दो एशियाई दिग्गज यानी भारत और चीन के बीच बॉर्डर पर तनाव कम होने के बावजूद भारत सरकार ने चीन के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति में कोई बदलाव नहीं किया है और और ना ही किसी चीनी कंपनी को कोई प्रोजेक्ट सौंपा है। कई मीडिया रिपोर्ट्स ने यह दावा किया था कि भारत सरकार अब चीनी FDI को क्लियर करना शुरू कर दिया है। अब सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि FDI नियमों में किसी प्रकार की ढील नहीं दी जा रही है।
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— PRO (Defence), Manipur, Nagaland & South Arunachal (@prodefkohima) February 16, 2021
वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों ने हाल की मीडिया रिपोर्टों को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया है कि सीमा पर तनाव को कम करने के साथ, भारत ने विभिन्न चीनी एफडीआई को मंजूरी दी है और कई पाइपलाइन में हैं।
सरकारी सूत्रों ने एएनआई को बताया कि चीन के लिए अभी तक FDI में कोई बदलाव नहीं किया गया है और न ही निकट भविष्य में ऐसी कोई योजना है। चीन के सभी निवेशों को प्रक्रियाओं और सरकारी clearance route का पालन करना होगा, तथा केवल उन निवेशों को मंजूरी दी जाएगी जो भारतीय सुरक्षा हितों पर कोई प्रभाव नहीं डालते हैं। कोई भी चीनी कंपनी जो संभावित रूप से भारत की सुरक्षा को खतरे में डालती है, उसे मंजूरी नहीं दी जाएगी।
जब से गलवान घाटी की झड़प हुई है, भारत सरकार ने देश में आने वाले चीनी निवेश प्रवाह पर शिकंजा कस दिया है और कई चीनी ऐप्स पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। हालांकि, बीजिंग का कहना है कि ये कार्रवाई विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों के खिलाफ है।
रिपोर्ट के अनुसार सरकारी सूत्रों का कहना है कि तीन प्रस्ताव, जिन्हें हाल ही में मंजूरी मिली हैं, उनमें से एक हांगकांग आधारित कंपनी है तथा एक जापानी मूल की कंपनी है।
सूत्रों ने कहा कि कुछ मीडिया रिपोर्टों के अनुसार इन निवेशों का बॉर्डर पर Disengagement का संबंध से कोई संबंध नहीं था। 22 जनवरी को बैठक के दौरान ये प्रस्ताव आए थे और 5 फरवरी को वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा मंजूरी दे दी गई थी।
वाणिज्य मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, एक कंपनी जिसे गो-फॉरवर्ड मिला है, वह निप्पॉन पेंट होल्डिंग्स कंपनी लिमिटेड, जापान (निप्पॉन जापान) है। निप्पॉन जापान टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है। वहीं दूसरी कंपनी Citizen Watches (India) Private Limited के 100 प्रतिशत शेयर भी Citizen Watches Company Limited के पास जो जापान की टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध है।
जिस तरह से भारतीय मीडिया के कुछ मीडिया हाउस चीनी पक्ष में रिपोर्टिंग कर रहे हैं उसे देखकर अब ऐसे में यह सवाल उठता है कि जो क्या चीन भारतीय मीडिया का इस्तेमाल कर अपनी लॉबी करा रहा है?
भारत में पहले ही कई मीडिया हाउस बार बार चीनी पक्ष लेने के कारण एक्सपोज हो चुके हैं। अब इस तरह खुल कर चीनी FDI को ले कर लॉबी करते नजर आ रहे है।
बता दें कि पिछले साल अप्रैल में गलवान घाटी में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी द्वारा किए गए हमले के मद्देनजर और चीनी कंपनियों द्वारा कोरोना के समय कमजोर कंपनियों के अधिग्रहण से रोकने के भारत ने चीन से आने वाले एफडीआई पर प्रतिबंध लगाया था।
पिछले साल 18 अप्रैल को, सरकार ने FDI नियमों में संशोधन किया था, जिससे सभी पड़ोसी देशों के लिए भारतीय संस्थाओं में निवेश करने से पहले अनुमति लेना अनिवार्य हो गया था। अब चीन भारत में निवेश करने के लिए बेचैन हो रहा है तथा भारतीय मीडिया द्वारा अपनी लॉबी कराने की कोशिश करने में लगा। अब सरकार इन फेक न्यूज पर कड़ी नजर रखनी होगी जिससे चीन के प्रोपोगेंडे को ध्वस्त किया जा सके।