फ़ेसबुक पर इस समय एक ही कहावत चरितार्थ होती है – आ बैल मुझे मार। अमेरिका में ट्रम्प को सत्ता से बेदखल करने के बाद से बिग टेक कंपनियों के हौसले कुछ ज्यादा ही बढ़ चुके हैं। लेकिन उन्हे धरातल पर पटकने में भारत, पोलैंड और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन फ़ेसबुक ने इससे कोई सीख न लेते हुए ऑस्ट्रेलिया में अपने साइट पर न्यूज प्रसारण पर रोक लगा दी।
ऑस्ट्रेलिया में हाल ही में फ़ेसबुक ने अपने अकाउंट फ़ीड में न्यूज के आदान प्रदान पर रोक लगा दी है, यानि एक तरह से ऑस्ट्रेलिया के फ़ेसबुक यूजर्स को किसी भी प्रकार की जानकारी उपलब्ध नहीं हो पाएगी। लेकिन स्कॉट मॉरिसन भी इसका मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार बैठे हैं, क्योंकि वो इन लोगों को अपनी मनमानी नहीं करने देना चाहते।
स्कॉट मॉरिसन के अनुसार, “आज जिस प्रकार से फ़ेसबुक ने ऑस्ट्रेलिया को अनफ्रेंड किया है, और उसे आवश्यक सूचनाओं से वंचित किया है, ये न सिर्फ फ़ेसबुक के घमंडी स्वभाव को उजागर करता है, बल्कि हमारे देश के लिए काफी निराशाजनक दिन भी दिखाता है। इस तरह के निर्णयों से ये स्पष्ट होता है कि अन्य देशों द्वारा इन बिग टेक कंपनियों की मनमानी के विरुद्ध आवाज उठाना गलत नहीं है, क्योंकि ये अब अपने आप को कानून से ऊपर समझने लगे हैं”
लेकिन ऐसा क्यों? ऐसा इसलिए क्योंकि फ़ेसबुक को वर्तमान में ऑस्ट्रेलियाई प्रशासन के नए मीडिया कानून से आपत्ति है। ऑस्ट्रेलिया के नए मीडिया कानून के अनुसार जो भी कंपनी ऑस्ट्रेलिया में ऑनलाइन इन्फॉर्मैशन का प्रसारण करेगी, उसे स्थानीय मीडिया को भी उनका उचित मूल्य देना चाहिए। लेकिन भला बिग टेक कंपनियां स्थानीय मीडिया को महत्व क्यों देती? इस निर्णय को अपनी शान में गुस्ताखी समझते हुए गूगल ने ऑस्ट्रेलिया से हाथ पीछे खींचने की धमकी भी दी थी, लेकिन ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने गूगल को ठेंगा दिखते हुए ये संदेश दिया – राष्ट्रहित से कोई समझौता नहीं होगा, आपको जो करना है कर लीजिए।
इसी भांति जब भारत में लाल किले पर 26 जनवरी को खालिस्तानियों ने उपद्रव मचाया, तो भारत ने भ्रामक खबरें फैलाने वाले अकाउंट को निलंबित करने के लिए ट्विटर को निर्देश दिया। लेकिन ट्विटर ने भारत को ठेंगा दिखाते हुए इन अकाउंट को कुछ ही घंटों में बहाल कर दिया। परंतु भारत ने भी ट्विटर को उसकी औकात बताते हुए स्थानीय एप ‘कू’(koo) को बढ़ावा देना शुरू कर दिया, और ट्विटर पर भारतीय कानून की अवहेलना करने के लिए गंभीर परिणाम भुगतने की चेतावनी भी दी, जिसके चलते ट्विटर को कई अकाउंट निलंबित करने पड़े, और वामपंथी समर्थक ट्विटर इंडिया पॉलिसी प्रमुख महिमा कौल को अपने पद से भी हाथ धोना पड़ा।
स्कॉट के कड़े रुख से स्पष्ट है कि फ़ेसबुक ने इस बार गलत लोगों से पंगा लिया है। ऑस्ट्रेलिया उन देशों में से नहीं है, जो सर झुका के बिग टेक कंपनियों की जी हुज़ूरी करेगा। पोलैंड ने पहले ही सोशल मीडिया कंपनियों के विरुद्ध किसी भी प्रकार के अनावश्यक प्रतिबंध पर कानूनी कार्रवाई करने का प्रावधान पारित किया है, और यदि ऑस्ट्रेलिया को विवश किया गया, तो शायद वह भी फ़ेसबुक जैसे बिग टेक कंपनियों के विरुद्ध कोई ऐसा कदम उठा सकता है, जो अंत में उसी के लिए हानिकारक सिद्ध हो सकता है।