हम सभी इस बात से परिचित हैं कि भारत ने चीन को उसकी औकात बताते हुए एक के बाद एक कई मोबाइल एप प्रतिबंधित कर कैसे आर्थिक मोर्चे पर एक करारा झटका दिया था। लेकिन बहुत कम लोग इस उपलब्धि के पीछे के असली नायक की प्रशंसा करते हैं, जिनका नाम है रविशंकर प्रसाद।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया के रिपोर्ट की माने तो यह निर्णय चंद घंटों में लागू किया गया एक साहसिक निर्णय था। चीन द्वारा गलवान घाटी में घात लगाकर हमला करने के पश्चात मोदी सरकार मुंहतोड़ जवाब देना चाहती थी, जिसके लिए आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद को स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रीफिंग दी।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया के अनुसार इस ब्रीफिंग के अनुसार केंद्र सरकार ने आईटी मंत्रालय को कॉर्प्स स्तर की बातचीत के तीसरे दौर से पहले कहा कि कुछ चीनी एप पर प्रतिबंध लगाने की व्यवस्था हो। चीन और भारतीय सेनाओं के बातचीत 1 जुलाई को होनी थी, और ये ब्रीफिंग 28 जून के आसपास दी गई थी। अब काम बड़ा था और समय बहुत ही कम। लेकिन रविशंकर प्रसाद ने जो किया, उससे स्पष्ट होता है कि मोदी सरकार के लिय हर चुनौती एक अवसर के समान है, जिसे सफलतापूर्वक पूरा करना उनका कर्तव्य है।
जैसे सर्जिकल स्ट्राइक्स के बारे में किसी को भनक नहीं पड़ने दी गई, वैसे ही भारत द्वारा चीन के एप्स को प्रतिबंधित करने के निर्णय को लागू करने के लिए भी पूरी तत्परता से काम किया गया, ताकि चीन हो या भारत में जगह जगह फैले उनके जासूस, किसी को भी भारत के इस निर्णय के बारे में एक अंश भी पता नहीं चलने दिया जाए।
29 जून को एक अप्रत्याशित निर्णय में आईटी मंत्रालय ने रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में 59 एप्स पर प्रतिबंध लगाया था, जिसमें टिक टॉक, शेयर इट, यूसी ब्राउजर जैसे कई अहम चीनी एप शामिल थे। इसके बाद तो अगले तीन महीनों में धड़ाधड़ 250 से अधिक चीनी एप्स पर प्रतिबंधित लगाया, जिससे चीन की बड़ी टेक कंपनी जैसे Tencent और Alibaba को भी भारी नुकसान हुआ। जिस प्रकार से इस ऑपरेशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया गया, उसके लिए रविशंकर प्रसाद और उनके मंत्रालय के कर्मचारियों की जितनी प्रशंसा की जाए, वो कम ही पड़ेगी।
https://twitter.com/rsprasad/status/1359774745789485068?s=20
यही नहीं रवि संकर प्रसाद ने ट्विटर की हेकड़ी को भी ठिकाने लगाया। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प का अकाउंट बंद करने के बाद ट्विटर के सीईओ को लगा वो भारत में भी अपनी चला सकते हैं। यही कारण है कि किसान आंदोलन के दौरान फेक न्यूज़ फैलाने वालों को खूब सपोर्ट किया गया। परन्तु केंद्र सरकार ने पहले फेक न्यूज़ फैलाने वाले 250 अकाउंट बंद करने के लिए कहा और जब ट्विटर ने बैन करने के कुछ ही घंटों बाद सभी अकाउंट्स बहाल किये तो आईटी मंत्रालय ने सख्ती दिखाते हुए ट्विटर को सख्त चेतावनी दे डाली। या तो ट्विटर भारत में रहकर भारतीय संसद द्वारा पारित कानून माने या अपना बोर्य बिस्तर बांधकर निकल जाए। ट्विटर के खिलाफ इस सख्ती से google, फेसबुक जैसे big टेक कंपनियां भी डर गयी। यही कारण था कि गूगल न तो Youtube से किसान आंदोलन को भड़काने वाले गानों को ही हटा दिया। यही नहीं रवि शंकर प्रासाद ने संसद में भी अपनी बता को दोहराया और कहा कि कोई भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म हो उन्हें भारत के कानून का पालन करना होगा।
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जिस तरह से रविशंकर प्रसाद के नेतृत्व में आईटी मंत्रालय ने चीन से लेकर बड़ी टेक कंपनियों को रास्ते पर लाने का काम किया वो वास्तव में सराहनीय है।