैं, उसी से सिद्ध होता है कि भारत की कूटनीतिक शक्ति कितनी बलवान है।

लेकिन इसका वैक्सीन से क्या कनेक्शन? दरअसल, कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सत्ता खालिस्तान के बैसाखियों पर टिकी है, क्योंकि ट्रूडो की लिबरल पार्टी कनाडा की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी, जिसके अध्यक्ष कट्टर खालिस्तानी समर्थक जगमीत सिंह है, अपना समर्थन देकर सत्ता को बनाए हुए हैं। यही जगमीत सिंह भारत में देशद्रोह को बढ़ावा दे रहे अराजकतावादी आंदोलन के कट्टर समर्थक और यही जगमीत सिंह पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के भी संस्थापक है, जो ग्रेटा थनबर्ग द्वारा अनजाने में लीक हुए टूलकिट के कारण केंद्र सरकार के रडार पे आ चुका है।

ये जानते हुए भी कि भारत से वैक्सीन मांगना खालिस्तानियों को क्रोधित कर सकता है, जस्टिन ट्रूडो अपना कटोरा लेके भारत के द्वार पे पहुँच गए। पीएम मोदी आम तौर पर वैक्सीन को दुनिया के विभिन्न देशों में भेजे जाने पर कोई विशेष पोस्ट नहीं करते, लेकिन कनाडा के बारे में खुद से ट्वीट कर मानो वे ये संदेश देना चाहते थे, ‘अरे बावले, तुम्हारे खेवनहार तो हम ही से वैक्सीन मांगने के लिए विवश हैं”, और इसी बात पर कनाडा के विपक्ष ने ट्रूडो को जमके ट्रोल भी किया –

 

इस पूरे प्रकरण से एक बात तो स्पष्ट सिद्ध होती है – ट्रूडो का झुकना खालिस्तानियों की बड़ी हार है। जिस प्रकार से कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो  भारत से वैक्सीन की भीख मांगने को विवश हुए, उससे खालिस्तानी मोर्चे की हवा निकल गयी है।

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