अमेरिका में जो बाइडन की सत्ता आने के बाद से ही दुनिया का सबसे बड़ा चीन-विरोधी गुट यानि Quad कमज़ोर पड़ता दिखाई दे रहा है। ट्रम्प प्रशासन के समय अमेरिका ने भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर दुनिया का सबसे बड़ा चीन-विरोधी गठबंधन बनाने का काम किया था। हालांकि, बाइडन के लिए प्राथमिकता चीन नहीं बल्कि रूस है, ऐसे में उनके कार्यकाल के दौरान अमेरिका के लिए Quad की अहमियत कम होती जा रही है।
हालांकि, इसके बावजूद बाइडन को हाल ही में Quad के ही तीन अन्य साथी देशों द्वारा आईना दिखाया गया है। बीते गुरुवार को जब बाइडन प्रशासन के अंतर्गत Quad के विदेश मंत्रियों की पहली बैठक हुई तो अन्य तीन विदेश मंत्रियों के पास अमेरिकी विदेश मंत्री Antony Blinken के लिए बेहद सख्त संदेश था। संदेश यह था कि अमेरिका को ना सिर्फ Quad में अपनी भूमिका को और अधिक सक्रिय करना होगा, बल्कि अगर अमेरिका अपनी भूमिका निभाने में असफल रहता है तो उसकी जगह लेने के लिए पहले ही फ्रांस, UK, जर्मनी और रूस जैसे देश तैयार हैं। इस संदेश का असर यह हुआ कि बाइडन प्रशासन को भी अपने वक्तव्य में “Free and Open Indo Pacific” पर ज़ोर देना पड़ा, जबकि कुछ दिनों पहले तक बाइडन प्रशासन “Secure and Prosperous” इंडो-पैसिफिक रणनीति को आगे बढ़ाने की बात कर रहे थे।
यह बाइडन के लिए किसी बड़े झटके से कम नहीं है। जब से बाइडन सत्ता में आए हैं, उन्होंने ट्रम्प की Indo-Pacific रणनीति को छोटा सिद्ध करने की दिशा में ही काम किया है। ऑफिस में आने के बाद पहले दिन से ही बाइडन ने चीन को खुश करने वाले कई ऐसे कदम चले हैं, जिनके बाद उनकी Quad के प्रति प्रतिबद्धताओं पर बड़े सवाल खड़े होते हैं। 78 वर्षीय राष्ट्रपति ने पहले तो Indo-Pacific शब्दावली को बदलकर “Asia Pacific” करने का रास्ता चुना, उसके बाद state dept की वेबसाइट पर बदलाव कर चीन को एक खतरे से ज़्यादा एक साझेदार का दर्जा देने की कोशिश की।
हालांकि, इन सब फैसलों के बाद भी Quad के बाकी साथी अपनी स्थिति से टस से मस नहीं हुए हैं। इसके उलट Quad देशों की पहली ही बैठक में सभी देशों ने अमेरिका को सख्त संदेश देने की कोशिश की है। Nikkei Asia की एक रिपोर्ट के अनुसार बैठक में सभी देशों ने यूरोप और ASEAN के देशों के साथ मिलकर रणनीति बनाने के विचार का समर्थन किया है। बता दें कि फ्रांस और UK जैसे देश पहले ही Indo-Pacific में अपनी सक्रिय भूमिका निभाने को लेकर इच्छुक हैं। और तो और जिस दिन Quad देशों की बैठक चल रही थी, ठीक उसी दिन फ्रांस ने दक्षिण चीन सागर में अपने एक वॉरशिप को तैनात किया हुआ था। अभी आने वाले दिनों में फ्रांस क्षेत्र में जापान और US के साथ मिलकर भी एक युद्धभ्यास करने वाला है। UK पहले ही Indo-Pacific रणनीति के तहत अपने सबसे खतरनाक Warship HMS Queen Elizabeth को दक्षिण चीन सागर में तैनात करने की घोषणा कर चुका है।
अमेरिका के लिए संदेश साफ था, अगर अमेरिका Quad को नकारता है तो उसकी जगह लेने के लिए फ्रांस और UK जैसे देश आतुर हैं और अमेरिका का चीन के प्रति नर्म रुख Quad के अन्य देशों के जज़्बे को कमज़ोर नहीं कर पाएगा। ऑस्ट्रेलिया, जापान और भारत जैसे देशों ने ट्रम्प के जाने के बाद भी अपने चीन-विरोधी रुख को बरकरार रखा है। ऑस्ट्रेलियाई रक्षा मंत्री ने इसी महीने यह ऐलान किया है कि वे आने वाले सालों में नई मिसाइल्स और ख़तरनाक हथियार खरीदने के लिए 1 बिलियन डॉलर का निवेश करेंगे। जापान पहले ही senkaku islands की सुरक्षा रणनीति को और मजबूत करने के लिए अपनी Self Defense Forces को और ताकत देने के लिए एक कानून पर काम कर रहा है और इधर भारत के सख्त रुख के बाद तिब्बत बॉर्डर पर चीन पीछे हटने को मजबूर हो रहा है। Quad की पहली बैठक में ही अमेरिका को बाकी देशों द्वारा साफ़ और सख्त संदेश दे दिया गया है, अब यह अमेरिका के हित में है कि वह Quad देशों के मूड को भाँपते हुए जल्द से जल्द अपनी चीन नीति को ज़्यादा स्पष्ट और कड़ा करे!