हमारे मोहल्ले में भिन्न भिन्न प्रकार के लोग होते है। इनमें से कुछ ऐसे भी होते हैं, जिन्होंने जीवन में कोई विशेष उपलब्धि न प्राप्त की हो, परंतु जताते ऐसा हैं, मानो इनसे ज्ञानवान कोई संसार में है ही नहीं। ऐसे ही एक महापुरुष हैं अपने मैग्सेसे पुरस्कार विजेता रवीश कुमार, जिनकी मानिए तो सांप्रदायिक व्यक्तियों से लड़कियों का संबंध रखना किसी पाप से कम नहीं।
रवीश कुमार ने आज वेलेंटाइन डे के अवसर पर एक फेसबुक पोस्ट डाली, जिसमें वे लिखते हैं, “भारत की लड़कियों को बिन माँगे एक राय देना चाहता हूँ। जब किसी को साथी चुनें सांप्रदायिक ख़्याल वाले को न चुनें। जो दूसरों से नफ़रत करता है वो आपसे कभी प्रेम कर ही नहीं पाएगा। मुमकिन है आप अपनी पसंद से या माँ बाप की सहमति से शादी करें लेकिन ऐसे लड़के का साथ न चुनें”।
अब रवीश कुमार की विचारधारा को ध्यान से देखें, तो यह अनुमान लगाने में कोई मुश्किल नहीं होगी कि जनाब का इशारा किस ओर था। वे आगे कहते हैं, “सांप्रदायिक ख़्याल के लोग पोलिटिकल स्पेस में ही नहीं बल्कि पर्सनल स्पेस में भी दंगाई होते हैं। वह कभी भी ईमानदार प्रेमी नहीं हो सकता है। वह आपके साथ भी हिंसा करेगा। इसका मतलब यह नहीं कि लड़कियाँ सांप्रदायिक नहीं होती हैं। तब लड़कों को ऐसी लड़कियों से सतर्क रहना चाहिए। अंत में राजनीति भी तभी बेहतर करती हैं जब वह प्रेम की बात करती हैं। जिस समाज में प्रेम करना मुश्किल हो जाए उस समाज में सबसे पहले नौजवान ही नहीं रहना चाहेंगे”।
वास्तव में रवीश कुमार महिलाओं को ये विश्वास दिलाना चाहते हैं कि जो लोग सांप्रदायिक विचारधारा से ग्रसित हैं, वे वास्तविक जीवन में रोमांटिक नहीं हो सकते। भले ही वे रोमांटिक हों, रवीश के गहन निष्कर्षों के अनुसार, वे प्यार करने के योग्य नहीं हैं, वो भी इसलिए क्योंकि 2021 में जिस पार्टी से वो असीम नफरत करते हैं वो उसके समर्थक हैं। ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि शायद रवीश कुमार की दुनिया में, यदि कोई कांग्रेसी है या वामपंथी तो वो महिलाओं के ‘प्यार’ के लिए योग्य है। अब रवीश जिस सोच को सामने रख रहे उसे आप क्या कहेंगे कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
रवीश कुमार की हालत मोहल्ले के उस फूफा जैसे हैं, जिसने जीवन में कभी कोई सकरात्मकता नहीं देखी, और वह हर वस्तु में कमी ढूँढने निकल पड़ता है। दुनिया चाहे जितनी प्रगति करे, जितनी भी खुशहाल हो, इन्हें हर चीज में दुख ढूँढना है। जब इन्हें मैग्सेसे पुरस्कार मिला, तब भी ये केवल और केवल नकारात्मक बातों पर ही ध्यान दे रहे थे। इनके हृदय और फेफड़ों को निचोड़ कर देखें, तो इतना अवसाद मिलेगा, जो शायद एक पूरे राज्य को बीमार बना सकता है।
बहरहाल, रवीश के इस अनचाहे ज्ञान पर जनता ने भी कमेन्ट सेक्शन में जमकर धोया। एक यूजर ने लिखा, “क्या सरजी क्या से क्या हो गए देखते देखते इस हद तक गिर गए? आप खुद कभी self analysis करते हो भी या बस भोंपू की तरह ज्ञान देने लगते हो किसी भी विषय पर। ये choice लोगों पर छोड़ दो, न्यूज रुम में बैठ देश नहीं समझ सकते। कहीं कुछ तो है समाज में तभी समस्या राजनीति का आज केन्द्र है, इस समस्या का भी जाना अनिवार्य है। जिन दिन आपका अपना उस का भुक्तभोगी बन जाऐगा ..ज्ञान खिडक़ी से ऊड़न छू हो जाता साहब”।
अनिल लोहिया नामक एक अन्य यूजर ने पोस्ट किया, “नहीं सर गाली नहीं देंगे, आपके शातिर दिमाग की तारीफ करेंगे। बड़े दार्शनिक अंदाज में मासूम लड़कियों का माइंड बदलने का कार्य करना कोई आपसे सीखे। यहां सीधे सीधे लव जिहाद को समर्थन की बात तो नहीं की, लेकिन बड़े ही धूर्ततापूर्ण अपना एजेंडा सेट कर दिया”।
वास्तव में रवीश कुमार ने एक बार फिर अपनी ‘सांप्रदायिक सोच’ का बेशकीमती उदाहरण पेश किया है। कमाल की बात तो यह है कि जो व्यक्ति प्रेम संबंध पर आज ज्ञान दे रहा है, और सांप्रदायिकता के विरुद्ध इतना उग्र हो रहा है, वही तबरेज़ अंसारी के मारे जाने पर पक्षपाती रिपोर्टिंग कर रहा था और ये इनके लिए आम बात भी है। महिलाओं पर अपनी इच्छा थोपने के साथ ही रवीश कुमार एक बार फिर अपनी घृणास्पद विचारधारा का परिचय दे रहे हैं, जिसमें हिंदुओं के लिए काफी नफरत भरी हुई है। वास्तव में ‘सांप्रदायिक सोच’ तो ये रखते हैं और दूसरों को ज्ञान बांट रहे हैं जो ज्ञान उनसे किसी ने नहीं मांगा है।