Infosys के संस्थापक नारायणमूर्ति को Amazon के साथ मिलीभगत के लिए CAIT ने कोर्ट में घसीटा

CAIT ने पत्र में साफ कहा, नारायणमूर्ति की जांच होनी चाहिए!

अमेज़न

भारतीय बाजार में अमेरिकी ई-कॉमर्स कंपनी Amazon लगातार भारतीय नियमों का उल्लंघन करती रही है, जिसको लेकर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल भी सख्त रुख़ अपना चुके हैं, और प्रवर्तन निदेशालय जांच भी कर रहा है। ऐसे में अब भारतीय टेक कंपनी Infosys के संस्थापक और चेयरमैन नारायणमूर्ति के Amazon से संबंधों को लेकर कॉन्फेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने अपनी नजरें टेढ़ी कर ली हैं और नारायणमूर्ति की कंपनी क्लाउडटेल के अमेजन के साथ संबंधों की जांच के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश की है, क्योंकि ये कंपनी भारतीय नियमों की धज्जियां उड़ाने में अमेजन की मदद कर रही है।

दरअसल, नारायणमूर्ति Amazon की करीबी विक्रेता कंपनी क्लाउडटेल के मालिक हैं, और उनका कंपनी में बड़ा हिस्सा है। ऐसे में जब प्रवर्तन निदेशालय नियमों के उल्लंघन को लेकर Amazon के खिलाफ जांच कर रहा है तो इस जांच की आंच नारायणमूर्ति तक भी आ सकती है। CAIT पहले ही इस मामले में नारायणमूर्ति के खिलाफ सख्त जांच की मांग कर चुका है। इस मुद्दे पर CAIT के ट्रेडर्स की संस्था द्वारा केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र भी लिखा गया है।

CAIT द्वारा लिखे इस पत्र में साफ साफ कहा गया कि नारायणमूर्ति की संलिप्तता की जांच होनी चाहिए।‌ पत्र में लिखा गया,“कॉमर्स कंपनी Amazon द्वारा भारत के नियमों, कानूनों और नीतियों को चकमा देने में नारायणमूर्ति की कंपनी क्लाउडटेल अमेजन का पूरा साथ दे रही है। देश के कुछ बैंक अमेजन को कैशबैक की सुविधा देकर अपनी विशेष नीतियों के माध्यम से बाजार में अमेजन द्वारा कीमतों के खेल में उसकी मदद कर रहे हैं। ऐसे बैंकों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की जरूरत है। इस पत्र में नारायणमूर्ति और अमेजन पर आरोप हैं कि, अमेजन के पास जब कोई ऑर्डर जाता है तो विक्रेता चुनने के अपने हक के अनुसार अमेजन अपने संबंधित साझा विक्रेता को ही ऑर्डर सौंप देता है, और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अमेजन के संयुक्त उद्योग को ही इससे सबसे ज्यादा फायदा भी होता है।

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CAIT की तरफ से कहा गयाये कोई संयोग नहीं है कि क्लाउडटेल और उसकी होल्डिंग कंपनी, प्रियोने बिजनेस सर्विसेज में कार्यत प्रबंध निदेशक, सीएफओ, एवं प्रमुख व्यक्ति (तथाकथित) अमेजन के पूर्व कर्मचारी रह चुके हैं यहां तक कि क्लाउडटेल के अधिकांश बोर्ड सदस्य अमेजन के पूर्व कर्मचारी हैं। इस बात में कोई आश्चर्य नहीं होगा कि मूर्ति के पास 76% क्लाउडटेल के मालिकाना हक होने के बावजूद निदेशक मंडल में नारायणमूर्ति के स्थान पर अमेजन का शेयर ज्यादा और करीब 100 प्रतिशत रहता है। असल मे क्लाउडटेल और प्रियोने अमेजन के ही पूर्व कर्मचारियों द्वारा प्रबंधित और संचालित की जाने वाली कंपनी बन गई है।

 

नारायणमूर्ति को एक नेहरूवादी माना जाता हैं जो कि कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े हुए हैं, वे भले ही खुद को समाज का धर्मधुरंधर मानते हैं लेकिन अमेजन के साथ उनके संबंध उनके पूंजीवादी रवैए की पोल खोल‌ रहे हैं। उन्होंने हमेशा ही गांधी परिवार और वामपंथी सोच का समर्थन किया है, जो कि अब तक की उनकी सफलता का बड़ा राज भी साबित होता है। उन्होंने हमेशा दावा किया है कि पैसा उनके लिए महत्व नहीं रखता है। एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा,  मैंने नंदन, क्रिस और राघवन को इन्फोसिस में 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी दी थी, हालांकि उनके पास तब केवल दो साल का अनुभव था और मेरे नीचे कुछ आठ स्तर थे। मैंने शिबू, दिनेश और अशोक को 10 प्रतिशत की हिस्सेदारी दी, मेरे लिए पैसा कभी भी महत्वपूर्ण नहीं रहा।

हालांकि क्लाउडटेल पर उनका स्वामित्व और अमेजन के साथ उनके रिश्तों को लेकर अब साबित होता है कि कैसे वो विदेशी कंपनियों को भारत में नियमों की धज्जियां उड़ाने में अपनी सक्रिय मदद दे रहे थे, और इसीलिए अमेजन के मामले में CAIT उनके खिलाफ भी जांच की मांग कर रहा है।

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